गोरखपुर चिड़ियाघर में कल से बदल जाएगा वन्यजीवों का भोजन, भालू खाएगा शहद
गोरखपुर चिड़ियाघर में मौसम के अनुसार वन्यजीवों का भोजन बदलता है। ठंड में मांसाहारी जानवरों की खुराक बढ़ाई जाती है, जैसे शेर और तेंदुए। पक्षियों को ठंड से बचाने के लिए कम पानी दिया जाता है। यह बदलाव जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। भालू को शहद भी दिया जाएगा।

एक नवंबर से गीता, मोना और अर्जुन को मिलेगा ज्यादा मांस
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सर्दियों की दस्तक के साथ शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में रहने वाले वन्यजीवों के खानपान में एक नवंबर बदलाव हो जाएगा। ठंड में जानवरों के शरीर का तापमान गिरने से उनकी पाचन क्षमता और शारीरिक गतिविधियों पर असर पड़ता है। ऐसे में चिड़ियाघर प्रशासन उनके स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखते हुए भोजन की मात्रा और गुणवत्ता में बदलाव करता है। वहीं अधिक ठंड पड़ने पर उन्हें सेल से बाहर निकालने के समय भी बदलाव कर दिया जाएगा।
शीतकाल में मांसाहारी जानवरों के भोजन में वृद्धि की गई है। सफेद बाघिन गीता को अब 12 की जगह 14 किलो मांस मिलेगा। तेंदुआ मोना, नारद, नंदनी व अन्य और लकड़बग्घा अर्जुन, जिन्हें पहले चार किलो मांस दिया जाता था, अब उन्हें पांच से छह किलो तक दिया जाएगा। सियार का आहार एक किलो से बढ़ाकर डेढ़ किलो और लोमड़ी को अब एक किलो मांस मिलेगा, जबकि गर्मी में आधा किलो ही मिलता था।
वहीं भालू के भोजन में भी बदलाव किया गया है। उसे सब्जियों और फलों के साथ शहद दिया जाएगा, जिसकी मात्रा 50 से 100 ग्राम तक होगी। इसके अलावा सांप घर रह रहे विभिन्न प्रजाती के सांपों को 25 दिन में चूहा और खरगोश दिया जाएगा। वहीं मगरमच्छ और घड़ियाल 20 दिन में मछलियां दी जाएंगी।
शाकाहारी जीवों को मिलेगा गुड़ और गन्ना
शाकाहारी जीवों के आहार में पोषण बढ़ाने के लिए विशेष तत्व जोड़े गए हैं। हिरन, गैंडा और अन्य शाकाहारी जीवों को भोजन के साथ अब गुड़ भी दिया जाएगा, जिससे उन्हें अतिरिक्त ऊर्जा मिल सके। गैंडे को गन्ना, शकरकंद और बरसीम की मात्रा ठंड में अधिक दी जाएगी ताकि उसकी ऊर्जा बनी रहे।
चिड़ियाघर में रहने वाले पशु-पक्षियों का भोजन मौसम के अनुसार निर्धारित है। गर्मी व वर्षा में करीब-करीब एक जैसा भोजन दिया जाता है। लेकिन ठंड में बदल जाता है। शेर, तेंदुआ, सियार, लोमड़ी व लकड़बग्घा के भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाती है। सर्दी न लगे इसके लिए पक्षियों को ठंड में कम पानी दिया जाता है।
बीसी ब्रह्मा, निदेशक, चिड़ियाघर

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