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    डिग्री नहीं इंटरमीडिएट स्तर का 'सर्टिफिकेट' है कामिल व फाजिल

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 08 May 2018 12:20 PM (IST)

    अल्पसंख्यक विभाग ने कामिल व फाजिल को नहीं दी है डिग्री की मान्यता ...और पढ़ें

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    डिग्री नहीं इंटरमीडिएट स्तर का 'सर्टिफिकेट' है कामिल व फाजिल

    काशिफ अली, गोरखपुर

    मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित कामिल व फाजिल की डिग्री की वैधता तो लेकर उठ रहे सवाल के बीच एक नया पहलू सामने आया है। अब तक मदरसा बोर्ड द्वारा जिस कामिल एवं फाजिल को बीए एवं एमए स्तर का बताकर डिग्री दी जा रही थी, शासन की नजर में वह महज इंटर स्तर का 'सर्टिफिकेट' है।

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    दैनिक जागरण के 23 अप्रैल के अंक में 'फर्जी डिग्री बांट रहा मदरसा बोर्ड' शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद जिलाधिकारी ने अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से रिपोर्ट मागी थी। विभाग ने जिलाधिकारी को बताया कि शासन कामिल एवं फाजिल को सिर्फ इंटरमीडिएट स्तर की मान्यता देती है।

    मदरसा शिक्षा बोर्ड और शासन की उदासीनता के कारण हर वर्ष हजारों छात्रों को ऐसी डिग्री दी जा रही है जो किसी काम की नहीं है। हैरानी की बात है कि कामिल (तीन वर्ष) तथा फाजिल (दो वर्ष) का कोर्स पूरा करने के बाद जो डिग्री मिल रही है वह महज इंटरमीडिएट स्तर का सर्टिफिकेट है। इस मुद्दे को लेकर आवाज तेज होने लगी है। बहुत से लोगों ने दो कोर्स को बंद करने की मांग की है। डिग्री की वैधता को लेकर उठे सवालों के बीच डिग्री धारक भी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि मदरसा बोर्ड एवं शासन ने उन्हें अंधेरे में रखा। हजारों रुपये और कीमती वक्त खर्च डिग्री हासिल की, लेकिन अब वह सिर्फ कागज का टुकड़ा रह गया है।

    कई डिग्री धारकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बोर्ड के अधिकारियों एवं तमाम संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही उनकी तनख्वाह से छात्रों के नुकसान की भरपाई की जाए। हालांकि छात्रों ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर सरकार किसी विश्वविद्यालय से दोनों कोर्स को संबंद्ध कराकर शासनादेश जारी कर दे तो उनकी डिग्रियां वैध हो सकती हैं। मदरसा शिक्षा बोर्ड और शासन को इस संबंध में बहुत पहले निर्णय लेना चाहिए था। अगर कामिल व फाजिल की डिग्री को मान्यता नहीं दे सकते तो उसे बंद कर देना चाहिए। इससे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है।

    मंजूर इस्लाम, प्रधानाचार्य मिस्वाहुल उलूम असौजी बाजार दोनों कोर्स को रामपुर स्थित मौलाना मोहम्मद जौहरी अली यूनिवर्सिटी या ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू- अरबी- फारसी विश्वविद्यालय संबंद्ध करा दिया जाए ताकि डिग्री का वैधता पर सवाल न उठे।

    बदीउज्जमा, अंजुमन इस्लामियां उनवल बाजार कामिल व फाजिल की डिग्री मदरसे में नियुक्ति के लिए मान्य है। अन्य सेवाओं में शासन ने आलिम, कामिल और फाजिल को इंटरमीडिएट के बराबर मान्यता दी है। मान्यता को लेकर मदरसों का एक गुट बहुत दिनों से आवाज उठा रहा है।

    - संजय कुमार मिश्र, जिला, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी