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    International Tiger Day 2022: अमर गोरखपुर चिड़ियाघर का गौरव तो गीता है खूबसूरती का प्रतिमान, तस्वीरों में देखें एक झलक

    By Pragati ChandEdited By:
    Updated: Fri, 29 Jul 2022 01:30 PM (IST)

    International Tiger Day 2022 गोरखपुर चिड़ियाघर में तीन रायल बंगाल टाइगर शोभा बढ़ा रहे हैं। चिड़ियाघर प्रशासन ने बाघ अमर को प्राइड ऑफ जू की संज्ञा दी है तो वहीं गीता को ब्यूटी ऑफ जू का दर्जा दिया है।

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    नर बाघ अमर व मादा बाघ गीता। फोटो: संगम दुबे।

    गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। अकेले अपने दम पर शिकार करने वाले बाघ को यूं ही राष्ट्रीय पशु का दर्जा नहीं मिला, उसकी रौबदार जीवनशैली उसे अलग बनाती है। झुंड की बजाय अकेले चलने वाले बाघ की कई और खासियतें उसे जंगल में विशेष दर्जा दिलाती हैं। रायल बंगाल टाइगर की दहाड़ तो चार किलोमीटर दूर से ही लोगों को सुनाई दे जाती है।

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    चिड़ियाघर की शान बढ़ा रहे तीन रॉयल बंगाल टाइगर

    वन्यजीवों में बेहद ताकतवर व खूबसूरत दिखने वाले ऐसे एक नहीं, बल्कि तीन रायल बंगाल टाइगर गोरखपुर चिड़ियाघर की शोभा बढ़ा रहे हैं। चिड़ियाघर के 215 वन्यजीवों में सबसे आकर्षक दिखने वाले यहां के नर बाघ अमर को प्राइड आफ जू (चिड़ियाघर का गौरव) तो सफेद बाघिन गीता को ब्यूटी आफ जू (चिड़ियाघर की खूबरसूरती) की संज्ञा दी गई है। चिड़ियाघर के इन तीनों बाघों को वर्षा में भीगना पसंद है।

    पानी में चलना है अमर को पसंद

    चिड़ियाघर आने वाले हर दर्शक की कोशिश होती है कि वह एक बार अमर को जरूर देखे। 200 किलो वजन वाले इस वन्यजीव को पानी में चलना पसंद है। चार वर्षीय अमर एक बार में 14 से 16 किलो तक मांस खा जाता है। अमर का जन्म कानपुर चिड़ियाघर में हुआ था। अमर को पिछले साल जुलाई में चिड़ियाघर लाया गया था। चिड़ियाघर में मौजूद तीनों बाघों में अमर की दहाड़ सबसे तेज है। उसकी लंबाई व ऊंचाई सामान्य बाघ जैसी है।

    गीता को पसंद है पानी में देर तक रहना

    लखनऊ की सफेद बाघिन गीता को अभी पिछले माह चिड़ियाघर लाया गया है। सात वर्षीय गीता को पानी में देर तक रहना बेहद पसंद है। इसी लिए चिड़ियाघर प्रशासन ने उसके बाड़े में सीमेंटेड बाथिंग टब की स्थापना कराई है। ताकि वह उसमें आराम से रह सके। 10-12 किलो तक मांस खाने वाली गीता अभी सात साल की है। उसका जन्म दिल्ली चिड़ियाघर में हुआ था। उसे दिल्ली से लखनऊ लाया गया था। चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा.योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि जीन उत्पपरिवर्तन के कारण उसका रंग सफेद है। इसका वजन करीब 150 किलो है। इसकी ऊंचाई नर बाघों जैसी है।

    मैलानी के जंगल में हुआ 'मैलानी' का जन्म

    बाघिन मैलानी का जन्म लखीमपुरखीरी के मैलानी में हुआ था। उसे रेस्क्यू करके लखनऊ चिड़ियाघर लाया गया था। मैलानी में जन्म के कारण ही उसे मैलानी नाम दिया गया। बीते वर्ष फरवरी माह में उसे गोरखपुर चिड़ियाघर लाया गया था। नौ वर्षीया मैलानी 12 से 14 किलो तक मांस खाती है।

    मैलानी को रात में क्राल में जाना पसंद नहीं

    मैलानी को रात के समय में बाड़े से क्राल में जाना नहीं पसंद है। इसके चलते चिड़ियाघर में अक्सर वह अपने क्राल से बाहर ही रहती है। मैलानी का वजन करीब 140 किलो है। इसकी ऊंचाई नर बाघों की तुलना में कम है।

    सभी फोटो- संगम दुबे।

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