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    Success Story: यूपीएससी में असफल होने के बाद खुद को कैसे रखें मजबूत? IAS अफसर गुंजन द्विवेदी से जानें टिप्स

    By Pragati ChandEdited By:
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 03:26 PM (IST)

    IAS Success Story अगर आप भी आईएएस की तैयारी कर रहे हैं तो आपको लिए जरूरी खबर है। तैयारी के दौरान असफल होने पर खुद को पॉजिटिव रखना सबसे बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों का सामना कर अपनी मंजिल हासिल करने के लिए जानें जरूरी टिप्स...

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    Success Story: IAS अफसर गुंजन द्विवेदी। फोटो: Twitter @gunjan1610

    कुशीनगर, अजय कुमार शुक्ल। सिविल सेवा (Civil Services) की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए काम की खबर है। तमाम लोग लंबे समय से यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें सफलता अभी हाथ नहीं लगी है। ऐसे में उन्हें खुद को किस तरह सकारात्मक रखना है? ये आईएएस अफसर गुंजन द्विवेदी से जानते हैं...

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    हिम्मत की टूटी दीवार पर खड़ी की सफलता की मीनार

    यूपी के कुशीनगर जिले की मुख्य विकास अधिकारी (CDO) गुंजन द्विवेदी (Gunjan Dwivedi) नारी की मजबूत इच्छा शक्ति की सशक्त उदाहरण हैं। उन्होंने हिम्मत की टूटी दीवार पर भी मजबूत हौसले से सफलता की मीनार खड़ी की है। 2014 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और पांच वर्ष के कठिन परिश्रम से लक्ष्य हासिल करने में सफल हो गईं।

    हौसले के बल पर हासिल किया मुकाम

    आइपीएस अफसर (IPS Officer) की इस बेटी को पहले दो प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा तक में सफलता नहीं मिली, लेकिन तीसरे प्रयास में 2019 में पूरे देश में नौवीं रैंक लाकर साबित कर दिया कि धैर्य, परिश्रम और हौसला के बल पर कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। उनकी सफलता महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। नौकरी में आने के बाद लोकसेवक के रूप में भी शुरुआती दिनों में चुनौतियां सामने आईं तो उन्होंने डटकर मुकाबला किया।

    ऐसे आसान हो जाती है मुश्किलें

    उनका मानना है कि घबराने की जगह सेवाभाव से सामना करने से हर मुश्किल आसान हो जाती है। बतौर एसडीएम न्यायालय में वादकारियों के हित में साहसिक फैसले लिए। दो दशक पुराने वादों का निपटारा किया तो उच्चाधिकारियों से शाबासी मिली। कहतीं हैं कि कई बार फैसले सुनाने में परेशानी भी आई, लेकिन कभी डिगीं नहीं।

    ट्रेनिंग के समय ही शुरू कर दिया नारी जागरूकता का कार्य

    आइपीएस पिता अशोक कुमार धर द्विवेदी को प्रेरणास्रोत मानने वाली गुंजन द्विवेदी ने बुलंदशहर में नौकरी की ट्रेनिंग के दौरान ही पिता से मिले सेवाभाव की प्रेरणा से नारी जागरूकता का कार्य शुरू कर दिया। ब्लाकवार चयन कर महिलाओं में सेनेटरी पैड आदि बांटकर स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उन्हें यह भी बताया कि महिलाओं की हिस्सेदारी समाज व देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।

    इंटर में ही लोक सेवक बनने की ठान ली

    गुंजन लखनऊ में पलीं-बढ़ीं हैं। इंटर तक की पढ़ाई भी वहीं पूरी कीं। कहती हैं कि तभी ठान लिया कि आइएएस ही बनना है। दिल्ली से ग्रेजुएशन करने के दौरान पिता की कार्यशैली ने उन्हें लोकसेवा के लिए अधिक प्रेरित किया। गुंजन के पति सौमित्र सिंह एक इलेक्ट्रिक ह्वीकल कंपनी के मालिक हैं। कारोबार में उन्होंने बेहतर मुकाम हासिल किया है। गुंजन की बड़ी बहन उमंग द्विवेदी कामर्शियल टैक्स अफसर हैं। भाई समन्वय धर द्विवेदी अधिवक्ता हैं।

    बेसिक शिक्षा की समस्याओं को समझने में मिली मदद

    देवरिया की सलेमपुर तहसील में खंड शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज मिला तो बेसिक शिक्षा की व्यवस्था और उसमें आने वाली परेशानियों को समझने का मौका मिला। सीमित संसाधनों में भी बेहतर करने का प्रयास किया। परिणाम भी सकारात्मक आया। शिक्षकों की परेशानियों को भी देखा तो उन्हें बताया कि सामंजस्य बनाकर कैसे कार्य किया जा सकता है।