गोरखपुर में हत्या के बाद मचा बवाल, फूंकी गई तस्करों की पिकअप को चला रहा था मुरादाबाद का शाने आलम
गोरखपुर में छात्र हत्याकांड के बाद जलाई गई पिकअप बरेली के तस्लीम की निकली। क़िस्त न चुका पाने से तस्लीम ने गाड़ी बेच दी थी। एसटीएफ जांच में पता चला कि पिकअप से बिहार और पश्चिमी यूपी तक तस्करी हो रही थी। पुलिस तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी है और मामले की गहराई से जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। छात्र की हत्या के बाद गांव के लोगों ने जिस पिकअप को आग के हवाले कर दिया जांच में बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र के अभयपुर निवासी तस्लीम खान की निकली।छानबीन करने पर पता चला कि तस्लीम ने इस गाड़ी को पिछले वर्ष बेच दिया था। एसटीएफ व बरेली पुलिस ने गहनता से छानबीन की तो पता चला कि वर्तमान में वह पिकअप मुरादाबाद के बिलारी में रहने वाला शाने आलम चला रहा है।
नंबर प्लेट के जरिए गाड़ी मालिक की पहचान होने पर गोरखपुर पुलिस ने मामले की जानकारी बरेली के एसएसपी को देने के साथ ही तस्लीम के बारे में जानकारी मांगी।स्थानीय पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि तस्लीम ट्रक ड्राइवर है। जिस पिकअप को जलाया गया है।
तस्लीम ने उसे लोन पर लिया था, किस्त नहीं भर पाने की वजह से उसने 26 दिसंबर, 2024 को भोजीपुरा के ही मिर्जापुर पचोदरा निवासी नबी जान को बेची थी। टीम नवी जान के पास पहुंची तो पता चला कि नवी जान भी उसक पिकअप को इसी वर्ष 25 फरवरी को रामपुर के टांडा निवासी सोनू को बेच चुका था।
पुलिस की टीम लगातार गाड़ी की चेन का पीछा करते हुए रामपुर पुलिस से संपर्क किया। वहां से पता चला कि सोनू राम ने इस पिकअप को खरीदा जरूर था लेकिन नौ अप्रैल, 2025 को उसने यह मुरादाबाद के बिलारी निवासी शानूे आलम को बेच दिया।
वर्तमान में यह पिकअप शाने आलम ही चला रहा है। आशंका है कि इस तस्करी में मुरादाबाद का कनेक्शन जुड़ रहा है। वहां की पुलिस टीम भी अब इस मामले में जुट गई हैं। वहीं पुलिस के मुताबिक, तस्लीम और नबी जान का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं हैं।
ग्रामीणों ने जिस तस्कर को पकड़ा है उसकी पहचान बिहार के गोपालगंज के निवासी अजब हुसैन के रूप में हुई। पिकअप के खरीदारों से पूछताछ व जांच में मिली जानकारी के जरिए एसटीएफ के साथ ही जिले की पुलिस तस्करों गिरोह के तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है।
बिहार व पश्चिमी यूपी के गैंग ने वारदात को दिया अंजाम
एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश मंगलवार शाम सात बजे गोरखपुर पहुंचे। उन्होंने सर्किट हाउस में एडीजी जोन मुथा अशोक जैन, डीआइजी रेंज डा. एस चनप्पा और एसएसपी राजकरन नय्यर के साथ बैठक की और घटनास्थल का निरीक्षण किया।
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पीड़ित परिवार से बातकर घटना के बारे में जानकारी ली।एसटीएफ की जांच में सामने आया कि इस पिकअप के जरिए केवल गोरखपुर ही नहीं बल्कि बिहार और पश्चिमी यूपी तक पशुओं की तस्करी हो रही थी। बिहार के गोपालगंज, सिवान और कुशीनगर के तस्करों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस अब तस्लीम के पुराने कनेक्शन और उससे जुड़े बैंक व मोबाइल डिटेल खंगाल रही है।
पुलिस रिकार्ड बताते हैं कि पिछले पांच साल में 250 से अधिक पशु तस्कर पकड़े गए, गैंग्सटर एक्ट की कार्रवाई हुई, लेकिन गिरोह हर बार नई शक्ल लेकर सामने आ गया। बरेली के तस्लीम की पिकअप पकड़े जाने से यह साफ हो गया है कि नेटवर्क पश्चिमी यूपी से लेकर बिहार तक फैला है।
अब एसटीएफ के साथ ही जिले की पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती तस्करों के नेटवर्क को बेनकाब करना है।एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने अधिकारियों के साथ हुई बैठक में साफ कहा कि तस्करी नेटवर्क को हर हाल में तोड़ा जाएगा। घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
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