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    UP Panchayat Election: गांव में चढ़ रहा चुनावी बुखार, निशाने पर प्रधान से सफाई कर्मी तक

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 03:41 PM (IST)

    गोरखपुर में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है और इसके साथ ही शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो गया है। पंचायतीराज विभाग में शपथ पत्रों के साथ और बिना शपथ पत्रों के ढेरों शिकायतें दर्ज हो रही हैं जिनमें भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में अनियमितता के आरोप हैं। अधिकारी इन शिकायतों की जांच में जुटे हैं वहीं परिसीमन का कार्य भी तेजी से चल रहा है।

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    पंचायत चुनाव से पहले शिकायती धमाका, 10 सही तो 100 फर्जी, विभाग हलकान। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पंचायत चुनाव की तैयारियां गति पकड़ने के साथ ही गांव-गांव चुनावी बुखार भी तेजी से चढ़ने लगा है। माहौल गरमा गया है। चुनाव अभी अगले साल प्रस्तावित है, लेकिन शिकायतों की झड़ी अभी से लगने लगी है। इनमें कुछ सही तो ज्यादातर फर्जी हैं।

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    एक महीने में शपथ पत्र पर आठ-दस प्रधानों के खिलाफ पंचायतीराज विभाग में शिकायतें पहुंची हैं तो सादे कागजों पर शिकायतों की संख्या 200 पार कर गई है। हर कोई जांच की मांग कर रहा है। विभाग के अधिकारी, कर्मचारी शपथपत्र पर शिकायतें करने को कह रहे तो लोग बहस पर उतर आ रहे हैं।

    यूं तो विभाग बिना शपथ पत्र की शिकायतों को किनारे कर दे रहा है, लेकिन शिकायतकर्ताओं को समझाने में पसीना छूट जा रहा है। कहीं सड़क अधूरी, तो कहीं हवा में नाली बनाकर फंड खा जाने का दावा किया जा रहा है।

    शिकायतों में सबसे ज्यादा मामले सड़क, नाली, पंचायत भवन और मनरेगा जैसी योजनाओं के कार्यों में गुणवत्ता की कमी और भ्रष्टाचार से जुड़ी हैं। कई पंचायतों में सफाई व्यवस्था की बदहाली भी प्रमुख मुद्दा बनी हुई है। पिछले 15–20 दिनों में पांच सफाईकर्मी निलंबित किए जा चुके हैं। आरोप है कि कई गांवों में हफ्तों से झाड़ू नहीं चली और नालियों का हाल बेहाल है।

    गांवों में इन शिकायतों को लेकर अलग ही हलचल है। जहां कुछ प्रधान अपने खिलाफ शिकायतों को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं, वहीं कई शिकायतकर्ता खुद को जनता का वकील कहकर प्रचार कर रहे हैं। इस समय शिकायत करना भी एक तरह से 'चुनावी तैयारी' बन चुका है।

    डीपीआरओ नीलेश प्रताप सिंह का कहना है कि हर महीने 10 से 15 शिकायतें शपथ पत्र सहित मिल रही हैं। इनकी जांच भी कराई जा रही है। लेकिन, बिना शपथपत्र वाली शिकायतें सैकड़ों में हैं, जिनकी जांच का प्रविधान फिलहाल नहीं है।

    इस स्थिति ने शिकायतों को गंभीर बनाम सामान्य के दो वर्गों में बांट दिया है। एक ओर गंभीर आरोपों की कानूनी जांच चल रही है, तो दूसरी ओर 'मुंह जुबानी' आरोपों का अंबार अधिकारियों की टेबल पर धूल फांक रहा है।

    उधर, पंचायत, क्षेत्र और जिला पंचायतों के परिसीमन का काम भी तेजी से चल रहा है। मंगलवार को प्रस्तावित परिसीमन सूची जारी कर दी गई है, और जनता से आपत्तियां मांगी गई हैं। 10 अगस्त तक फाइनल सूची प्रकाशित कर दी जाएगी, जिसके बाद पंचायत चुनाव की दिशा और दशा तय होगी।