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इंडस्ट्रियल एरिया में फ्लैटेड फैक्ट्री के लिए भेजा जाएगा प्रस्ताव, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई ने लगाई मुहर

चैंबर आफ इंडस्ट्रीज ने अपर मुख्य सचिव एमएसएमई से मिलकर कहा है कि गीडा और इंडस्ट्रियल एरिया के बीच दूरी अधिक है। ऐसे में एक और फ्लैटेड फैक्ट्री जरूरी है। वहीं गीडा में टाउन प्लानर नियुक्त करने एवं गीडा बोर्ड की बैठक गोरखपुर में कराने को ज्ञापन सौंपा गया।

By Pragati ChandEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 04:51 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 04:51 PM (IST)
इंडस्ट्रियल एरिया में फ्लैटेड फैक्ट्री के लिए भेजा जाएगा प्रस्ताव। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की तरह गोरखनाथ स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में भी फ्लैटेड फैक्ट्री (रेडीमेड गारमेंट की इकाई स्थापित करने के लिए बहुमंजिला इमारत) का निर्माण किया जाएगा। इसकी चर्चा काफी पहले से चल रही थी लेकिन अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने इसपर मुहर लगा दी है। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विष्णु अजीतसरिया एवं पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल की मांग पर उन्होंने उपायुक्त उद्योग को जल्द ही प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा है।

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30 हजार वर्ग फीट जमीन पर किया जाएगा निर्माण: इंडस्ट्रियल एरिया में फ्लैटेड फैक्ट्री का निर्माण हैंडलूम कारपोरेशन की करीब 30 हजार वर्ग फीट जमीन पर किया जाएगा। चेंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विष्णु अजीत सरिया और पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने अपर मुख्य सचिव से कहा कि गीडा और इंडस्ट्रियल एरिया के बीच की दूरी काफी अधिक है। ऐसे में एक और फ्लैटेड फैक्ट्री जरूरी है।

आसपास के जिले के लोगों को भी मिलेगा लाभ: गोरखनाथ क्ष्रेत्र सहित सिद्धार्थनगर, महराजगंज के लोगों को भी यहां इकाई लगाने में आसानी होगी। यहां 50 से अधिक इकाई स्थापित हो सकती है। चैंबर की ओर से गीडा में कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास अरविंद कुमार से यहां टाउन प्लानर नियुक्त करन की मांग की। उन्होंने इस मामले में सकारात्मक आश्वासन दिया है।

गोरखपुर में ही गीडा बोर्ड की बैठक कराने की मांग: उद्यमियों ने गोरखपुर में ही गीडा बोर्ड की बैठक कराने की मांग की। विष्णु अजितसरिया ने बताया कि केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उद्योगों के क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। क्लस्टर के विकास पर आने वाले खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र तो 40 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इस योजना से उद्योगों को काफी फायदा होगा।


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