Gorakhpur News: नकली चायपत्ती मामले में पिकअप मालिक पर केस, बिहार से लाई जा रही खेप
गोरखपुर में पुलिस ने नकली चाय पत्ती से भरी एक पिकअप पकड़ी। हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के प्रतिनिधि ने इस बारे में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच में पता चला कि चाय की पत्ती बिहार से लाई जा रही थी और इसमें मिलावट की गई थी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह नकली चाय पत्ती कहां बेची जानी थी।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। तिवारीपुर पुलिस ने नकली चाय की पत्ती लेकर बिहार से आने वाले पिकप के मालिक के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। पिकप मालिक अश्वनी यादव देवरिया जिले के गौरी बाजार का रहने वाला है। एफआइआर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के प्रतिनिधि से दर्ज कराई है। यह कंपनी ताजा ब्रांड से चाय की बिक्री करती है। इससे पहले भी नकली चाय की पत्ती मिल चुकी है।
शनिवार रात तिवारीपुर पुलिस ने जांच के लिए पिकप को रोका था। पिकप चालक रखे गए सामान का कोई कागज नहीं दिखा सका तो पुलिस ने जांच की। पता चला कि बोरों में भरकर चाय की पत्ती रखी है।
चालक ने बताया कि देवरिया के गौरी बाजार निवासी अश्वनी यादव की पिकप लेकर वह बिहार के गोपालगंज जाता है। यहां दूसरे वाहन से चाय की पत्ती पहुंचाई जाती है। फिर यह चाय की पत्ती पिकप पर रखी जाती है।
लालडिग्गी पहुंचने पर पहले से बताए गए मोबाइल नंबर पर फोन करता हूं। कुछ लोग आते हैं और चाय की पत्ती उतारकर लेकर चले जाते हैं। इसके बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम को सूचना दी।
टीम ने रविवार और सोमवार को जांच कर स्पष्ट कर दिया कि चाय की पत्ती नकली है। चाय की पत्ती का पैकेट भी नकली मिला। इसके बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के अधिकारियों को सूचना दी गई।
छोटे पैकेट में बड़ा खेल
नकली और मिलावट के कारोबारी उन ब्रांडों को कमाई का जरिया बना रहे हैं, जिनकी बिक्री बाजार में बहुत ज्यादा होती है। इन ब्रांडों के छोटे पैकेट वाले उत्पादों की नकल कर दिल्ली में रैपर की छपाई कराई जाती है।
रैपर मंगाकर स्थानीय स्तर पर मिलावटी या नकली खाद्य पदार्थों की पैकिंग की जाती है। इनकी कोशिश रहती है कि सब कुछ असली की तरह ही दिखे लेकिन बाद में हुई प्रिंटिंग ध्यान से देखने पर पता चल जाती है।
इस कारण इसे छोटे बाजारों में बेचा जाता है। छोटे दुकानदारों को असली के मुकाबले ज्यादा मुनाफा देकर नकली माल को ही असली बताकर बेच दिया जाता है। छोटे दुकानदारों को पता भी नहीं चलता कि वह नकली माल बेच रहे हैं।
चाय की पत्ती में चल रहा खेल
हाल के कुछ महीनों में पूर्वांचल में नकली चाय की पत्ती के बड़े मामले सामने आए हैं। नौसढ़ में एक गोदाम की जांच करने पहुंची खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम को भारी मात्रा में नकली चाय की पत्ती मिली थी। जांच में पता चला कि चाय की पत्ती में जूते की पालिस में इस्तेमाल किया जाने वाला पाउडर मिलाया जाता है। यह चाय की पत्ती सामान्य पानी में भी घुलने लगती है। असली चाय की पत्ती गर्म पानी में ही रंग छोड़ती है।
साहबगंज मंडी से जुड़ता है कनेक्शन
नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री का कनेक्शन हर बार साहबगंज मंडी से जुड़ता है। इस बार भी लालडिग्गी से चाय की पत्ती साहबगंज मंडी में पहुंचाने की योजना थी। इससे पहले कितने पैकेट मंडी में बिक चुके हैं, पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम, पड़ताल कर रहे हैं।
यह सावधानी बरतें
- खाद्य सामग्री का पैकेट खरीद रहे हैं तो बनने और खराब होने की तिथि जरूर देखें। यदि इस तिथि पर ओवरराइटिंग या तिथि स्पष्ट नहीं है तो न खरीदें।
- मिलावटी या नकली सामान बेचने वाले बड़े ब्रांडों के उत्पादों के रैपर दिल्ली में बनवाते हैं। यह रैपर तो हुबहू बनवा लेते हैं लेकिन लेजर मशीन महंगी होने के कारण रैपर पर दाम, वजन, बनने व खराब होने की तिथि, बैच नंबर आदि की अच्छी प्रिंटिंग नहीं करा पाते हैं। ध्यान से देखने पर इसकी हकीकत सामने आ सकती है।
- चाय की पत्ती संदिग्ध लगे तो शीशे की गिलास में सामान्य पानी भरकर इसे डालें। यदि चाय की पत्ती रंग छोड़ रही है तो यह मिलावटी है।
- अच्छी कंपनियों के उत्पाद वाले रैपर का रंग ज्यादा स्पष्ट होता है। इस पर लिखावट भी स्पष्ट होती है। नकली या मिलावट करने वालों के के उत्पादों के रैपर का रंग कम स्पष्ट होता है।
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