UPPCL: निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने बुलंद की आवाज, प्रबंधन पर मनमानी का लगाया आरोप
गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने कहा कि निजीकरण हर जगह विफल रहा है फिर भी बिजली निगम प्रबंधन मनमानी कर रहा है। समिति के संयोजक पुष्पेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया और कहा कि निजीकरण का विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश की जनता पर न थोपा जाए। उन्होंने कर्मचारियों के योगदान को भी रेखांकित किया।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने 240वें दिन भी आवाज बुलंद की। मोहद्दीपुर स्थित हाइडिल कालोनी में बिजलीकर्मियों ने कहा कि निजीकरण का प्रयोग हर जगह विफल हो चुका है। इसके बाद भी बिजली निगम प्रबंधन मनमानी पर उतारू है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि निजीकरण का विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश की गरीब जनता पर न थोपा जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में बिजलीकर्मियों ने रिकार्ड विद्युत आपूर्ति की है। साथ ही लाइन हानियाें को राष्ट्रीय मानक से भी कम कर दिया है।
महाकुंभ के दौरान बिजलीकर्मियों ने अथक परिश्रम कर 65 दिनों में एक पल के लिए भी विद्युत आपूर्ति में व्यवधान नहीं आने दिया। आंदोलन करते हुए हुए भी भीषण गर्मी के दौरान लगातार बेहतर विद्युत आपूर्ति बनाए रखने का प्रयास किया है।
बिहार प्रदेश के गया, भागलपुर और समस्तीपुर में अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के नाम पर निजीकरण का प्रयोग किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके पूरी तरह असफल रहने के चलते इसे एक साल बाद ही रद कर दिया।
महाराष्ट्र में औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर और झारखंड में रांची व जमशेदपुर में निजीकरण के विफल प्रयोग निरस्त किए जा चुके है। प्रदेश में ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण के प्रयोग के परिणाम अच्छे नहीं हैं। ग्रेटर नोएडा में आए दिन किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं की शिकायतें सामने आ रही हैं।
इस दौरान सीबी उपाध्याय, इस्माइल खान, जीवेश नंदन, जितेंद्र कुमार गुप्त, अमित यादव, विजय सिंह, प्रभुनाथ प्रसाद, संगम लाल मौर्य, संदीप श्रीवास्तव, विमलेश पाल, राकेश चौरसिया, विजय बहादुर सिंह, करुणेश त्रिपाठी, राजकुमार सागर आदि मौजूद रहे।

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