सिस्टम पर सवाल: आरोपी कर्मचारी को पहले किया बर्खास्त, फिर कर दिया बहाल
गोरखपुर में पूर्वोत्तर रेलवे के यांत्रिक कारखाने में पेंशन अंशदान घोटाला सामने आया है जिसमें जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। घोटाले में शामिल कर्मचारी को पहले स्थानांतरित किया गया फिर बहाल कर दिया गया। रेलवे प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि विजिलेंस जांच के बावजूद घोटाले का पर्दाफाश नहीं हो सका है और कर्मचारियों के करोड़ों के नुकसान की भरपाई पर चुप्पी साधी हुई है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के यांत्रिक कारखाना में हुए पेंशन अंशदान घोटाले में जांच और कार्रवाई के नाम पर अभी तक सिर्फ खानापूरी हुई है। पूरी घटनाक्रम को देख लगता है जैसे घोटाले की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। तभी तो पेंशन अंशदान घोटाला में संलिप्त कारखाना कर्मचारी का पर्दाफाश होने से पहले ही गोरखपुर से इज्जतनगर स्थानांतरण कर दिया गया था।
मामला प्रकाश में आया तो दबी जबान से उसने अपनी संलिप्तता स्वीकार भी कर ली। कारखाना प्रबंधन ने आनन-फानन उसे बर्खास्त कर दिया। कुछ माह बाद ही अनुशासनिक अधिकारी ने बर्खास्तगी के खिलाफ उसकी अपील को स्वीकार कर लिया। अनुशासनिक अधिकारी ने न सिर्फ उसके अपील को स्वीकार किया, बल्कि एक पद डाउनग्रेड करके उसकी नौकरी भी बहाल कर दी।
एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करते हैं। कहते हैं कि रेलवे प्रशासन ने घोटाला प्रकाश में आने पर कार्मिक और लेखा के दो अधिकारियों को मुख्यालय स्थानांतरित कर दिया। लेकिन लेखा विभाग से स्थानांतरित अधिकारी को पुन: उसी पद पर बुला लिया है। लेखा के अधिकारी फिर से यांत्रिक कारखाना की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं, जिनके कार्यकाल में यांत्रिक कारखाना में
1890 रेलकर्मियों को पेंशन अंशदान से लभग 28 करोड़ 35 लाख का नुकसान उठाना पड़ा। स्थिति यह है कि ढाई साल से चल रही विजिलेंस जांच के बाद भी पेंशन घोटाले का पर्दाफाश नहीं हो सका है।
आज तक पता नहीं चल सका कि पेंशन का अंशदान किस अधिकारी और कर्मचारी ने बिना सहमति के सरकारी से प्राइवेट बैंक में स्थानांतरित कर दिया था। अधिकारियों ने पेंशन अंशदान घोटाला को दबाकर फाइलों में बंद कर दिया है। इस प्रकरण को लेकर रेलवे प्रशासन भी उदासीन बना हुआ है।
रेल कर्मचारियों के 28 करोड़ 51 लाख के नुकसान की भरपाई पर भी मौन साधे हुए है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि अंशदान में हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा। लेकिन, जबतक कर्मचारियों के नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती, यूनियन चुप नहीं बैठेगी।
रेलवे प्रशासन जब रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर में हुए भर्ती घोटाले की सीबीआइ से जांच करा सकता है तो पूर्वोत्तर रेलवे में हुए पेंशन घोटाले की जांच सीबीआइ से क्यों नहीं करा सकता। वर्ष 2022-23 में यांत्रिक कारखाना स्थित कार्मिक व लेखा विभाग में सक्रिय रैकेट ने कर्मचारियों का पेंशन अंशदान बिना उनकी अनुमति के सरकार के अधीन बैंकों एसबीआइ, यूटीआइ और एलआइसी की जगह प्राइवेंट बैंकों में बदल दिया। दैनिक जागरण ने मामले को उजागर किया तो रेलवे प्रशासन ने विजिलेंस जांच शुरू करा दी।
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