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    दाल के बढ़े 'भाव', चहक रही चीनी, मेवे-सब्जी और फलों के दाम भी आसमान पर पहुंचे- यहां देखें गोरखपुर का रेट लिस्ट

    महंगाई की मार से किचन का बजट बिगड़ गया है। थोक से लेकर फुटकर मंडी तक महंगाई आसमान छू रही है। व्यापारी अरहर की पैदावार कम होना दाल के भाव बढ़ने का कारण बता रहे हैं। वहीं मांग बढ़ने से चीनी के भाव में भी तेजी आई है।

    By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 24 Apr 2023 01:04 PM (IST)
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    महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दाल के भाव ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। पिछले दो-तीन माह के भीतर अरहर दाल में आइ तेजी से घर का बजट बिगड़ गया है। व्यापारियों के मुताबिक दाल का उत्पादन कम होना तेजी का प्रमुख कारण है। फिलहाल भाव में आगे और तेजी बनी रह सकती है। पिछले कुछ दिनों से स्थिर चल रहे चीनी में भी गर्मी की आहट शुरू होते ही तेजी आ गई है। माह भीतर चीनी के दाम में करीब चार से पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। थोक में चीनी 40 तो फुटकर में 44-45 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जिसका सीधा असर किचन के बजट पर पड़ रहा है।

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    अरहर दाल की कीमतों में तेजी की स्थिति यह है कि इसमें दो माह के अंदर तीस सौ रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष व दाल कारोबारी संजय सिंघानिया ने बताया कि दाल की कीमतों में तेजी से सरकार भी चितिंत है और इसकी कीमतें नियंत्रित करने में जुट गई है। देश में अरहर की पैदावार कम होने भी इसके दाम बढ़ रहे हैं।

    दो माह पूर्व तक फुटकर में 105 से 110 रुपये प्रति किलो बिकने वाला अरहर दाल इस समय 120 से 135 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जनवरी से लेकर अब तक यदि भाव पर नजर डाले तो दाल की कीमतें 15 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। चीनी कारोबारी प्रमोद अग्रवाल के अनुसार सरकार प्रतिमाह चीनी का कोटा निर्धारित करती है। इसी से भाव में उतार-चढ़ावा आता है। इस समय में गर्मी में चीनी की मांग बढ़ने के कारण भी कीमतों में उछाल है।

    गर्मी में बढ़ जाती है चीनी की खपत

    गर्मी में हर साल चीनी की मांग बढ़ जाती है। इस मौसम में हर घर में शर्बत व शिकंजी बनता है। मेहमानों को भी चाय के बजाय लस्सी या शर्बत ही दिया जाता है। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक की भी खपत बढ़ती है। इसमें भी चीनी का खूब उपयोग होता है। शादियों में भी इसका उपयोग होता है।

    आसमान छू रहे मेवा के भाव

    मेवा भी महंगाई की मार से अछूता नहीं है। पाकिस्तान में पिछले साल आइ बाढ़ का असर छुहारे पर दिखने लगा है। फसल प्रभावित होने से भाव में डेढ़ गुणा तक की तेजी है। अब तक 200 से 240 रुपये प्रति किलो बिकने वाला छुहारा अब 320 से 400 रुपये बिक रहा है। इसी तरह अफगानिस्तान में बेमौसम बारिश के कारण फसल बर्बाद होने से खजूर, अंजीर, मुनक्का व कंधारी किशमिश में भी तेजी है।

    फुटकर बाजार में मेवों के भाव (प्रति किलो)

    मेवा                    कीमत पहले    अब

    कंधारी किशमिश   400-500       600-650

    अंजीर                  600-800      1100-2000

    मुनक्का               600-700       800-1000

    छुहारा                 200-240       320-400

    खजूर                 (400 से 2000 रु. प्रति किलो गुणवत्ता के अनुसार)

    फल और सब्जियों में भी तेजी

    महंगाई में फल व सब्जियां भी पीछे नहीं हैं। बाजार में फलों के साथ-साथ सभी सब्जियों की कीमत में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। थोक के मुकाबले में फुटकर में अभी सब्जियां महंगी बिक रहीं है। लौकी जहां 40 से 50 रुपये प्रति किलो है वहीं तोरई भी 50 रुपये तथा परवल 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसी प्रकार करैला 40 से 60 तथा कच्चा केला 30 से 40 रुपये प्रति किलो है। सबसे अधिक महंगा नींबू और अदरक है। नींबू जहां 20 रुपये में तीन बिक रहा है वहीं अदरक 100 से 120 रुपये किलो पहुंच गया है।

    प्रमुख फलों के भाव पर एक नजर

    प्रमुख फल    भाव

    अंगूर           100-120 रुपये प्रति किलो

    सेव             120-150 रुपये प्रति किलो

    संतरा          80-100 रुपये प्रति किलो

    अनार          120-140 रुपये प्रति किलो

    केला            50-60 रुपये प्रति दर्जन

    जीरा ने बनाया नया रिकॉर्ड, दाल में तड़का भी महंगा

    गरीबों से लेकर अमीरों तक के दाल में तड़का लगाना हो या मसाले का स्वाद बढ़ाना हो जीरा हर जगह प्रयोग में आता है। फिलहाल इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए पिछले कुछ दिनों से यह मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। एक वर्ष के भीतर जीरे की कीमतों में दोगुणा उछाल ने अब तक सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। साल भीतर भाव 25 हजार रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 50 हजार रुपये से क्विंटल पहुंच गया है। पिछले पंद्रह दिनों में आए भाव में तेजी से व्यवसायी भी परेशान हैं। बाजार के जानकार बताते हैं कि जीरे में तेजी की प्रमुख वजह देश में बेमौसम बारिश है। जिसके कारण पैदावार में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसके अलावा विदेशों में मौसम की मार ने भी जीरे को काफी नुकसान पहुंचाया है। फिलहाल आने वाले कुछ दिनों में जीरे की कीमतों में कमी कोई आसार नहीं हैं। बल्कि तेजी और भी बनी रहने की उम्मीद है।

    ऐसे बढ़े भाव

    माह       भाव प्रति किलो

    जनवरी   300 से 350

    फरवरी  350 से 400

    मार्च      350 से 420

    अप्रैल    450 से 580

    नोट: भाव गुणवत्ता अनुसार