Ayushman Scheme: आयुष्मान कार्डधारक की जांच और इलाज के लिए वसूल लिए 17 हजार रुपये, CMO ने दिए जांच के आदेश
गोरखपुर फातिमा अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारक मरीज से पैसे वसूलने का आरोप लगा है। परिजनों का कहना है कि अस्पताल ने ₹17000 लिए और शव रोकने की धमकी दी। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आयुष्मान योजना से स्वीकृति नहीं मिल पाई थी। सीएमओ ने कहा कि अस्पताल डे केयर पैकेज के तहत दावा कर सकता था और उन्होंने सभी अस्पतालों को निर्देश जारी करने की बात कही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फातिमा अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारक एक मरीज की जांच व उपचार के लिए उनके तीमारदार से 17 हजार रुपये वसूल लिए गए। स्वजन ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रबंधन रुपये न देने पर शव देने से इंकार कर रहा था।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उपचार के लिए योजना से स्वीकृति लेने के लिए जांच कराई गई लेकिन जांच रिपोर्ट आने के पूर्व ही रोगी की मृत्यु हो गई। स्वीकृति नहीं ली जा सकी। ऐसे में योजना से जांच व उपचार का खर्च नहीं मिलता।
वहीं सीएमओ का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन को पता नहीं रहा होगा कि योजना के अंतर्गत डे केयर पैकेज भी होता है। यदि रोगी अस्पताल में भर्ती हो गया है और जांच रिपोर्ट आने के पूर्व उसकी मृत्यु हो जाती है तो डे केयर पैकेज में निर्धारित धनराशि अस्पताल को प्रदान की जाती है। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को दावा करना होता है।
देवरिया के खामपार गांव निवासी अविनाश गुप्ता अपने बीमार पिता देशवंधु गुप्ता को उपचार के लिए फातिमा अस्पताल में रविवार की रात 8:49 बजे भर्ती कराए। सुबह 10:37 बजे अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है।
जांच व उपचार में 21 हजार रुपये खर्च हुए हैं, उसका भुगतान कर दें। अविनाश ने आरोप लगाया है कि आयुष्मान कार्ड होने की बात जब कही गई तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि उपचार के लिए योजना से स्वीकृति नहीं ली जा सकी थी, इसलिए भुगतान तीमारदार को ही करना होगा। भुगतान न करने की दशा में शव रोक लिया जाएगा। जब उन्होंने एसएसपी, डीएम व सीएमओ के पास जाने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन ने 17 हजार रुपये लेकर शव उन्हें दे दिया।
अस्पताल के जन संपर्क अधिकारी रेमंड का कहना है कि रोगी की जांच कराई जाती है, रिपोर्ट आयुष्मान योजना कार्यालय में भेजकर उपचार की स्वीकृति ली जाती है। स्वीकृति मिल जाने के बाद जांच व उपचार का खर्च योजना से मिल जाता है।
लेकिन इस रोगी की जांच रिपोर्ट आने के पूर्व ही मृत्यु हो गई। इसलिए स्वीकृति नहीं ली जा सकी। जांच व उपचार में आया खर्च योजना से मिलता नहीं, इसलिए तीमारदार से बिल भुगतान करने को कहा गया। भुगतान के अभाव में शव रोकने की बात नहीं कही गई।
सीएमओ डा. राजेश झा ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की अधूरी जानकारी के चलते यह दिक्कत आई है। आयुष्मान कार्ड होने पर यदि उपचार निश्शुल्क होता है तो तीमारदार का कहना सही कि उनसे रुपये क्यों लिए गए।
अस्पताल प्रबंधन को पूरी जानकारी न होने से यह समस्या उत्पन्न हुई। इसके लिए डेयर केयर पैकेज है। वे अब भी योजना में इसका दावा कर सकते हैं, जो रुपये योजना से मिलेंगे, वे तीमारदार को वापस कर उन्हें संतुष्ट कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मैं डे केयर पैकेज से संबंधित निर्देश सभी संबद्ध चिकित्सालयों को भेज रहा हूं ताकि भविष्य में इस तरह की दिक्कत न आने पाए।
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