DDU News: चुनौती के साथ Gorakhpur University ने शुरू की NAAC मूल्यांकन की तैयारी, कुलपति ने डेटा संकलन के दिए निर्देश
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन की तैयारी शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने सभी विभागों को वर्ष 2024-25 का डेटा संकलित करने और वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने शोध परियोजनाओं में छात्रों की भागीदारी बढ़ाने और डेटा को अद्यतन रखने पर जोर दिया ताकि विश्वविद्यालय की रैंकिंग को सुधारा जा सके।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने ए प्लस-प्लस ग्रेड बनाए रखने की चुनौती के साथ नैक मूल्यांकन की तैयारी एक बार फिर शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने शनिवार को इसे लेकर सभी संकायाध्यक्षों और अधिकारियों के साथ बैठक की और नैक मूल्यांकन के लिए डेटा तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी विभागों को जल्द से जल्द अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने को कहा।
बैठक में कुलपति ने स्पष्ट निर्देश दिया कि वर्ष 2024-25 का समस्त शैक्षणिक, शोध और सहगामी गतिविधियों से संबंधित डेटा संकलित कर लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि नैक की आगामी मूल्यांकन साइकिल में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2024–25, 2025–26 तथा 2026–27 का विवरण सम्मिलित होगा। इसलिए प्रत्येक वर्ष का डेटा सुसंगत, पूर्ण और अद्यतन होना चाहिए, जिससे भविष्य में मूल्यांकन में कोई बाधा न आए।
प्रोफेसर टंडन ने निर्देश दिया कि 2024-25 सत्र में संचालित सभी वैल्यू एडेड कोर्सेज, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त पेटेंट एवं कापीराइट, उन्हें प्राप्त पुरस्कार/सम्मान, विभागीय प्लेसमेंट का विवरण, विभाग द्वारा आयोजित सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों की रिपोर्ट, शिक्षकों द्वारा प्रकाशित शोधपत्रों तथा पुस्तकों का विवरण, विद्यार्थियों की इंटर्नशिप की जानकारी, शोध परियोजनाएं तथा विभागीय वेबपेज का नियमित अद्यतन आदि सभी आवश्यक सूचनाएं यथाशीघ्र संकलित एवं संधारित कर ली जाएं, क्योंकि यह सभी आंकड़े नैक मूल्यांकन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
कुलपति ने यह भी निर्देशित किया कि सभी विभागाध्यक्ष अपने विभाग की शैक्षणिक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करें, जिसका प्रस्तुतिकरण सितंबर कराया जाएगा। कुलपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय की रैंकिंग को सुदृढ़ करने के लिए शोध परियोजनाओं में स्नातक एवं परास्नातक विद्यार्थियों की भागीदारी बढ़ाई जाए। इससे अनुसंधान का स्तर तो ऊंचा होगा ही, साथ ही छात्रों में नवाचार की भावना भी विकसित होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अब विभिन्न रैंकिंग एजेंसियों द्वारा समेकित एवं सटीक डेटा की मांग की जा रही है, इसलिए विश्वविद्यालय को तत्परता से इन आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिए। इसमें विभागों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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