चलते-फिरते ‘दवाखानों’ से रहें सावधान, न अनुमति न ही कोई सत्यापन
गोरखपुर शहर में जड़ी-बूटी के अवैध दवाखानों का जाल फैल रहा है जो सड़कों पर चलते-फिरते दिखते हैं। ये वैद्य हर बीमारी का इलाज करने का दावा करते हैं लेकिन उनके पास कोई वैध अनुमति नहीं होती। चिकित्सक ऐसे दवाखानों से उपचार कराने को जोखिम भरा बताते हैं और इनसे बचने की सलाह देते हैं। एसपी सिटी ने ऐसे दवाखानों की जांच और सत्यापन का आदेश दिया है।
अरुण मुन्ना, जागरण, गोरखपुर। शहर की सड़कों पर इन दिनों चलते-फिरते आयुर्वेदिक दवाखानों का जाल तेजी से फैल रहा है। जड़ी-बूटियों से हर रोग का उपचार करने का दावा करने वाले तथाकथित वैद्य न तो पुलिस सत्यापन कराते हैं, न ही इनके पास आयुर्वेद विभाग से कोई अनुमति होती है। एसपी सिटी ने कहा है कि जहां-जहां ऐसे दवाखाने संचालित हो रहे हैं, उनकी जांच कराकर संचालकों की पूरी जानकारी जुटाई जाएगी।
मंगलवार अपराह्न लगभग 3:10 बजे देवरिया बाईपास रोड पर चिड़ियाघर से पहले एक टेंपो ट्रैवलर में ‘खानदानी दवाखाना’ नाम से औषधालय नजर आया। वाहन पर टंगे बड़े-बड़े बैनरों में मोबाइल नंबर और बीमारियों की लंबी सूची दर्ज थी।
इसमें गैस, दर्द, कब्ज, पाइल्स, संतान न होना, रक्तचाप, सांस फूलना, चर्म रोग, एग्जिमा आदि का गारंटी के साथ उपचार का दावा किया गया था। बोतलों और शीशियों में रखी जड़ी-बूटियां राहगीरों का ध्यान खींच रही थीं।
इसी तरह, सुबह करीब 10 बजे मोहद्दीपुर से विश्वविद्यालय चौराहा जाने वाली सड़क पर गोल्फ क्लब समीप भी वाहन पर ही जड़ी-बूटी की दुकान सजी दिखी, लेकिन कुछ देर बाद तथाकथित वैद्य और उनके सहयोगी वहां से कहीं और रवाना हो गए।
देवरिया बाईपास रोड पर टेंट लगाकर भी ऐसे दवाखाने संचालित हो रहे हैं। नौसढ़, बरगदवा रोड, मेडिकल कालेज रोड सहित आधा दर्जन स्थानों पर इन्हें देखा जा सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि सड़क किनारे ऐसे मोबाइल दवाखानों से उपचार कराना जोखिम भरा है।
यहां दी जाने वाली जड़ी-बूटियों की शुद्धता का कोई प्रमाण होता है, न ही उपचार करने वाले की योग्यता का। बाद में किसी भी समस्या की स्थिति में वैद्य के मिलने की गारंटी भी नहीं रहती। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि लोग ऐसे स्थानों पर उपचार कराने से बचें, क्योंकि अनजाने में लिया गया उपचार महंगा पड़ सकता है।
आयुष विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सक अबरार आलम ने कहा कि सड़कों के किनारे बड़े-बड़े दावे कर औषधियों को बेचने वाले लोगों से दवा लेना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में शैक्षिक अर्हता वाले रजिस्टर्ड चिकित्सक से ही औषधि लेकर प्रयोग करें।
आयुर्वेद चिकित्सक रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि जहां-तहां सड़कों के किनारे आयुर्वेद के नाम पर औषधि बेचने वाले लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। साथ ही आयुर्वेद को बदनाम भी करते हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से मान्य चिकित्सालयों व संस्थाओं में
से औषधि लेना चाहिए। होम्योपैथिक चिकित्सक अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि बिना डिग्री के जगह-जगह आयुर्वेद व होम्योपैथी के नाम पर दवाई बेचने वालों से सावधान रहना चाहिए। होम्योपैथी की दवाओं में स्टेरायड मिलाया जा रहा है। इसलिए प्रमाणित जगहों पर पहुंचकर उपचार कराना ठीक रहेगा।
शहर में जहां पर भी वाहनों में चलती- फिरती जड़ी-बूटी दुकानें लग रही हैं। उनकी जांच कराई जाएगी। जड़ी- बूटी बेचने वालों का सत्यापन कराया जाएगा। टेंट डालकर या किसी वाहन में दवा बेचने वालों का सत्यापन होगा।
-अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
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