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    तस्वीरों में देखें- गोरखपुर की विरासत है शहर का यह पार्क, नेहरू की गिरफ्तारी से जुड़ा है इसका इतिहास

    By Pragati ChandEdited By:
    Updated: Sat, 17 Sep 2022 06:51 PM (IST)

    Nehru Park Gorakhpur गोरखपुर जिले का नेहरू पार्क तीन-तीन नामों की पहचान रखा है। इस पार्क का इतिहास कई घटनाओं से जुड़ा है। इस लेख के जरिए हम आपको तस्वी ...और पढ़ें

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    गोरखपुर का नेहरू पार्क। फोटो: पंकज श्रीवास्तव

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पार्क का ख्याल आते ही आमतौर पर खेलकूद और प्राकृतिक वातावरण में विचरण व विश्राम का दृश्य मन- मस्तिष्क में उभरने लगता है पर गोरखपुर के कुछ पार्कों को लेकर लोगों की विचारधारा सिर्फ इतनी ही नहीं है। इसकी वजह उन पार्कों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। ऐसे पार्कों का नाम आते ही उनसे जुड़े इतिहास की चर्चा शहर के बड़े-बुजुर्ग खुद-ब-खुद करने लगते हैं। उनकी नजर में आज भी वह पार्क नहीं बल्कि ऐतिहासिक स्थल हैं। नई पीढ़ी के लिए ऐसे ही एक पार्क की खास जानकारी लेकर इस बार हम आए हैं ताकि उन्हें एस पार्क में विचरण के दौरान ऐतिहासिक स्थल पर मौजूद होने का भी अहसास हो।

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    तीन नाम की पहचान रखा है यह पार्क

    शहर के व्यस्ततम बाजार और थोक मंडी साहबगंज के पश्चिम हाबर्ड बांध के किनारे एक बड़ा ही रमणीक स्थान है, जिसकी पहचान कागजी तौर पर नेहरू पार्क और बोलचाल में लालडिग्गी पार्क के रूप में होती है। कभी यह इस्माइल पार्क भी था। तीन-तीन नाम की पहचान रखने वाला यह पार्क ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ने की वजह से ही शहर की विरासत भी है।

    सतासी राजाओं से जुड़ा है लालडिग्गी नाम का इतिहास

    कालक्रम में सबसे पहले इसका नाम लालडिग्गी था। लालडिग्गी नाम का इतिहास सतासी राजाओं से जुड़ा है। दरअसल सतासी राजाओं के दूसरे नंबर के भाई को लाल बाबू कहा जाता है। जब सतासी राजा बसंत सिंह ने बसंतपुर किला बनवाया तो उनके छोटे भाई लाल बाबू किले के बगल में शासन में सहयोग के लिए बसे। आज के नेहरू पार्क में लाल बाबू की डिग्गी यानी पोखरा आज भी है। इसी कारण इसे लालडिग्गी नाम मिला।

    नेहरू की गिरफ्तारी से जुड़ा है नेहरू पार्क का इतिहास

    स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब पंडित जवाहर लाल नेहरू 1940 में गोरखपुर आए तो लालडिग्गी पार्क में उनकी सभा रखी गई। सभा का शासन द्वारा विरोध हुआ तो जस्टिस इस्माइल उन्हें अपनी बग्गी पर बैठाकर पार्क तक ले आए आए। यह बात इतनी मशहूर हुई क पार्क को ही इस्माइल साहब के नाम से जाना जाने लगा।

    तीन जून 1940 को भाषण देने के दौरान इसी पार्क से तत्कालीन कलेक्टर ने पंडित नेहरू गिरफ्तार किया। इस घटना के चलते ही बाद में इस पार्क का नाम नेहरू पार्क हो गया।