'हमसफर' से यात्रा करना दूभर, टॉयलेट और कोचों में फैली गंदगी, पानी को भी तरस रहे लोग
गोरखपुर से चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों में गंदगी और पानी की समस्या से यात्री परेशान हैं। यात्रियों का कहना है कि टॉयलेट गंदे रहते हैं और पानी की सप्लाई ठीक नहीं रहती। रेलवे प्रशासन द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा मनाने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं है। कुशीनगर काशी गोरखपुर-पनवेल और मौर्य एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में सबसे ज़्यादा शिकायतें मिल रही हैं।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर । हमसफर से नियमित आवागमन करने वाले व्यवसायी धनंजय कुमार बताते हैं कि ट्रेन में आसानी से कन्फर्म टिकट तो मिल जाता है, लेकिन सफर में मन खिन्न हो जाता है। पानी की सप्लाई कभी सही नहीं रहती। टायलेट गंदा ही रहता। कोचों में गंदगी फैली रहती है। आनंदविहार से गोरखपुर वापसी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
अब तो यह रोज की समस्या हो गई है। शिकायत के बाद भी रेलवे प्रशासन हमसफर की सफाई और पानी की सप्लाई पर ध्यान नहीं दे रहा। यह तब है जब दो अगस्त से ही पूर्वोत्तर रेलवे समेत भारतीय रेलवे स्तर पर स्वच्छता पखवारा मनाया जा रहा है। स्टेशन और ट्रेनों में लगातार सफाई अभियान चलाया जा रहा है। रेलवे प्रशासन का सुहाना सफर का दावा हवा-हवाई साबित हो रहा है।
गोरखपुर से महाराष्ट्र व बिहार जाने वाली ट्रेनों में भी गंदगी
हमसफर ही नहीं अब तो गोरखपुर से महाराष्ट्र और बिहार रूट पर चलने वाली ट्रेनों में भी गंदगी और पानी की समस्या को लेकर शिकायतें बढ़ गई हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर समेत प्रमुख स्टेशनों से विभिन्न रेलमार्गों पर चलने वाली ट्रेनों की अपेक्षा कुशीनगर, काशी (दादर), गोरखपुर-पनवेल और मौर्य एक्सप्रेस सहित कुल चार ट्रेनों की शिकायतें अधिक मिल रही हैं।
रेल मदद एप, पोर्टल और हेल्प लाइन नंबर 139 पर कोचों और टायलेट में गंदगी तथा पानी की समस्या को लेकर आनलाइन शिकायतें मिल रही हैं। भारतीय रेलवे स्तर पर यह ट्रेनें शिकायतों के मामले में टाप टेन में तीसरे और चौथ पायदान पर पहुंच गई हैं।
हालांकि, रेलवे प्रशासन ने शिकायतों पर अंकुश लगाकर इन ट्रेनों को टाप टेन से ऊपर लाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। समस्याओं को नजदीक से जानने व समझने के लिए ट्रेनों में अफसरों व सुपरवाइजरों की ड्यूटी लगाई जा रही है।
अफसर व सुपरवाइजर इन ट्रेनों में चलकर सफाईकर्मियों की काउंसिलिंग तो कर ही रहे, यात्रियों का फीडबैक भी ले रहे। सफर में तत्काल समस्याओं का समाधान भी करा रहे। जिसकी रिपोर्ट रेलवे प्रशासन से लगायत बोर्ड तक पहुंच रही है।
कानपुर तक पहुंचने में ही कुशीनगर के कोचों में फैल जाती गंदगी
गोरखपुर से मुंबई जाने वाली कुशीनगर, काशी और पनवेल एक्सप्रेस के कोचों में सबसे अधिक गंदगी फैलती है। गोरखपुर-पनवेल बढ़नी, बलरामपुर और गोंडा होकर चलती है। इस ट्रेन में बढ़नी व बलरामपुर क्षेत्र से अधिक लोग बैठते हैं। गोंडा तक पहुंचने में यह ट्रेन मुंबई जाने वाले यात्रियों से पूरी तरह भर जाती है। कानपुर तक जाते-जाते कोच व टायलेट गंदगी से पट जाते हैं। ट्रेन के कानपुर से आगे बढ़ते ही यात्रियों की आनलाइन शिकायतें भी बढ़ने लगती हैं। यही स्थिति बस्ती के रास्ते चलने वाली कुशीनगर एक्सप्रेस की है।
खलीलाबाद, बस्ती और गोंडा तक यह ट्रेन साफ-सुथरी रहती है, लेकिन कानपुर पहुंचते ही बोगियां विशेषकर स्लीपर और जनरल गंदगी से भर जाती हैं। इस ट्रेन में भी कानपुर और उससे चढ़ने वाले यात्री ही अधिकतर शिकायतें करते हैं। दादर एक्सप्रेस वाराणसी रूट पर चलती है, यह ट्रेन भी प्रयागराज जाते-जाते पूरी तरह पैक हो जाती है।
मौर्य एक्सप्रेस गोरखपुर से चलकर 52 स्टेशनों पर रुकते हुए 31:25 घंटे में संबलपुर पहुंचती है। यात्रा में सर्वाधिक बिहार के स्टेशन पड़ते हैं। बिहार में यह ट्रेन लोकल बन जाती है। छोटे-बड़े सभी स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है। बिहार में पहुंचते ही इस ट्रेन की शिकायतें बढ़ जाती है। गंदगी के अलावा पानी और टोटियों के गायब होने की भी शिकायत रहती है।
एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल है रेलवे का 'रेल मदद'
रेल मदद एप भारतीय रेलवे का एकीकृत शिकायत निवारण पोर्टल है, जो यात्रियों को विभिन्न यात्री सेवाओं से संबंधित शिकायतों को वास्तविक समय में दर्ज कराने में सक्षम बनाता है। हेल्पलाइन नंबर 139, रेल मदद एप और वेबसाइट, ई मेल और इंटरनेट मीडिया पर काल और एसएमएस के माध्यम से शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं।
रेलवे बोर्ड ने पहली बार भारतीय रेलवे स्तर पर यात्री अनुभव को बेहतर बनाने, शिकायत निवारण में तेजी लाने, रेल उपयोगकर्ताओं और आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए एक से 14 अगस्त तक रेल मदद पखवाड़ा मनाया है। पूर्वोत्तर रेलवे में 10 से 15 मिनट में शिकायतों का प्राथमिक निवारण कर दिया जाता है।
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