सिस्टम पर सवाल: गोरखपुर में प्लेटफार्म नंबर एक के कैब वे पर ही रख दिया रेलवे स्टेशन का कूड़ा, यात्री हो रहे परेशान
गोरखपुर रेलवे स्टेशन के कैब वे पर कूड़े का अंबार लगने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दुर्गंध के कारण यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर खड़ा होना भी मुश्किल हो गया। इंटरसिटी एक्सप्रेस के एसी कोचों के टॉयलेट में भी गंदगी फैली हुई थी जिससे यात्रियों विशेषकर महिलाओं और बच्चों को काफी दिक्कत हुई।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सुबह 05:45 बजे रवाना होने वाली 15031 नंबर की गोरखपुर-लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस को पकड़ने के लिए यात्री 05:00 बजे से ही प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंचने लगे। गेट नंबर सात से प्लेटफार्म पर प्रवेश करने वाले यात्रियों का कैब वे पर पहुंचते ही मन खिन्न हो जा रहा था।
कैब वे के बीच में ही रेलवे स्टेशन का कूड़ा रखा हुआ था। कूड़ा चारों तरफ इधर-उधर फैल रहा था। कूड़ा से उठने वाला दुर्गंध लोगों को परेशान कर रहा था। यात्रियों की परेशानियों को कोई संज्ञान लेने वाला नहीं था। जबकि, एक दिन पहले ही गोरखपुर जंक्शन पर सोल्लास स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर गोरखपुर जंक्शन समेत पूर्वोत्तर रेलवे में दो अगस्त से जोर-शोर से स्वच्छता पखवारा मनाया जा रहा है।
इंटरसिटी एक्सप्रेस से लखनऊ जा रहे सर्वेश कुमार दूबे, चन्द्र भान, उदयवीर और दीपक आदि यात्रियों का कहना था कि ट्रेन के विलंब होने पर यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई। सुबह 05:30 बजे तक यात्रियों की भीड़ जुट गई। कूड़ा से उठने वाली बदबू के चलते चार पहिया से उतरने वाले यात्री कैब वे पर खड़ा नहीं हो पा रहे थे।
प्लेटफार्म तक दुर्गंध पहुंच रही थीं। आसपास खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। कूड़ा को देख लगा रहा था कि सफाईकर्मी रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्मों का कूड़ा कैब वे पर ही जमा कर रहे हैं। स्टेशन प्रबंधन ने कूड़ा निस्तारण के लिए स्टेशन परिसर के बाहर प्रबंधन किया है।
ट्रेन सुबह सात बजे लखनऊ के लिए रवाना हुई तो यात्रियों ने राहत की सांस ली। लेकिन सफर में भी गंदगी और दुर्गंध ने यात्रियों का पीछ़ा नहीं छोड़ा। यात्रियों का कहना था कि कैब वे और प्लेटफार्म ही नहीं ट्रेनों में भी गंदगी पसरी थी। कोच नंबर सी टू में 31, 32 और 33 नंबर सीट पर यात्रा कर रहे यात्रियों का कहना था कि एसी कोचों के टायलेट भी दुरुस्त नहीं थे। पसरी गंदगी के चलते लोग टायलेट में नहीं जा पा रहे थे।
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बच्चों, महिलाओं और मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी। सफाई व्यवस्था नदारद थी। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि जब रेलवे के कार्य आउटसोर्स से कराए जाएंगे तो यात्रियों को परेशानी उठानी ही पड़ेगी। रेलवे प्रशासन ने स्टेशन ही नहीं ट्रेनों की सफाई व्यवस्था भी निजी हाथों में सौंप दी है।
निजी कंपनियां कर्मचारियों को न समय से पूरा मानदेय दे रहीं और न पीएफ की कटौती कर रहीं। पिछले दिनों वेतन नहीं मिलने पर स्टेशन के सफाईकर्मियों ने स्टेशन पर कार्य करने वाले सफाईकर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। रेलवे प्रशासन उदासीन बना हुआ है।
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