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    गोरखपुर के सुथनी में बायो मेडिकल, ई-कचरा व खराब टायरों का होगा निस्तारण

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 11:21 AM (IST)

    गोरखपुर के सुथनी में बायो मेडिकल, ई-कचरा और खराब टायरों का निस्तारण किया जाएगा। इस पहल से शहर में प्रदूषण कम होगा और कचरा प्रबंधन बेहतर होगा। सुथनी को ...और पढ़ें

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों में किए गए हालिया बदलावों के बाद नगर निगम ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सुथनी में आधुनिक कामन बायो मेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी सेंटर की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप माडल पर स्थापित होने वाले इस प्लांट के लिए नगर निगम एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया है। इसके बनने से 650 से अधिक अस्पतालों के बायो मेडिकल कचरे के निपटान को संजीवनी मिलेगी। इसके अलावा सुथनी में टायर वेस्ट-टू-एनर्जी और ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का भी होगा निर्माण।

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    नगर निगम सुथनी इलाके में 40 एकड़ में एक इंटीग्रेटेड गार्बेज सिटी विकसित कर रहा है। इस प्लांट में कामन बायो मेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी सेंटर, टू-एनर्जी और ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के दिशा में भी कदम बढ़ा दिया गया है। इस सिटी में आधुनिक कामन बायो मेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग फैसिलिटी सेंटर के स्थापित होने के बाद जिले भर के स्वास्थ्य संस्थानों के लिए कचरा निस्तारण की एक बड़ी समस्या का स्थायी समाधान मिल जाएगा।

    सुथनी में बनने वाला यह अत्याधुनिक प्रोसेसिंग सेंटर न केवल पर्यावरण सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा, बल्कि शहर को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा। इंटीग्रेटेड गार्बेज सिटी के भीतर इस सुविधा का निर्माण अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे गोरखपुर के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती मिलेगी।

    वर्तमान में गोरखपुर में जिला अस्पताल, प्रतिष्ठित बीआरडी मेडिकल कॉलेज, एम्स, आयुष अस्पताल और लगभग 650 से अधिक छोटे-बड़े निजी नर्सिंग होम और क्लीनिक संचालित हैं। इन सभी स्वास्थ्य केंद्रों से प्रतिदिन भारी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट (जैविक कचरा) निकलता है, जिसका सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से निपटान अनिवार्य है। हालांकि कुछ संस्थाओं के द्वारा इनका निस्तारण तो किया जाता है, लेकिन काफी मात्रा में अनिस्तारित ही रह जाता है। नए केंद्र की स्थापना से इन सभी संस्थानों को एक केंद्रीकृत और विनियमित सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

    रोटरी व प्लाज़्मा तकनीक आधारित बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट
    कामन बायो मेडिकल वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के लिए फर्म का चयन निर्माण-स्वामित्व-संचालन माडल पर किया जाएगा। एजेंसी को शहर के सभी हेल्थ केयर संस्थानों से बायो मेडिकल कचरा इकट्ठा कर वैज्ञानिक विधि से उपचारित कर निस्तारण तक पहुंचाना होगा। संयंत्र में रोटरी इन्सिनरेटर, प्लाज़्मा पायरोलिसिस यूनिट, उन्नत एयर पाल्यूशन कंट्रोल सिस्टम (बैग हाउस सहित), आटोक्लेव, हाइड्रोक्लेव, माइक्रोवेव, श्रेडर, वाहन एवं कंटेनर धुलाई सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। साथ ही ईटीपी, जीपीएस युक्त कलेक्शन वाहन, परिसर में सीसीटीवी निगरानी, तथा चिमनी पर ऑनलाइन कंटीन्यूअस एमिशन मानिटरिंग सिस्टम भी स्थापित करना होगा।

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    टायर वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट
    नगर निगम सुथनी में टायर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट भी स्थापित करेगा। इन बेकार टायरों व प्लास्टिक से आयल, कार्बन ब्लैक एवं स्टील जैसे उत्पाद तैयार किया जाएगा। दरअसल टायर वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट एक ऐसी सुविधा है जो बेकार टायरों को उच्च तापमान पर गर्म करके उपयोगी ऊर्जा स्रोतों जैसे पायरोलिसिस तेल, कार्बन ब्लैक और स्टील वायर में बदलती है, जिससे लैंडफिल में टायरों का कचरा कम होता है और उन्हें ईंधन या अन्य उद्योगों के लिए मूल्यवान उत्पादों में पुनर्चक्रित किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।

    ई-वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट
    शहर में तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रानिक कचरे को देखते हुए नगर निगम ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित करवाएगा। इसके तहत बैटरी, सर्किट बोर्ड, मरकरी लैंप जैसे घटकों का सुरक्षित भंडारण एवं निस्तारण हो सकेगा। चयनित एजेंसी प्लांट निर्माण से लेकर संचालन एवं रखरखाव की जिम्मेदारी संभालेगी। ई-वेस्ट का कलेक्शन, सेग्रीगेशन, डिस्मेंटलिंग और रीसाइक्लिंग किया जाएगा। बैटरी, सर्किट बोर्ड, मरकरी लैम्प जैसे घटकों का सुरक्षित भंडारण एवं निस्तारण अनिवार्य होगा। जो सामग्री फिर से इस्तेमाल के लिए बनाने योग्य नहीं होगी, उसे रीसाइक्लरों और अधिकृत टीएसडीएफ (ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फैसिलिटी) में भेजा जाएगा।