Dog Attack: आक्रामक की परिभाषा कठिन, कुत्ते तो कभी भी कर देते हैं हमला
गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है जिससे नागरिक भयभीत हैं। नगर निगम कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण अभियान चला रहा है लेकिन नागरिकों का मानना है कि कुत्तों को शेल्टर होम में रखना ही एकमात्र उपाय है। नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। आवारा कुत्तों को लेकर लोगों में भय बढ़ता ही जा रहा है। शहर की सड़कों, गलियों से लेकर गांव तक में घूम रहे हजारों की संख्या में आवारा कुत्तों में कौन आक्रामक है और कौन नहीं, इस पर बहस छिड़ गई है।
लोगों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से आवारा कुत्तों से होने वाली परेशानी और खौफ को समझा है, वह अपने बदले फैसले पर फिर विचार करेगा और इनकी संख्या पर लगाम लगाने के साथ सड़कों पर घूम रहे सभी कुत्तों को शेल्टर होम में पहुंचाने जैसे एनसीआर के परिप्रेक्ष्य में लिए गए पूर्व के अपने कड़े फैसले का पूरे देश में विस्तार करेगा।
गोरखपुर नगर निगम करीब छह महीने से महानगर में निराश्रित कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने और रैबीज से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक एनिमल बर्थ कंट्रोल-एंटी रैबीज वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। अब तक 2,579 कुत्तों को पकड़ने के बाद उनको एंटीक रेबीज वैक्सीन लगाने के अलावा उनका बंध्याकरण किया जा चुका है।
अब नगर निगम ने कुत्तों को पकड़ने के अलावा शहर में कुत्तों की संख्या की गणना करने के लिए नए सिरे से एजेंसियों को आमंत्रित किया है। फिलहाल नगर निगम के एबीसी सेंटर के शेल्टर में करीब 160 कुत्तों को रखने की क्षमता है। सिर्फ घायल कुत्तों को ही यहां रखने की योजना है।
वर्तमान में संचालन कर रही फर्म चैरिटेबल वेलफेयर सोसाइटी फार ह्युमन काइंड एंड एनिमल वेलफेयर ने 19 मार्च से कुत्तों के वैक्सीनेशन और बंध्याकरण का काम कर रही थी। लेकिन, अब नगर निगम ने गुरुवार को नई शर्तों के साथ पुन: टेंडर जारी किया है।
नई चयनित फर्म निराश्रित कुत्तों की संख्या गिनने, नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्स्थापन की प्रक्रिया करेगी। मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ रोबिन चंद्रा ने बताया कि नगर निगम का उद्देश्य न केवल कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण पाना है, बल्कि नागरिकों को कुत्तों से सुरक्षित करना भी है।
- हाल के कुछ महीनाें में आवारा कुत्ते और आक्रामक हो गए हैं। महानगर की प्रमुख समस्याओं में अब ये कुत्ते भी एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। कुत्ते तो कभी भी आक्रामक हो जाते हैं। सड़क पर शांत बैठा कुत्ता भी अचानक काट लेता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नगर निगम इनकी पहचान कैसे करेगा, यह बड़ा सवाल है। - तान्या जायसवाल, मोहद्दीपुर
- अवारा कुत्तों का झुंड कभी भी किसी पर हमला कर देता है। इन्हें पकड़कर शेल्टर होम में डालना ही इनसे बचाव का सशक्त माध्यम है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पहले फैसला लिया था तो लोगों को इनसे छुटकारे की उम्मीद बंधी थी। फिर, फैसला ही बदल गया। कौन कुत्ता आक्रामक है, कौन सामान्य, ये बता पाना कठिन है। - रश्मि अग्रवाल, सिविल लाइन
- शहर के हर मोहल्ले में आवारा कुत्तों का आतंक है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को सर्वाधिक खतरा है। कुछ गलियों में तो लोग रात को डर की वजह से निकलते ही नहीं। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से इनसे बचाव की उम्मीद जगी है, लेकिन यह भी बड़ा सवाल है कि कैसे पहचाना जाएगा कि कौन आक्रामक कुत्ता है, कौन सामान्य । - रोहित, जाफरा बाजार
- दो दिन पूर्व ही कुछ सामान लेकर जा रहे दो छोटे बच्चों पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था। हम लोगों ने दौड़कर बच्चों की जान बचाई। हाथ में प्लास्टिक या थैले में रखकर कुछ भी सामान लेकर जाइए, पीछे से कुत्ते नोंचने लगते हैं। इसी फेर में लोगों को काट भी लेते हैं। - सिराज खान, घासी कटरा
- कुत्ते हमला बोलने के पहले किसी विशेष भूमिका में थोड़े ही नजर आते हैं। आप रास्ते पर चल रहे हैं, अचानक पास में बैठा या खड़ा कुत्ता कभी भी काटने को दौड़ जाता है। ऐसे में यह पता कर पाना बहुत कठिन होगा कि कौन कुत्ता आक्रामक है और कौन सामान्य। सुप्रीम कोर्ट का पूर्व का फैसला काफी राहत देने वाला था। - वंश सिंह, पुर्दिलपुर
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- कुत्ते गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं। लोगों पर जानलेवा हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। इसका संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट का कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश जनहित में बड़ा फैसला है। सिर्फ आक्रामक ही नहीं सभी तरह के आवारा कुत्तों पर इसे लागू किया जाना, और हितकर साबित हो सकता है। - विजय कुमार सिंह एडवोकेट, दीवानी कचहरी
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