गोरखपुर 26वीं बटालियन PAC की खरीद में गड़बड़ी की जांच अंतिम दौर में, हंगामे के बाद हुआ था खुलासा
गोरखपुर पीएसी 26वीं बटालियन में खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार की जांच अंतिम चरण में है। महिला रिक्रूटों के हंगामे के बाद शुरू हुई जांच में पिछले दस वर्षों में हुए लाखों के भुगतान में अनियमितताएं पाई गई हैं। जांच अधिकारी ने फाइलों का सत्यापन कर वेंडरों के बयान दर्ज किए हैं। रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपी जाएगी जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पीएसी 26वीं बटालियन की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच अब अपने निर्णायक चरण में पहुंच चुकी है। बीते 10 वर्षों के दौरान हुए लाखों रुपये के भुगतान और सामग्रियों की खरीद को लेकर उठे सवालों की पुष्टि करते हुए जांच अधिकारी ने न केवल सभी फाइलों का सत्यापन कर लिया है बल्कि वेंडरों के बयान भी दर्ज कर लिए हैं। अब पूरा मामला पुलिस मुख्यालय को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट पर है,जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई शुरू होगी।
मामले की शुरुआत 24 जुलाई को महिला रिक्रूटों के हंगामे से हुई थी। लखनऊ से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने जब बटालियन में सामग्रियों का भौतिक निरीक्षण किया, तो यह देखकर हैरानी हुई कि जिन वस्तुओं का भुगतान फाइलों में दर्ज था, वे मौके पर मिली ही नहीं।
इससे साफ संदेह जताया गया कि या तो सामान खरीदा ही नहीं गया या फिर उसे कहीं और भेज दिया गया।प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने डीआइजी पीएसी अरुण कुमार श्रीवास्तव को जांच की जिम्मेदारी सौंपी।
उन्होंने न केवल हाल की खरीद बल्कि बीते दस वर्षों में हुए सभी भुगतानों की गहन जांच शुरू की। बताया जाता है कि निलंबित कमांडेंट आनंद कुमार की तैनाती 2 फरवरी 2024 को हुई थी, जबकि आरटीसी प्रभारी संजय राय वर्ष 2014 से ही यहां टिके हुए थे।
संजय की तैनाती कहीं और थी, लेकिन प्रभाव और दबाव के चलते वह लगातार इस पद पर बने रहे।पीएसी सूत्रों के मुताबिक, जांच अधिकारी ने हर एक फाइल का मिलान कराया और जिन वेंडरों से सामान खरीदा गया, उनके भी बयान दर्ज किए। अब जांच लगभग पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेजने की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी है।
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