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    गोरखपुर के लोगों के लिए खुशखबरी! शहर भर से जलभराव खत्म करने के लिए सरकार का मास्टर प्लान तैयार

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 09:49 PM (IST)

    गोरखपुर में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए नगर निगम ने ‘इंटीग्रेटेड अर्बन स्टार्म वाटर ड्रेनेज मास्टर प्लान’ तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत आधुनिक तकनीक से जल निकासी व्यवस्था का आकलन कर उसे सुदृढ़ बनाया जाएगा। 220 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण होगा। जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान की जाएगी। सीएम ने इस योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।

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    गोरखपुर में जलभराव से मुक्ति के लिए मास्टर प्लान।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महानगर की सबसे बड़ी समस्या जलभराव का अब स्थायी समाधान तलाशने की दिशा में नगर निगम ने एक अहम कदम बढ़ाया है। इसके लिए ‘इंटीग्रेटेड अर्बन स्टार्म वाटर ड्रेनेज मास्टर प्लान’ (आईयूएसडब्ल्यूडीएमपी) तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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    इस योजना के तहत आधुनिक तकनीक की मदद से शहर की मौजूदा जल निकासी व्यवस्था का वैज्ञानिक आकलन कर उसे सुदृढ़, समेकित और भविष्य के लिए सक्षम बनाया जाएगा।

    नगर निगम ने इस परियोजना के लिए गुणवत्ता एवं लागत आधारित चयन प्रक्रिया (क्यूसीबीएस) के तहत एलएस रेट ई-निविदा की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के अनुसार निविदा करने वाली फर्म को 10 लाख रुपये की जमानत राशि देनी होगी। चुनी गई फर्म को चार माह में रिपोर्ट तैयार करनी होगी।

    क्या होगा मास्टर प्लान में

    इस मास्टर प्लान के अंतर्गत 220 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण होगा। इसमें ड्रेनेज नेटवर्क का सर्वेक्षण, आंकड़ों का अद्यतन, चल रही परियोजनाओं का नए प्रस्तावों के साथ एकीकरण और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। योजना में नगर सीमा से बाहर स्थित योगदान क्षेत्रों (कैचमेंट एरिया) को भी शामिल किया जाएगा।

    प्रभाव क्षेत्र में व्यापक स्थलाकृतिक सर्वेक्षण, हाइड्रोलिक विश्लेषण, ज़ोनिंग तथा कैचमेंट/उप-कैचमेंट का विभाजन होगा। वर्षा की अधिकतम तीव्रता को ध्यान में रखते हुए सिमुलेशन माडल तैयार किए जाएंगे। अंतिम जल निकासी बिंदुओं का आकलन कर जान-माल की क्षति और प्रमुख सड़कों पर यातायात व्यवधान को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का भी प्रस्ताव होगा।

    साथ ही, जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान, परियोजनाओं की प्राथमिकता निर्धारण, यूटिलिटी मैपिंग, स्थानांतरण की लागत का आकलन और हाइड्रोलिक डिज़ाइन, ड्राइंग व लागत अनुमान भी शामिल रहेगा। नगर निगम का दावा है कि यह योजना शहर को लंबे समय तक जलभराव से राहत दिलाने में कारगर होगी।

    मुख्यमंत्री का निर्णय और बजट प्रविधान

    17 दिसंबर 2024 को कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘इंटीग्रेटेड अर्बन स्ट्राम वाटर ड्रेनेज मास्टर प्लान’ बनाने का निर्णय लिया था। प्रथम चरण में 17 शहरों को शामिल किया गया है। इसके लिए वित्तीय बजट में पहले ही 1000 करोड़ रुपये का प्रविधान किया जा चुका है।

    6.80 करोड़ खर्च कर बना पुराना प्लान, लेकिन उपयोग नहीं

    गोरखपुर नगर निगम और गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने पहले भी 50-50 फीसदी की भागीदारी के साथ 6.80 करोड़ रुपये की लागत से जियोनो कंपनी से लेडार सर्वेक्षण कराया था। 16 नवंबर 2023 को कंपनी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट (डीपीआर) सौंप दी थी। लेकिन नगर निगम ने उस डीपीआर को अनुमोदित नहीं किया।

    2019 में हुए अनुबंध के तहत 1.10 लाख रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर की दर से यह सर्वेक्षण कराया गया था। जीडीए ने अब तक कंपनी को 1.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया है जबकि शेष भुगतान लंबित है। कई वर्षों तक मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठकों में इस परियोजना की रिपोर्टिंग होती रही, लेकिन नगर निगम और अन्य कार्यदायी एजेंसियों ने इसे किसी भी परियोजना में लागू नहीं किया।

    नए सर्वेक्षण में और बढ़ेगा खर्च

    अब नगर निगम अपने पूरे 220 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का नया सर्वेक्षण कराने जा रहा है। अनुमान है कि 2019 की दरों को जोड़ने पर जीएसटी सहित 2.85 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। छह साल के अंतराल में सर्वेक्षण लागत और अधिक बढ़ने की संभावना है।

    क्यों जरूरी है यह मास्टर प्लान?

    गोरखपुर शहर हर साल बरसात में जलभराव की समस्या से जूझता है। नालों की क्षमता से अधिक वर्षा जल भर जाने के कारण सड़कें घंटों जाम रहती हैं, आवागमन ठप हो जाता है और कई इलाकों में घरों तक पानी भर जाता है। इससे न केवल जनजीवन प्रभावित होता है बल्कि स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ जाते हैं।

    मास्टर प्लान के जरिए शहर के ड्रेनेज नेटवर्क का वैज्ञानिक विश्लेषण होगा और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नई परियोजनाएं प्रस्तावित होंगी। इससे न केवल मौजूदा खामियों को दूर किया जा सकेगा बल्कि भविष्य में जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण की चुनौतियों से भी निपटने में मदद मिलेगी।

    नगर निगम अधिकारियों का मानना है कि यदि यह योजना समय पर और पूरी गंभीरता के साथ लागू की गई, तो गोरखपुर की दशकों पुरानी जलभराव समस्या का स्थायी समाधान संभव हो सकेगा।