Move to Jagran APP

Gorakhpur News: आरएमआरसी में लगी खास मशीन से पकड़ में आएंगी अज्ञात बीमारियां, इन रोगियों में नहीं पता चलता है कारण

इंसेफ्लाइटिस के लक्षण वाले 24 प्रतिशत रोगियों में कारण नहीं पता चलता है। ऐसे में बीआरडी मेडिकल कालेज स्थित आरएमआरसी में इंस्टाल होल जीनोम सिक्वेंसिंग से बैक्टीरिया- वायरस में बदलाव पकड़ में आ सकेंगे। इससे रोगियों के इलाज में सहयोग मिलेगा।

By Pragati ChandEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 05:30 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 09:50 AM (IST)
Gorakhpur News: आरएमआरसी में लगी खास मशीन से पकड़ में आएंगी अज्ञात बीमारियां, इन रोगियों में नहीं पता चलता है कारण
आरएमआरसी में लगी इस मशीन से पकड़ में आएंगी अज्ञात बीमारियां।

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। सामान्य जांच में जिन बीमारियों का पता नहीं चलता है, उन्हें अब होल जीनोम सिक्वेंसिंग से पकड़ लिया जाएगा। जीन सिक्वेंसर मशीन क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी), बीआरडी मेडिकल कालेज में इंस्टाल हो गई है। वायरोलाजिस्टों के प्रशिक्षण के बाद बैक्टीरिया-वायरस की होल जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू कर दी जाएगी।

loksabha election banner

जीन सिक्वेंसर मशीन से केवल कोरोना की जीनोम सिक्वेंसिंग ही नहीं होगी, अन्य बीमारियों के कारक वायरस- बैक्टीरिया व उनके बदले स्वरूपों को भी पकड़ा जा सकेगा। मेडिकल कालेज में भर्ती अनेक बच्चों में किसी बीमारी की पहचान नहीं हो पाती है, जबकि उनमें गंभीर लक्षण होते हैं। ऐसे रोगियों के मर्ज का कारण अब तलाश जा सकेगा।

इंसेफ्लाइटिस के लक्षण वाले रोगियों की मुख्यत: चार जांच होती है। इनमें से 24 प्रतिशत में लक्षण होने के बावजूद किसी बीमारी की पुष्टि नहीं हो पाती है। कारण यह है कि बैक्टीरिया- वायरस के स्वरूप में थोड़ा भी बदलाव हो जाने से वे सामान्य जांच में पकड़ में नहीं आते। लक्षणों के आधार पर उनका उपचार किया जाता है और ज्यादातर स्वस्थ हो जाते हैं। अब जीन सिक्वेंसर मशीन आ जाने से यह समस्या दूर हो जाएगी। बीमारी का कारण पता चल सकेगा। इंसेफ्लाइटिस के लक्षणों वाले रोगियों में लगभग छह प्रतिशत में लेप्टोस्पायरोसिस, पांच प्रतिशत में डेंगू, 10 प्रतिशत में जापानी इंसेफ्लाइटिस व 55 प्रतिशत में स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है। शेष में बीमारी का कारण पता नहीं चल पाता।

प्रशिक्षण के बाद शुरू होगी जीन सिक्वेंसिंग: आरएमआरसी के निदेशक डा. रजनीकांत ने बताया कि जीन सिक्वेंसर मशीन इंस्टाल हो चुकी है। यह अत्याधुनिक मशीन है। इससे वायरस- बैक्टीरिया की होल जीनोम सिक्वेंसिंग की जा सकेगी। वायरोलाजिस्टों को प्रशिक्षण देने के बाद शीघ्र ही सिक्वेंसिंग शुरू कर दी जाएगी।

आनुवांशिक बीमारियां भी पकड़ी जाएंगी: आरएमआरसी के वायरोलाजिस्ट डा. हीरावती देवल ने बताया कि होल जीनोम सिक्वेंसिंग में वायरस- बैक्टीरिया के जीन की जांच होती है, इसलिए उनमें होने वाला बदलाव पकड़ में आ जाता है। अब अज्ञात के साथ ही आनुवांशिक बीमारियों का भी पता लगाया जा सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.