Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोरखपुर सबरंग: क्रिसमस पर बेकरी की सोंधी खुशबू से महका शहर, छिपा है सालों का इतिहास

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 03:04 PM (IST)

    गोरखपुर शहर की पहचान यहां की पुरानी बेकरी से भी है, जिन्होंने पीढ़ियों की यादें संजोई हैं। रेलवे की स्थापना के समय केक का प्रचलन शुरू हुआ और क्रिसमस क ...और पढ़ें

    Hero Image

    दुकान में सजे बेकरी के उत्पाद। जागरण

    शहर की पहचान केवल उसके धार्मिक, साहित्यिक या शिक्षा के क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां की बेकरी भी उतनी ही पुरानी व समृद्ध हैं। पुरानी बेकरी ने न सिर्फ मिठास बेची, बल्कि पीढ़ियों की यादें गढ़ीं। स्कूल से लौटते बच्चों के हाथ में गरम पाव, त्योहारों पर सजे क्रीम केक, क्रिसमस की खुशबू बिखेरता फ्रूट केक और शादी-ब्याह में बंटने वाले बिस्किट इन सबने शहर के सामाजिक जीवन में अपनी अलग जगह बनाई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बेकरी काउंटर के पीछे खड़े कारीगरों का हुनर, तंदूर की आंच और वर्षों से चली आ रही रेसिपी इस परंपरा की असली ताकत है। समय के साथ स्वाद बदले, तकनीक बदली और प्रस्तुति में नयापन आया, लेकिन गोरखपुर की बेकरी की आत्मा आज भी वही है अपनापन और भरोसा।

    यहां की बेकरी सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि शहर की स्मृति, उत्सव और रोजमर्रा की जिंदगी का स्वाद हैं। यही वजह है कि शहर की बेकरी का इतिहास लोगों के जीवन का इतिहास भी है, जो हर दौर में मीठी खुशबू के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। शहर में बेकरी और उनके उत्पाद की बढ़ी लोकप्रियता पर प्रस्तुत है वरिष्ठ संवाददाता प्रभात कुमार पाठक की रिपोर्ट।

    वैसे तो गोरखपुर में केक के प्रचलन की शुरुआत आजादी से पहले ही रेलवे की स्थापना के समय ही हो गई थी। रेलवे में काम करने आए अंग्रेज अफसरों व कर्मचारियों ने शहर के लोगों का केक जैसे नवीन खाद्य पदार्थ से परिचय कराया लेकिन केक निर्माण की व्यवस्था को स्थायी स्वरूप आजादी के बाद मिला। क्रिसमस केक की लोकप्रियता बढ़ी तो बेकरियों की स्थापना का सिलसिला भी शुरू हो गया।

    इसके पीछे दशकों का भरोसा और कारीगरी है। शहर की कई पुरानी बेकरी ऐसी है जिन्होंने आजादी के बाद ब्रेड बिस्किट से जो शुरुआत की, वही आगे चलकर प्लम केक की पहचान बनी। समय के साथ यहां केक हर समुदाय तक पहुंचा और एगलेस व कम चीनी जैसे विकल्प जुड़े। बेकरी में केक बनाना एक अनुशासन है। धीमी आंच, सही तापमान और पारंपरिक रेसिपी।

    यही कारण है कि बढ़ती मांग के बावजूद स्वाद में स्थिरता बनी रही। इनमें कुछ बेकरी युवाओं की पसंद का केंद्र बनी और क्रिसमस केक को सेलिब्रेशन के प्रतीक में बदल दिया। डिजाइनर टापिंग और कस्टमाइज केक अब तोहफे की तरह खरीदे जाते हैं। इन्होंने नए स्वाद और सेहत केंद्रित विकल्पों से नई पीढ़ी को जोड़ा। ये आज भी एक सा स्वाद देकर भरोसे की मिसाल बनी हुई है। इन सभी बेकरी ने मिलकर क्रिसमस केक को त्योहार से निकालकर शहर की साझा संस्कृति बना दिया है।

    क्रिसमस नजदीक है और बेकरी सोंधी खुशबू बिखेरने को तैयार हैं। यह खुशबू सिर्फ क्रिसमस की नहीं बल्कि उन पुरानी बेकरी की है, जिनकी भट्ठियों में शहर के इतिहास का रंग भी गाढ़ा होता है। शहर की कुछ पुरानी बेकरी ऐसी हैं जिन्होंने दशकों से स्वाद, भरोसे और परंपरा को जिंदा रखा है।

    13GKC_M_28_13122025_496

    गुड-डे बेकरी परंपरा की पहली खुशबू
    गोरखपुर में क्रिसमस केक की चर्चा होते ही सबसे पहले जिक्र आता है गुड-डे बेकरी का। आजादी के बाद वर्ष 1952 में शुरू हुई इस बेकरी ने शहर को ब्रेड और बिस्किट का स्वाद सिखाया। शुरुआती दौर में क्रिसमस केक सिर्फ कुछ परिवारों तक सीमित था, लेकिन गुड-डे बेकरी के प्लम केक, ब्रेड व बिस्किट इसे लोकप्रिय बना दिया। बेकरी के केक न बहुत सजावटी होता है, न ज़रूरत से ज्यादा मीठा बस भरोसेमंद।

    बेकरी संचालक पुनीत बुधवारी बताते हैं कि फाउंडेंट केक, थ्री डी केक व कस्टमाइज केक उनके यहां की केकी प्रमुख वैरायटी है। यही कारण है कि दशकों बाद भी पुराने ग्राहक दिसंबर में यहीं लौटते हैं। समय बदला है, अब एगलेस और कम चीनी वाले केक भी बनते हैं, लेकिन ओवन से निकलती वही पुरानी खुशबू आज भी लोगों को अतीत में ले जाती है।

    बाबीज बेकरी: जहां अनुशासन से पकता है स्वाद
    शहर की दूसरी पुरानी बेकरी बाबीज में केक बनाना एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि परंपरा है। यहां के कारीगर मानते हैं कि अच्छा केक जल्दबाजी पसंद नहीं करता। ड्राईफ्रूट्स को पहले भिगोना, बैटर को आराम देना और धीमी आंच पर बेकिंग यही इसकी पहचान है। करीब 62 वर्ष पुरानी और 1963 में स्थापित इस बेकरी को तीसरी पीढ़ी संभाल रही है।

    संचालक अमन मल्होत्रा बताते हैं कि उनके दादा स्व.केदारनाथ मल्होत्रा ने इसे कैफे के रूप में शुरू किया था। उस समय यहां का शामी कबाब, पेस्ट्री व हाट डाग का स्वाद शहरवासियों को खूब भाया। इसके बाद इसे बेकरी का रूप मिला। लोगों के रूझान को देखते हुए हमने बेकरी के जरिये पुडीन, ब्रेड, बिस्किट, पैटीज व स्नैक्स बनाना शुरू किया। वर्तमान में केक के साथ-साथ 250 तरीके की वैरायटी हमारे तैयार होती है।

    क्रिसमस आते ही बेकरी में काम कई गुना बढ़ जाता है, लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होता। ग्राहक कहते हैं कि यहां हर साल केक का स्वाद एक सा रहता है। यही स्थिरता इसे खास बनाती है। बढ़ती मांग के बावजूद बेकरी ने साबित किया है कि अनुशासन और धैर्य से ही असली मिठास पैदा होती है।

    युवा पीढ़ी की पसंद बनी फाइन बेकरी
    शहर के धर्मशाला बाजार स्थित करीब 40 साल पुरानी फाइन बेकरी के केक, क्रीम रोल व बिस्किट युवा पीढ़ी की पहली पसंद है। बेकरी संचालक हिदायतुल्ला बताते हैं कि 1985 में स्थापित इस बेकरी ने हमेशा ग्राहकों की पंसद व स्वाद का ध्यान रखा।

    हमारे यहां के केक सिर्फ खाने की चीज नहीं, बल्कि सेलिब्रेशन का भी हिस्सा है। चाकलेट गनाश, रंगीन टापिंग और कस्टम मैसेज वाले केक युवाओं की पहली पसंद बन चुके हैं। हर वर्ष दिसंबर में यहां प्री आर्डर का दबाव रहता है। जन्मदिन, आफिस पार्टी हर मौके पर क्रिसमस केक नजर आने लगा है। फाइन बेकरी ने यह दिखाया कि परंपरागत केक भी नए अंदाज में पेश होकर नई पीढ़ी से जुड़ सकता है।

    यह भी पढ़ें- गोरखपुर सबरंग: खेल के फलक पर चमकती गोरक्षनगरी, राष्ट्रीय स्तर पर बिखेर रहा है चमक

    मनोरंजन बेकर्स 52 साल पुरानी विरासत
    शहर के विजय चौक स्थित मनोरंजन बेकर्स शहर की उन चुनिंदा दुकानों में से है, जिन्होंने गोरखपुर में विदेशी चाकलेट के कारोबार की नींव रखी। प्रतिष्ठान के संचालक नरेंद्र मृगवानी बताते हैं कि उनके पिता ने 52 साल पहले बेकरी का काम शुरू किया था। विजय चौक पर वे पिछले 28 सालों से यह दुकान चला रहे हैं।

    वे बताते हैं, पहले हमारा संयुक्त परिवार था और सब मिलकर काम करते थे, लेकिन जैसे-जैसे परिवार बढ़ा, सभी ने अपना कारोबार शुरू किया। हमने कभी अपनी क्वालिटी से समझौता नहीं किया। हमारे यहां मफिन्स और केक की खास वैरायटी है, जिसे लोग जिले के बाहर तक ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां 35 से 40 साल पुराने ग्राहक आज भी उसी स्वाद की तलाश में आते हैं।

    13GKC_M_26_13122025_496


    माखन भोग दादा जी के जमाने का स्वाद व मक्खन की खुशबू
    सिनेमा रोड स्थित माखन भोग के कन्हैया लाल केसरवानी ने बताया कि उनके दादा स्व.रीझुमल्ल ने 1953 में बेकरी का काम शुरू किया था। तब से आज तक यह अनवरत चल रहा है। वे बताते हैं, हमारी कुकीज मक्खन से बनती हैं, जिसका स्वाद लोगों को दूर-दूर से खींच लाता है। पुराने समय में लोग घर से सामान घी, मैदा लेकर आते थे और सामने बैठकर बिस्कुट बनवाते थे लेकिन अब व्यस्तता के चलते लोग बना बनाया सामान पसंद करते हैं।

    यहां की नानखटाई, बटर क्रीम रोल और खारी बिस्कुट में आज भी हाथ के हुनर और बिना प्रिजर्वेटिव वाली शुद्धता का स्वाद मिलता है। जब आप यहां से एक टुकड़ा ब्रेड या एक बिस्कुट खरीदते हैं, तो आप केवल एक उत्पाद नहीं खरीदते बल्कि शहर के एक मीठे इतिहास का स्वाद लेते हैं।

    माडेला बेकर्स : पीढ़ियों को जोड़ता स्वाद
    सिनेमा रोड स्थित माडेला बेकर्स के पवन कुमार आहूजा बताते हैं कि उनकी दुकान 1980 में शुरू हुई थी। वह दौर अलग था, और आज भी ग्राहकों का जुड़ाव हमेशा रहता है। वे बताते हैं, अक्सर लोग अपने बच्चों के साथ आते हैं और कहते हैं हम अपने बचपन में यहां से केक बनवाते थे, आज तुम्हारे लिए बनवा रहे हैं। यह सुनना हमारे लिए सबसे बड़ी कमाई है।

    भले ही शहर में आधुनिक बेकरियां खुल गई हों, लेकिन पुराने ग्राहकों के लिए इन दुकानों की ईमानदारी और स्वाद ही सबसे अहम है। उन्होने बताया कि यह शहर की काफी पुरानी बेकरी हैं, जो अपनी पारंपरिक भट्टियों और गुप्त पारिवारिक व्यंजनों के साथ शहर की विरासत को जीवित रखे हुए हैं। भले ही अब नए और आधुनिक आउटलेट खुल गए हैं लेकिन हमारा स्वाद आज भी लाजवाब हैं।