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    यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : रामकाेला विधानसभा में बाहरी उम्मीदवारों को अधिक मिली तरजीह

    By Navneet Prakash TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 10:56 AM (IST)

    कुशीनगर जिले के रामकोला विधानसभा क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवारों को अधिक तरजीह मिलती रही है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 1969 से लेकर 2017 तक कुल 13 बार इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए हैं। उसमें चार बार स्थानीय उम्मीदवार को जीत मिली।

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    रामकाेला विधानसभा में बाहरी उम्मीदवारों को अधिक मिली तरजीह। प्रतीकात्‍मक फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुशीनगर जिले के रामकोला विधानसभा क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवारों को अधिक तरजीह मिलती रही है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 1969 से लेकर 2017 तक कुल 13 बार इस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हुए हैं। उसमें चार बार स्थानीय उम्मीदवार को जीत मिली, जबकि नौ बार बाहरी प्रत्याशियों के सिर ताज सजा। कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन बार जीत का परचम लहराया तो समाजवादी पार्टी के खाते में दो बार जीत गई। बहुजन समाज पार्टी का यहां खाता नहीं खुल सका।

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    राजनीतिक दल भी बाहरी उम्‍मीदवारों पर ही लगाते रहे हैं दांव

    रामकोला विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक दल भी बाहरी उम्‍मीदवारों पर ही दांव लगाती रही हैं। वर्ष 1969 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मंगल उपाध्याय ने भारतीय क्रांति दल के बांकेलाल को हराया था, जबकि 1974 में मतदाताओं ने परिणाम उलट दिया था। बांकेलाल को जीत मिली और मंगल उपाध्याय चुनाव हार गए थे। 1977 में बांकेलाल जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे और कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह को पटखनी दे दी थी। 1980 में कांग्रेस के सुग्रीव सिंह ने जनता पार्टी के रामस्वरूप मल्ल को और 1985 में लोकदल के हरिशंकर कुशवाहा को हराया था। 1989 में जनता दल के प्रत्याशी बने मदन गोविंद राव को यहां के मतदाताओं ने अपना प्रतिनिधि चुना और कांग्रेस के सुग्रीव सिंह को लोगों ने नकार दिया था।

    1991 में हुई थी भाजपा उम्‍मीदवार की जीत

    1991 में भाजपा के अंबिका सिंह ने जनता दल के वीरेंद्र बहादुर सिंह को और 1991 में समाजवादी पार्टी के अजीमुल हक को हराया था। गन्ना किसान आंदोलन के बाद राजनीतिक फलक पर आए राधेश्याम सिंह को वर्ष 1996 के चुनाव में मतदाताओं ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपना लिया था। भाजपा के अंबिका सिंह चुनाव हार गए थे। 2002 में भी राधेश्याम सिंह चुनाव जीते, उन्होंने सपा के चुनाव चिह्न पर बसपा के अजीमुल हक को हराया था। 2007 में यह सीट भाजपा के पक्ष में गई, यशवंत उर्फ अतुल सिंह ने सपा के राधेश्याम सिंह को हार का स्वाद चखाया।

    2012 में घोषित कर दी गई सुरक्षित सीट

    2012 में इस विधानसभा को शासन ने सुरक्षित घोषित किया। सपा के पूर्णमासी देहाती चुनाव जीते थे, जबकि भाजपा के दीपलाल भारती हार गए थे। 2017 में भाजपा के सहयोगी दल के रूप में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी रामानंद बौद्ध ने सपा के पूर्णमासी देहाती को हराया था। चुनाव जीतने वाले नेताओं में मदन गोविंद राव, राधेश्याम सिंह और अतुल सिंह ही स्थानीय थे। इनके अलावा सभी उम्मीदवार बाहरी रहे।