International Nurses Day: जान हथेली पर रखकर रोगियों की बचाती हैं जान, नहीं भुलाया जा सकता नर्सों का योगदान
International Nurses Day 2023 नर्स खुद खतरे में रहकर दूसरों को प्रेरित करतीं हैं। रोगियों की देखभाल व समय पर दवा देकर उनकी जान बचाती हैं। कोरोना काल में रोगियों के प्रति नर्सों का योगदान कभी न भूलने वाला पल रहा।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रोगी का परीक्षण कर डॉक्टर परामर्श देते हैं और चले जाते हैं। रोगियों को समय से दवा खिलाना, इंजेक्शन लगाना, जांच करना और रोगों से लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं नर्स। कोरोना संक्रमण काल में नर्सों का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता है। जान हथेली पर रखकर नर्सों ने रोगियों की न सिर्फ जान बचाई, वरन उस समय वार्डों में खुद मौजूद रहीं जब स्वजन भी अंदर जाने से कतराते थे। विश्व नर्स दिवस पर दैनिक जागरण ने बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज की नर्सों से बात की।
नर्सों की है बहुत कमी
अस्पताल में छह बेड पर एक नर्स की तैनाती का मानक है लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग से नर्सों की संख्या पूरी करने की कोशिश की जाती है लेकिन निजी अस्पताल में 15 से 20 रोगी पर एक नर्स की तैनाती है। यहां नर्सों की योग्यता पर भी हमेशा सवाल उठते रहते हैं। हालांकि सरकार ने निजी अस्पतालों में योग्य नर्सों की तैनाती के लिए पंजीकरण में ही व्यवस्था बनायी है लेकिन जांच न होने के कारण योग्यता का ध्यान नहीं रखा जाता है।
बहुत कठिन समय था कोरोना संक्रमण काल की सेवा
निशा वर्मा ने कोरोना संक्रमण काल में कोरोना वार्ड में ड्यूटी की थी। कहती हैं कि वह ऐसा समय था, जिसके बारे में कभी न तो किताबों में पढ़ाया गया था और न ही कभी कुछ सामने आया था। वायरस कहां हैं, किस जगह छुपा है, कब हमला कर दे, कुछ नहीं पता था लेकिन हमारे लिए रोगी का स्वस्थ होना पहली प्राथमिकता है। न सिर्फ सेवा की वरन हौसला भी बढ़ाया।
कोरोना संक्रमितों का हमेशा बढ़ाती रही आत्मबल
स्टाफ नर्स सुमन मिश्र कहती हैं कि कोरोना संक्रमण काल में ऐसी स्थिति थी कि शब्दों में नहीं बयां की जा सकती। कोरोना संक्रमण का उपचार कराने के लिए आने वाले गंभीर रोगियों को सांस लेने में तो दिक्कत होती ही थी, उनके अंदर बहुत ज्यादा डर रहता था। हमने उनका आत्मबल बढ़ाया क्योंकि उस समय परिवार के लोग दूर-दूर ही रहते थे।
अस्पताल में भर्ती रोगियों का उपचार हमारी जिम्मेदारी
स्टाफ नर्स कल्पना यादव की तैनाती सुपर स्पेशलिटी ब्लाक के आइसीयू वार्ड में है। कहती हैं कि भर्ती रोगी का उपचार हमारी जिम्मेदारी है। इंटरनेट मीडिया पर दवा का नाम सर्च कर कई रोगी उसके बारे में ही पूछने लगते हैं। उनकी शंका का समाधान कराने के साथ ही उपचार को आगे बढ़ाया जाता है। सभी नर्स सेवाभाव से काम करती हैं।
इसलिए है मनाया जाता
नर्सिंग के क्षेत्र में योगदान देने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उन्हें विश्व का पहला नर्स कहा जाता है। उन्हीं के जन्मदिन को विश्व नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में जन्म लेने के बाद भी उन्होंने सेवा का मार्ग चुना।
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