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    UP News: गोरखपुर में एक अक्षर के गलत प्रयोग ने लगा दी ढाई करोड़ की चपत, पूरा मामला जानकर हो जाएंगे हैरान

    Updated: Thu, 26 Sep 2024 11:39 AM (IST)

    गोरखपुर में एक रियल एस्टेट कंपनी को एक अक्षर की गलती के कारण लगभग ढाई करोड़ रुपये का अधिक स्टाम्प शुल्क देना पड़ रहा है। कंपनी ने पावर ऑफ अटॉर्नी (मुख ...और पढ़ें

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    स्टाम्प शुल्क अध‍िक देने को मजबूर हैं लोग। जागरण (सांकेतिक तस्‍वीर)

    उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। अक्षरों की भी मौद्रिक कीमत हो सकती है? आमतौर पर इसका उत्तर न में मिलेगा। बौद्धिक रूप से, साक्षरता की दृष्टि से इसे कीमती माना जाता है, लेकिन मौद्रिक रूप से शायद नहीं। लेकिन कभी-कभी इसका गलत इस्तेमाल हो जाए तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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    गोरखपुर के निबंधन कार्यालय में इन दिनों एक ऐसा ही मामला चर्चा में है। प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर की नामी कंपनी को एक अक्षर के गलत प्रयोग के चलते लगभग ढाई करोड़ रुपये (दो करोड़ 42 लाख) का अधिक स्टाम्प शुल्क देने को मजबूर होना पड़ रहा है।

    यह गलती पावर आफ अटार्नी (मुख्तारनामा) के प्रकार को लेकर हुई है। आमतौर पर खंडनीय मुख्तारनामा का ही प्रयोग किया जाता है। 28 दिसंबर, 2023 से पहले इस तरह के मुख्तारनामा पर 100 रुपये का ही स्टाम्प लगता था और अनुबंध हो जाता था। लेकिन, यदि मुख्तारनामा अखंडनीय रहे तो पूरा स्टाम्प देना होता है।

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    कंपनी की ओर से प्रस्तुत अनुबंध के प्रारूप में खंडनीय की जगह अखंडनीय शब्द का प्रयोग किया गया, जिससे स्टाम्प शुल्क बढ़ गया। यानी एक अक्षर 'अ' के गलत प्रयोग ने लगभग ढाई करोड़ की चपत लगा दी।

    रियल एस्टेट कंपनी गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर स्थित ताल जहदा में निजी टाउनशिप विकसित करने जा रही है। इसके लिए वहां जमीन ली गई है। सदर तहसील के निबंधन कार्यालय प्रथम में पांच दिसंबर, 2023 को ओमेक्स लिमिटेड एवं होम व्हाकर प्राइवेट लिमिटेड के बीच अनुबंध हुआ था।

    हर अनुबंध में चार-चार अराजी की जमीन का मुख्तारनामा होम व्हाकर प्राइवेट लिमिटेड के विशाल सिंह ने ओमेक्स के सुनील कुमार सिंह को किया था। इस तरह के आठ अनुबंध थे। इन सभी मामलों में मुख्तारनामा को अखंडनीय लिखा गया था, लेकिन कार्य के दबाव में इसे खंडनीय मानकर स्वीकार कर पंजीकृत कर लिया गया और स्टांप खंडनीय के हिसाब से ही लगा।

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    28 दिसंबर, 2023 को शासन ने इस नियम में बदलाव करते हुए रक्त संबंध में मुख्तारनामा करने पर पांच हजार रुपये के स्टाम्प व उसके बाहर इस तरह का अनुबंध करने पर पूरा स्टाम्प शुल्क यानी जमीन की कीमत का सात प्रतिशत निर्धारित कर दिया।

    नया नियम आने के बाद कुछ पुराने अनुबंधों की भी जांच की गई तो ताल जहदा वाले मामले में गलती पकड़ में आई। यह देखा गया कि अनुबंध के प्रारूप में अखंडनीय शब्द लिखा है, जिसका मतलब हुआ कि पूरा स्टाम्प लगेगा। इसकी रिपोर्ट सहायक महानिरीक्षक स्टाम्प को दी गई और उनकी ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया। आठ में से पांच मामले एडीएम वित्त एवं राजस्व के कोर्ट में, जबकि तीन सहायक महानिरीक्षक के कोर्ट में लंबित हैं।

    खंडनीय व अखंडनीय मुख्तारनामा में यह है अंतर

    निबंधन के मामलों के जानकार बताते हैं कि खंडनीय मुख्तारनामा का मतलब होता है, जिसे खंडित किया जा सके। यानी जमीन का मालिक जब चाहे अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री का अधिकार वापस ले सकता है। इस तरह के मुख्तारनामे में 100 रुपये का स्टांप प्रयोग किया जाता था, जबकि अखंडनीय का मतलब हुआ, जो शाश्वत हो और जिसे खंडित न किया जा सके। इसमें खरीद-बिक्री का अधिकार वापस नहीं लिया जा सकता था।

    एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीत कुमार सिंह ने कहा कि ताल जहदा में स्टाम्प शुल्क कम लगाने के पांच वाद चल रहे हैं। इसकी सुनवाई की जा रही है। इस मामले में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद नियमानुसार निर्णय लिया जाएगा।