गोरखपुर में बनी साड़ियां बिखेर रही सूरत सी चमक, स्थानीय महिलाओं को मिल रहा रोजगार
गोरखपुर में बनी साड़ियां इन दिनों सूरत सी चमक बिखेर रही हैं। इन साड़ियों के निर्माण से स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, जिससे उनका जीवन स्तर सुधर ...और पढ़ें

गोरखपुर में बनी साड़ियां।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर अब केवल अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तेजी से एक औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप, स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा मिलने से अब यहां बड़े पैमाने पर आधुनिक और आकर्षक साड़ियों का निर्माण शुरू हो गया है।
विशेष रूप से गोरखपुर के खजनी रोड पर खानिमपुर क्षेत्र में बनी डिजाइनर साड़ियों ने पूर्वांचल के साथ-साथ पड़ोसी राज्य बिहार के बाजारों में भी धूम मचा रही है।
साथ ही गोरखपुर की यह फैक्ट्री ‘वोकल फॉर लोकल’ का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शासन और प्रशासन का सहयोग मिलता रहता है तो आने वाले समय में गोरखपुर देश के प्रमुख टेक्सटाइल केंद्रों में से एक के रूप में अपनी पहचान स्थापित करेगा।
पिता के मार्गदर्शन में सुमित बदल रहे फैक्ट्री की सूरत
खजनी रोड पर खानिमपुर के युवा उद्यमी सुमित चंद अपने पिता दयाराम के मार्गदर्शन में साड़ी बनाने की इस फैक्ट्री को संचालित कर रहे हैं। सुमित ने न केवल आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया है, बल्कि बाजार की मांग को समझते हुए साड़ियों के डिजाइन और फैब्रिक पर भी विशेष काम किया है।
यही कारण है कि यहां तैयार होने वाली साड़ियों की फिनिशिंग और डिजाइन बड़े शहरों के ब्रांड्स को टक्कर दे रही हैं। सुमित ने बताया कि उनके पिता दयाराम वर्षों से सूरत में साड़ी की बनाने का हुनर सीखा और उसके बाद खुद की फैक्ट्री शुरू की। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से करीब 42 लाख का ऋण लेकर खानिमपुर में साड़ी की अपनी फैक्ट्री शुरू की।
अब पिता के मार्गदर्शन में उनकी फैक्ट्री से रोजाना काफी संख्या में साड़ियां तैयार हो रही हैं। उनकी फैक्ट्री में तैयार साड़ियां सूरत से आने वाली साड़ियों को जमकर टक्कर दे रही हैं।
हालांकि फैक्ट्री को बेहतर ढंग से संचालन के लिए सरकारी योजना का लाभ पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। गीडा में आयोजित ट्रेड फेयर में भी उन्हें कुछ व्यापारियों से ऑर्डर मिले हैं।
महिला सशक्तीकरण को भी मिल रहा है बल
इस उद्यम की बड़ी विशेषता इसका सामाजिक प्रभाव भी है। सुमित चंद की इस पहल से 20-25 स्थानीय महिलाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। ये महिलाएं साड़ियों की फिनिशिंग, कढ़ाई और पैकिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में दक्ष हो चुकी हैं। इससे न केवल उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरी है, बल्कि वे आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ा रही हैं।
पूर्वांचल और बिहार के बाजारों में जबरदस्त मांग
गोरखपुर में बनी इन साड़ियों की चमक केवल जिले तक सीमित नहीं है। देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, गोंडा और महराजगंज जैसे पूर्वांचल के जिलों के अलावा बिहार के सिवान, छपरा और गोपालगंज के बाजारों में भी इन साड़ियों की भारी मांग है। शादियों के सीजन और त्योहारों के दौरान यहाँ का उत्पादन अपनी पूरी क्षमता पर होता है, ताकि बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
बड़े व्यापारियों का बढ़ा भरोसा, मिल रहे हैं भारी ऑर्डर
सुमित चंद ने कहा कि पहले गोरखपुर के बड़े साड़ी व्यापारी सूरत, बनारस या कोलकाता जैसे शहरों से माल मंगवाते थे। लेकिन अब गुणवत्ता और आकर्षक डिजाइनों के कारण, गोरखपुर के कई व्यापारियों ने स्थानीय स्तर पर ही आर्डर देना शुरू कर दिया है। इससे परिवहन लागत में कमी आई है और व्यापारियों को अपनी पसंद के अनुसार कस्टमाइज्ड डिजाइन तैयार करवाने की सुविधा मिल रही है।

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