Gorakhpur News: फायर एनओसी पर बढ़ा खर्च, गीडा के उद्यमियों ने नियमों में बदलाव करने पर दिया जोर
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के उद्यमियों ने फायर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए नियमों में बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि गीडा की लगभग 998 इकाइयों को हर साल एनओसी लेना होता है लेकिन इस पर खर्च बढ़ता जा रहा है। उद्यमियों के पास 10 हजार से लेकर एक लाख लीटर क्षमता का पानी का टैंक बनवाना अनिवार्य है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) के उद्यमियों ने फायर विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए नियमों में बदलाव पर जोर दिया है। उनका कहना है कि गीडा की लगभग 998 इकाइयों को हर साल एनओसी लेना हाेता है लेकिन इसपर खर्च बढ़ता जा रहा है।
उद्यमियों के पास 10 हजार से लेकर एक लाख लीटर क्षमता का पानी का टैंक बनवाना अनिवार्य है। अब इसपर लाखों रुपये का खर्च आने से उद्यमी परेशान हैं। उनका कहना है कि दूसरे विकल्प ढूंढे जाने चाहिए, जिससे अग्निशमन विभाग का मानक भी पूरा हो सके और खर्च भी कम हो।
10 से 12 दिन में खराब हो जाता है टंकी में रखा पानी
लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल का कहना है कि एनओसी के लिए जो टंकी उद्यमियों को बनवानी होती है, उसमें रखा पानी 10 से 12 दिन में खराब हो जाता है। जिसके बाद उसे बदलना पड़ता है। ऐसे में लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है।
ऐसे में प्राधिकरण क्षेत्र में बड़ा टैंक बनवाकर औद्योगिक इकाइयों को उससे जोड़ना चाहिए। 10 इकाइयों पर एक फायर हाइड्रेंट का कनेक्शन लगाया जाना चाहिए। इससे खर्च बचेगा और पानी भी।
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि कोई छोटी पूंजी से इकाई चला रहा है तो उसके लिए टंकी बनवाना आसान नहीं है। बैंक से ऋण की स्थिति में नवीनीकरण के समय भी एनओसी देनी होती है। छोटी इकाइयों को सहूलियत देने के बारे में सोचना होगा।
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