UP Property Registry: ...तो इस तरह यूपी में 1300 से अधिक संपत्तियों की हो गई रजिस्ट्री, अब फर्जीवाड़े के खुले राज
गोरखपुर में आयकर विभाग ने संपत्ति विलेखों की जांच में 1300 से अधिक फर्जी पैन कार्ड का पता लगाया है। विभाग ने सदर तहसील के उप निबंधक कार्यालय का निरीक्षण किया जिसमें पिछले तीन वर्षों के 50 हजार विलेखों की जांच की गई। कई मामलों में आय छिपाने के लिए गलत पैन कार्ड का उपयोग किया गया था।

अरुण चन्द, गोरखपुर । आयकर विभाग की ओर से सदर तहसील क्षेत्र की संपत्तियों के विक्रय विलेखों की जांच में अब तक सैकड़ों की संख्या में फर्जी या गलत पैन पाए जा चुके हैं। आयकर विभाग गोरखपुर, लखनऊ और वाराणसी की इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इनवेस्टीगेशन टीम, पांच अगस्त, 2025 को सदर तहसील के उप निबंधक द्वितीय कार्यालय का गहन निरीक्षण करने के बाद पिछले तीन साल के करीब 50 हजार डीड विलेखों का इंडेक्स साथ लेते गई थी। जैसे-जैसे इन विलेखों की जांच आगे बढ़ रही है टीम फर्जी या गलत पैन चिह्नित करती जा रही है।
आयकर विभाग के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अब तक 1,300 से अधिक ऐसे पैन कार्ड नंबर पाए गए हैं, जो फर्जी हैं या गलत हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे पैन नंबर हैं, जिन्हें रजिस्ट्री विभाग की ओर से ही इंडेक्स में गलत दर्ज कर दिया गया था।
ऐसे डीड विलेखों की सूची रजिस्ट्री विभाग को भेज दी गई है, जहां विभाग ने अपने पास मौजूद संबंधित पैन कार्ड की फोटो कापी से मिलान कर इस चूक को दुरुस्त भी कर लिया है।
स्पष्ट कर दें कि आयकर विभाग डीड विलेखों का जो इंडेक्स साथ लाई है, उसमें रजिस्ट्री विभाग की ओर से क्रेता, विक्रेता, राजस्व गांव, गाटा संख्या, चौहद्दी, कीमत का सरकारी आकलन समेत कई अन्य जानकारियों के साथ पैन का नंबर दर्ज किया जाता है। पैन की फोटो कापी रजिस्ट्री विभाग के पास डीड विलेखों की एक प्रति के साथ सुरक्षित रहती है।
जांच में यह भी सामने आ रहा है कि आय का स्रोत छिपाने के लिए संपत्ति व्यक्तिगत नाम से खरीदी गई और जो पैन कार्ड लगाया गया वह फर्म के नाम से दर्ज है।
यह भी तथ्य सामने आ रहा है कि एक करोड़ या उससे अधिक की संपत्ति में दो, चार, पांच या उससे अधिक हिस्सेदार हैं लेकिन, रजिस्ट्री के अभिलेखों में सिर्फ एक ही पैनकार्ड लगाया गया है, जबकि संपत्ति का पूर्व में तय हिस्सा सभी को मिला है। यानी सभी की आय हुई है। बड़ी संख्या में रजिस्ट्री में यह खेल हुआ है।
50 लाख या उससे अधिक की खरीदी जा रही कुछ संपत्तियों की रजिस्ट्री में भी जो पैन कार्ड लगाया जा रहा है, जांच में पता चल रहा है कि उससे कभी कोई रिटर्न ही नहीं भरा गया। आयकर टीम पहले बड़ी रजिस्ट्री के विलेखों को प्राथमिकता के आधार पर जांच रही है।
फर्जी पैन कार्ड के मामले में डीड विलेख के जरिए जानकारी जुटाकर संबंधित को नोटिस देकर कार्रवाई करने के साथ ही अन्य विधिक कार्रवाई की भी तैयारी की जा रही है। नोटिस देकर इनसे पूछा जाएगा कि जब आय हुई तो उसके मुताबिक रिर्टन क्यों नहीं दाखिल किया गया।
यही नहीं ऐसे सभी लोगों के बैंक खातों के पिछले पांच या उससे अधिक वर्षों का लेखा-जोखा भी जांचा जाएगा। टीम, पूरा हिसाब लेगी। उधर, रजिस्ट्री कार्यालय में संपत्ति के विलेखों में भी अब सभी हिस्सेदारों के पैन कार्ड का जिक्र अनिवार्य किया जाएगा।
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