डीएम ने अयोग्य कंप्यूटर आपरेटरों को हटाया, नगर निगम ने सम्मान पूर्वक दी नौकरी-अब रुका वेतन Gorakhpur News
शहरी आजीविका मिशन यानी सीएलसी के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर कुछ साल पहले नगर निगम में कंप्यूटर आपरेटरों की तैनाती की गई थी। इन कंप्यूटर आपरेटरों में कुछ ...और पढ़ें

गोरखपुर, जेएनएन। दो साल पहले टाइपिंग स्पीड कम होने पर निकाले गए चार आउटसोर्सिंग कंप्यूटर आपरेटरों को नगर निगम में तैनाती दे दी गई थी। इनकी तैनाती को लेकर लगातार शिकायत के बाद नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने चारों का मानदेय रोक दिया है। अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा को मामले की जांच सौंपी गई है।
परीक्षा पास नहीं कर सके थे चार कंप्यूटर आपरेटर
शहरी आजीविका मिशन यानी सीएलसी के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर कुछ साल पहले नगर निगम में कंप्यूटर आपरेटरों की तैनाती की गई थी। इसके बाद भाई-भतीजावाद का आरोप लगा था। बताया गया था कि इन कंप्यूटर आपरेटरों में कुछ कर्मचारियों के बेटे हैं। यह काम भी नहीं जानते और नगर निगम में आते भी नहीं हैं। इनको जुगाड़ से मानदेय दे दिया जाता है। दो साल पहले तत्कालीन नगर आयुक्त प्रेमप्रकाश सिंह के निलंबन के बाद डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन को नगर आयुक्त का चार्ज मिला था। उन्होंने तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट आकांक्षा राणा को नगर निगम की व्यवस्था देखने के निर्देश दिए थे। आकांक्षा को कंप्यूटर आपरेटरों की तैनाती में गड़बड़ी की शिकायत मिली तो उन्होंने सभी की टाइपिंग का टेस्ट लेने का निर्णय लिया। इस टेस्ट में चार आपरेटर फेल हो गए। डीएम की अनुमित के बाद चारों को हटा दिया गया। बाद में तत्कालीन नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने सभी को काम पर रखने के निर्देश दिए। उनके जाने के बाद एक बार फिर मामला उठा तो नगर आयुक्त अविनाश ङ्क्षसह ने चारों कम्प्यूटर आपरेटरों का मानदेय रोकते हुए जांच के आदेश दिए हैं। नगर आयुक्त ने बताया कि चार कंप्यूटर आपरेटरों का मानदेय रोक दिया गया है। नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर 25 कंप्यूटर आपरेटर रखे गए हैं। इनमें से ज्यादातर किसी न किसी कर्मचारी के रिश्तेदार हैं।

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