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    Guru Purnima 2025: गोरखनाथ मंदिर में बहेगी श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म की त्रिवेणी

    Updated: Thu, 10 Jul 2025 08:12 AM (IST)

    गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में विशेष आयोजन होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु गोरक्षनाथ का पूजन करेंगे और शिष्यों को आशीर्वचन देंगे। मंदिर में सात दिवसीय श्रीरामकथा की पूर्णाहुति होगी। पूजन के बाद विशाल सहभोज का आयोजन किया जाएगा जिसमें श्रद्धालु और साधु-संत शामिल होंगे। यह पर्व गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को दर्शाता है।

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    गोरखनाथ मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा में व्यासपीठ का पूजन करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सौ. मंदिर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म की त्रिवेणी बहती दिखेगी। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु गोरक्षनाथ का विधिपूर्वक पूजन कर गुरुजनों के प्रति श्रद्धा समर्पित करेंगे। इस दिन वह गुरु व शिष्य दोनों ही भूमिका में होंगे। शिष्यगण उन्हें तिलक लगाकर आशीर्वाद लेंगे। इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर, शिष्यों को आशीर्वचन भी देंगे।

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    नाथ परंपरा में गुरु और ईश्वर को एक माना जाता है। यही कारण है कि गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर्व को अत्यंत विशेष महत्व प्राप्त है। पर्व की शुरुआत गुरुवार तड़के होगी, जब योगी आदित्यनाथ, महायोगी गुरु गोरक्षनाथ का पूजन कर उन्हें पारंपरिक ‘रोट’ अर्पित करेंगे।

    गुरु पूजन के उपरांत नाथपंथ के सभी पूज्य योगियों की समाधियों पर भी विशेष पूजा संपन्न होगी । इसके बाद गोरखनाथ मंदिर के विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों में भी पूजन का आयोजन किया जाएगा। पूरे अनुष्ठान का समापन सामूहिक आरती से होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। इसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर, साधु-संतों और शिष्यों के बीच पहुंचेंगे। परंपरानुसार शिष्य उन्हें तिलक कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

    श्रीरामकथा की पूर्णाहुति

    गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी गुरुवार को होगी। यह कथा गुरु पूर्णिमा पर अपने चरम पर पहुंची है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु रामकथा श्रवण कर भाव-विभोर हुए।

    सहभोज का आयोजन

    पूजन व आशीर्वचन के बाद मंदिर परिसर में भव्य सहभोज का आयोजन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, शिष्यगण और आमजन सम्मिलित होंगे। सहभोज में सभी साथ प्रसाद ग्रहण करेंगे, ताकि गुरु-शिष्य परंपरा का सामाजिक और आध्यात्मिक स्वरूप और सुदृढ़ हो।