परंपरागत लोक नृत्यों ने किया प्रभावित
गोरखपुर : मंगलवार की शाम लुप्त हो रहे परंपरागत लोक नृत्यों को प्रोत्साहन देने का वक्त था
गोरखपुर : मंगलवार की शाम लुप्त हो रहे परंपरागत लोक नृत्यों को प्रोत्साहन देने का वक्त था। गोरखपुर विवि में चल रहे शिल्प मेले में सजे मंच पर स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत इंद्रासनी, गोड़उर, फरुआही नृत्यों पर लोगों की खूब तालियां मिलीं। कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों के गीतों पर भी दर्शक जमकर झूमे।
शिल्प मेले में आयोजित सांस्कृतिक संध्या के दूसरे दिन की शुरूआत जगतबेला से आए राममूरत व टीम द्वारा प्रस्तुत गोड़उर नृत्य (कहरउआ) से हुई। इन कलाकारों की शानदार प्रस्तुति को खूब सराहा गया। अगले कार्यक्रम के रूप में शिप्रा दयाल ने भोजपुरी गीत 'ले ले अइहा हो पिया सेनुर बंगाल से' व 'बालम छोटे से..' की प्रस्तुति से सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। अनुराग सुमन के 'हाल क्या है दिलों का' तथा दीप्ति अनुराग के गजल को खूब सराहा गया। इसके बाद अनुराग व दीप्ति ने युगल गीत गाकर खूब तालियां बटोरीं। अगली प्रस्तुति रही इंद्रासनी नृत्य की। कलाकार पारस एवं टीम ने अपने दमदार प्रदर्शन से इस कला की महत्ता का एहसास कराया। विंध्याचल आजाद की टीम ने फरुआही नृत्य की प्रस्तुति की तो मंच के सामने तालियां बजने लगीं। इस लोक नृत्य में कलाकारों ने खड़ी साइकिल पर नृत्य व सिर पर जलती आग रखकर नाचने की कला दिखायी। कार्यक्रम का संचालन प्रेम ने किया। इस अवसर पर संयोजक राकेश कुमार श्रीवास्तव, संस्कार भारती के हरि प्रसाद सिंह आदि उपस्थित रहे।
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