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    UP News: पाकिस्तानी मौलाना मंसूर बार्डर पर मदरसे में चला रहा कट्टरपंथी एजेंडा, 2500 जिहादियों को प्रशिक्षित करने का मिला था इनपुट

    Updated: Fri, 23 May 2025 08:38 AM (IST)

    नेपालगंज का फुलटेकरा मदरसा आईएसआई की साजिशों का नया अड्डा बन गया है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार यहाँ पाकिस्तानी मौलानाओं द्वारा युवाओं को जिहादी शिक्षा दी जा रही है। लगभग 2500 युवकों को भारत विरोधी विचारधारा के लिए तैयार किया जा रहा है। सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ा दी गई है और संदिग्धों की तलाश जारी है।

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    सोनौली सीमा पर वाहनों की जांच करते एसएसबी व पुलिस के जवान। जागरण

    सतीश पांडेय, जागरण गोरखपुर। नेपाल की धरती पर भारत विरोधी साजिशें अब संस्थागत रूप लेती जा रही हैं। नेपालगंज स्थित फुलटेकरा मदरसे को लेकर जो खुफिया इनपुट सामने आए हैं, वो न सिर्फ सीमावर्ती जिलों की सुरक्षा के लिए, बल्कि देश की सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के लिए भी गंभीर खतरे का संकेत हैं। यहां पाकिस्तानी मौलानाओं की मौजूदगी और युवाओं को जिहादी शिक्षा देने की सूचना ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है।

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    नेपाल के बांके जिले में स्थित नेपालगंज का फुलटेकरा मदरसा अब भारत विरोधी गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा वित्त पोषित इस संस्थान में कराची और लाहौर से आए मौलाना युवाओं को कट्टरपंथ और जिहादी विचारधारा की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस मदरसे का संचालन मौलाना मंसूर हलवाई के हाथ में है, जो कराची का रहने वाला और आईएसआई के सीधे संपर्क में है।

    पिछले दिनों खुफिया एजेंसी को इनपुट मिला था कि यहां करीब 2500 युवकों को भारत विरोधी विचारधारा के लिए तैयार किया जा रहा है। इनमें से कई की गतिविधियां भारत की सीमा में भी फैलने की आशंका जताई गई थी। फुलटेकरा के अलावा, नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में दावते-ए-इस्लामी और अन्य पाकिस्तानी संगठनों से संचालित कई और मदरसे भी एजेंसियों के रडार पर हैं।

    नेपालगंज, वीरगंज, जनकपुर और विराटनगर जैसे इलाकों में ऐसे मदरसों की सूची तैयार की गई है जिनका उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा न होकर कट्टरपंथी एजेंडा को पोषित करना है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में नेपाल की जमीन का इस्तेमाल कर भारत में स्लीपर सेल और आतंकी नेटवर्क तैयार करने की कोशिशें तेज हुई हैं।

    वाहनों की जांच करते पुलिस अधिकारी। जागरण


    आईएसआई का नया माडल यह है कि भारत से सीधे प्रवेश की बजाय नेपाल के जरिये युवकों को भारत भेजा जाए और वहीं से उन्हें लक्ष्य दिए जाएं। बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और लखीमपुर खीरी जैसे सीमावर्ती जिले इन गतिविधियों की सीधी जद में हैं।

    नेपाल सीमा से 37 संदिग्धों के भारत में घुसने का जो इनपुट मिला, उसने इस खतरे को और पुष्ट किया है। इसके बाद एटीएस, आईबी और एसएसबी की संयुक्त टीमें अब सीमावर्ती जिलों में सक्रिय हो चुकी हैं। होटल, ढाबे, धर्मशालाएं और अस्थायी निवास स्थलों की जांच चल रही है।

    नेपाल सीमा व गोरखपुर से पकड़े गए आतंकी :

    • 1991 मे खालिस्तान एरिया फोर्स का डिप्टी कमांडर सुखबीर सिंह
    • 1991 में ही नेपाल की बढ़नी सीमा पर खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के भागा सिंह और अजमेर सिंह की गिरफ्तारी हुई थी
    • 1993 में आतंकी टाइगर मेमन।
    • 1995 में आईएसआई एजेंट यासिया बेगम।
    • 2000 में आसिम अली और चार आतंकी।
    • 2007 में लश्कर के आतंकी सादात रशीद मसूद आलम की गिरफ्तारी।
    • 2009 में मुंबई के आतंकी नूरबक्श और इश्तियाक उर्फ शैतान पकड़े गए।
    • 2013 में आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी।
    • 2013 में आतंकी आंतकी यासीन भटकल पकड़ा गया।
    • 2015 में जाली नोट के धंधे से जुड़े डा. समीर, महबूब अली उर्फ शेरू व इनसे जुड़े कई एजेंट पकड़े गए।
    • 2020 में एटीएस ने आईएसआई के जासूज को कोतवाली क्षेत्र से पकड़ा।
    • 2022 में गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने वाला मुर्तजा अब्बासी पकड़ा गया।
    • 2023 में एनआईए ने गोरखपुर से आतंकी दीपक रंगा को गिरफ्तार किया।
    • 2023 में एटीएस ने आईएसकेपी से जुटे तारिक अतहर व उसके साथी पकड़ा।
    • 2023 में गुजरात एटीएस ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन से दो बांग्लादेशी आंतकियों काे पकड़ा।

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