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    बड़ी हुईं पूर्वोत्तर रेलवे की सभी 3300 रूट किमी लाइनें, रेलमार्गों का विद्युतीकरण भी पूरा

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 11:16 PM (IST)

    पूर्वोत्तर रेलवे की 3300 किमी रेल लाइनें अब छोटी से बड़ी हो चुकी हैं केवल दुधवा वन क्षेत्र में मैलानी-नानपारा 170 किमी रेलमार्ग ही बचा है। सभी रेलमार्गों का विद्युतीकरण हो चुका है। नेपाल सीमा स्थित नेपालगंज रोड स्टेशन भी पूर्वोत्तर रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया है। गोरखपुर लखनऊ गोंडा और बहराइच होते हुए नेपालगंज रोड तक ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा।

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    छोटी से बड़ी हो गईं पूर्वोत्तर रेलवे की सभी 3300 रूट किमी लाइनें। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर । पूर्वोत्तर रेलवे की सभी 3300 रूट किमी रेल लाइनें छोटी से बड़ी हो गई हैं। अब सिर्फ दुधवा वन क्षेत्र में मैलानी-नानपारा 170 किमी रेलमार्ग ही छोटी रेल लाइन बच गई है, जो इको टूरिज्म के लिए संरक्षित की गई हैं।

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    सभी रेलमार्गों का विद्युतीकरण भी पूरा हो चुका है। इन रेल लाइनों पर इलेक्ट्रिक इंजनों से ही ट्रेनें चल रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे में पड़ने वाले सभी क्षेत्र देश के ब्राड गेज (बड़ी लाइन) रेल नेटवर्क से जुड़ गए हैं। निर्बाध ट्रेनों के संचालन के साथ पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।

    रेल संरक्षा आयुक्त, पूर्वोत्तर परिमंडल (सीआरएस) प्रणजीव सक्सेना ने शुक्रवार को जैसे ही नानपारा-नेपालगंज रोड के मध्य 19.33 किलोमीटर आमान परिवर्तित (छोटी से बड़ी रेल लाइन) नई विद्युतीकृत रेल लाइन पर 130 किमी की गति से ट्रेन चलाकर स्पीड ट्रायल किया, नेपाल सीमा स्थित नेपालगंज रोड स्टेशन भी पूर्वोत्तर रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया।

    रेलवे की सभी लाइनें छोटी से बड़ी हुईं

    इसके साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे की सभी लाइनें छोटी से बड़ी हो गई। अब गोरखपुर, लखनऊ, गोंडा और बहराइच होते हुए नेपालगंज रोड तक ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि नेपालगंज रोड तक बड़ी रेल लाइन बिछने से तराई क्षेत्र की आर्थिक विकास को गति मिलेगी। पूर्वोत्तर रेलवे अब छोटी लाइन नहीं रह गई है। सभी लाइनें बड़ी हो गई हैं। साथ ही शत-प्रतिशत रेलमार्गों का विद्युतीकरण भी हो चुका है।

    दरअसल, वर्ष 1980 तक पूर्वोत्तर रेलवे को छोटी लाइन के नाम से ही जाना जाता रहा। यद्यपि, सत्तर के दशक से आमान परिवर्तन का कार्य आरंभ हो चुका था। वर्ष 1981 में गोरखपुर के रास्ते लखनऊ से छपरा तक करीब 425 किमी रेलमार्ग का आमान परिवर्तन पूरा हो गया। पहली बार पूर्वोत्तर रेलवे का यह मुख्य रेलमार्ग छोटी से बड़ी रेल लाइन के रूप में बदला था।

    गोंडा से बहराइच रेलखंड का भी आमान परिवर्तन हुआ

    जानकारों का कहना है कि 15 दिसंबर, 1886 में गोंडा-बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड तक छोटी रेल लाइन का निर्माण पूरा हुआ था। इसी दिन से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो गया। लखनऊ-गोंडा-गोरखपुर-छपरा रेलमार्ग छोटी से बड़ी लाइन रेल लाइन होने के बाद गोंडा से बहराइच रेलखंड का भी आमान परिवर्तन हो गया।

    बहराइच से नानपारा होते हुए नेपालंज रोड तक आमान परिवर्तन का कार्य शेष रह गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 मार्च, 2024 को बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड तक आमान परिवर्तित रेलमार्ग का शिलान्यास किया था। यह आमान परिवर्तन भी अब पूरा हो गया।