हीमोफीलिया में चोट लगी तो हो जाएंगे विकलांग, बचाव व सतर्कता जरूरी Gorakhpur News
हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग है। इसमें खून में थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिसकी वजह से हल्की सी चोट से या बिना चोट के भी अनायास रक्तस्राव होने लगता है।
गोरखपुर, जेएनएन। बच्चों को खेलने-कूदने या साइकिल चलाते समय चोट लग जाना सामान्य बात है। लेकिन यह चोट हीमोफीलिया ग्रसित बच्चे को लग जाए तो जान जोखिम में पड़ सकती है। थोड़ी सी चोट अत्यधिक रक्तस्राव का कारण बन जाती है। इस रोग का कोई इलाज नहीं है। जब भी रक्तस्राव होता है तो फैक्टर का इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। इसलिए बचाव व सतर्कता से ही इस रोग से पीडि़त बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं। थोड़ी सी असावधानी बच्चे को विकलांग कर सकती है या उसकी मौत का कारण बन सकती है।
यहां पर है इसकी व्यवस्था
हीमोफीलिया मरीज को जब रक्तस्राव होता है तो उसे फैक्टर तत्काल लगवाने की जरूरत होती है। यहां बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में फैक्टर की व्यवस्था की गई है। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ इसकी आपूर्ति करता है। लेकिन यहां कभी रहता है और कभी नहीं। इस समय फैक्टर सात व नौ उपलब्ध हैं। फैक्टर आठ लगभग एक माह से खत्म हैं।
बीआरडी में 250 मरीज रजिस्टर्ड
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लगभग 250 मरीज रजिस्टर्ड हैं जिनमें सर्वाधिक संख्या फैक्टर आठ के मरीजों की ही है। पिछले आठ अप्रैल को खलीलाबाद के एक ब'चे को रक्तस्राव शुरू हो गया। उसे फैक्टर आठ की जरूरत थी। मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला तो गुरु श्रीगोरक्षनाथ ब्लड बैंक में उसे प्लाज्मा चढ़ाया गया, तब जाकर उसका रक्तस्राव बंद हुआ। बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनीता मेहता का कहना है कि फैक्टर आमतौर पर उपलब्ध रहता है और मरीजों को बिना देर किए लगा दिया जाता है। फैक्टर के लिए हर माह मांग भेजी जाती है।
क्या है हीमोफीलिया
हीमोफीलिया अनुवांशिक रोग है। इसमें खून में थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिसकी वजह से हल्की सी चोट से या बिना चोट के भी अनायास रक्तस्राव होने लगता है। फैक्टर लगाने के बाद रक्तस्राव बंद होता है।
तीन और जगह फैक्टर उपलब्ध कराने की मांग
भारतीय चिकित्सा संघ व संजीवनी हीमोफीलिया सोसाइटी शासन से मांग कर रही है कि मेडिकल कॉलेज के अलावा जिला अस्पताल, एम्स व सोसाइटी को भी फैक्टर की आपूर्ति की जाए। ताकि मरीजों को शहर में ही फैक्टर उपलब्ध हो सके।
मरीजों को किया जा रहा जागरूक
भारतीय चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. एससी कौशिक का कहना है कि भारतीय चिकित्सा संघ पूरी कोशिश कर रहा है कि यहां हर मरीज को फैक्टर की उपलब्धता हो सके। इसके लिए सरकार से लगातार मांग की जा रही है। संघ के कार्यालय पर प्रतिमाह बैठक कर मरीजों को जागरूक किया जा रहा है।
जांच की व्यवस्था जरूरी
फिजीशियन डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि हल्की सी चोट में भी इस बीमारी में बहुत ज्यादा खून बह जाता है। बिना फैक्टर लगवाए रुकता नहीं है। इसलिए यहां फैक्टर की उपलब्धता होनी चाहिए और जांच की भी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि समय पूर्व फैक्टर लगवाया जा सके।
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