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    शिकायतों की अनदेखी अधिकारियों को पड़ेगी भारी, IGRS पर रखनी होगी नजर; विभागाध्यक्ष की होगी जिम्मेदारी

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 12:24 PM (IST)

    शिकायतों की अनदेखी अब अधिकारियों को भारी पड़ेगी। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद IGRS पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही बरतने वाले विभागाध्यक्षों पर भी कार्रवाई होगी। हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की जाएगी। तहसील या ब्लाक से संबंधित शिकायतों का निस्तारण लेखपाल कानूनगो या सचिव के स्तर से किया जाएगा। समय से और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण न होने पर संबंधित कर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण को लेकर संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष अधिकारियों की अनदेखी उन्हें भारी पड़ सकती है। रविवार की शाम को बैठक करते हुए मुख्यमंत्री ने हर स्तर पर जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद स्थानीय स्तर पर भी सख्ती शुरू कर दी गई है।

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    यदि कोई कर्मचारी उचित तरीके से निस्तारण नहीं करता है तो अब यह केवल उसी की जिम्मेदारी नहीं होगी बल्कि इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और उन पर भी कार्रवाई होगी।

    तहसील या ब्लाक से संबंधित शिकायत आइजीआरएस पर आती है तो उसका निस्तारण लेखपाल, कानूनगो या सचिव के स्तर से किया जाता है। आमतौर पर शिकायतें लंबित रहती हैं और जब नियंत्रण कक्ष से फोन किया जाता है तो अंतिम समय में जल्दी-जल्दी निस्तारण दिखा दिया जाता है।

    शिकायतकर्ताओं की यह शिकायत होती है कि उनसे फीडबैक नहीं लिया जाता है। आनन-फानन में निस्तारण होता है तो शासन की ओर से लिए जाने वाले फीडबैक में उसकी पोल खुल जाती है।

    रविवार को आनलाइन बैठक में मुख्यमंत्री ने इस बात के निर्देश दिए कि कर्मचारी जो रिपोर्ट लगाए, उसके परीक्षण की जिम्मेदारी अधिकारी की भी है। यानी लेखपाल, कानूनगो की रिपोर्ट पर तहसीलदार या एसडीएम को भी फीडबैक लेना चाहिए और यह तय किया जाए कि निस्तारण सही तरीके से हो।

    ब्लाकों में खंड विकास अधिकारी यह जिम्मेदारी निभाए। समय से एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण न होने पर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने इस मामले में सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

    आइजीआरएस के नोडल प्रभारी व अपर जिलाधिकारी प्रशासन पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने बताया कि शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए निगरानी बढ़ाई जाएगी और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।

    हर 15 दिन पर होगी राजस्व वादों की समीक्षा

    मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राजस्व वादों के निस्तारण की निगरानी भी बढ़ाई जाएगी। पहले जिलाधिकारी के स्तर से हर महीने समीक्षा की जाती थी, अब हर 15 दिन पर समीक्षा की जाएगी। इसमें सभी एसडीएम, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार शामिल होंगे। निस्तारण में लापरवाही पर संबंधित कर्मियों एवं अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि राजस्व वादों का समय से निस्तारण पर जोर दिया जा रहा है।

    डीएम आफिस का फोन नहीं उठाते गोला-उरुवा के अधिशासी अधिकारी

    आइजीआरएस पर आने वाली शिकायतों के समय से एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण को लेकर निगरानी सख्त कर दी गई है। इस मामले में मनमानी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है।

    हाल ही में अचंभित करने वाला मामला प्रकाश में आया है। समय सीमा बीत रही कुछ शिकायतों के बारे में जानकारी देने के लिए गोला एवं उरुवा, दो नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे संजय तिवारी को जिलाधिकारी कार्यालय/आइजीआरएस नियंत्रण कक्ष से फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे शिकायतें डिफाल्टर श्रेणी में चली गईं।

    एक शिकायत उरुवा तो एक गोला से संबंधित है। जिलाधिकारी ने इस मनमानी पर कड़ी नाराजगी जताई है और कारण बताओ नोटिस जारी कर अधिशासी अधिकारी से तीन दिन में स्पष्टीकरण तलब किया है।

    संजय तिवारी के कार्यालय में कम आने एवं फोन न उठाने की शिकायत स्थानीय लोग भी करते हैं। उरुवा में तालाब की सफाई के संबंध में विंध्यवासिनी नगर उरुवा बाजार के रणविजय ने आइजीआरएस पर शिकायत की थी।

    30 अगस्त को शासन ने अधिशासी अधिकारी के पोर्टल पर इस शिकायत को भेजा था। 14 सितंबर तक इसका निस्तारण करना था।

    पर्याप्त समय मिलने के बावजूद इस मामले में कोई कार्यवाही न करने से प्रकरण डिफाल्टर श्रेणी में आ गया। इसी तरह गोला बाजार नगर पंचायत में अखिलेश तिवारी ने बिना अनुमति बने ईदगाह को लेकर शिकायत की थी।

    अधिशासी अधिकारी के पोर्टल पर यह शिकायत 31 अगस्त को भेजी गई और 15 सितंबर तक इसका निस्तारण करना था लेकिन इसमें भी लापरवाही बरती गई। जिससे यह प्रकरण भी डिफाल्टर श्रेणी में पहुंच गया।

    जिलाधिकारी ने बताया कि अधिशासी अधिकारी के इस लापरवाही से जनपद की रैंकिंग प्रभावित होगी। यह मामला संज्ञान में लाया गया है कि वह कार्यालय का फोन नहीं उठाते और न ही दोबारा संपर्क करते हैं।

    यह कार्यशैली दर्शाती है कि शासन के सर्वोच्च प्राथमिकता के कार्य को करने में उनकी कोई रुचि नहीं है। तीन दिन में संतोषजनक जवाब न देने पर कार्रवाई होगी।

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