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    सिंदूर व रुद्राक्ष बने उपहार की पहली पसंद, नर्सरियों में तैयार होने लगे पौधे, हर महीने बिक रहे 50 से अधिक

    गोरखपुर में रुद्राक्ष और सिंदूर के पौधों की मांग बढ़ रही है क्योंकि लोग अब इन्हें धार्मिक महत्व पर्यावरण संरक्षण और औषधीय उपयोगिता के लिए पसंद कर रहे हैं। वन विभाग और उद्यान विभाग नर्सरी में इन पौधों की संख्या बढ़ा रहे हैं। लोग इन पौधों को घरों की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ उपहार के रूप में भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

    By Jitendra Pandey Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 22 Aug 2025 04:11 PM (IST)
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    सिंदूर व रुद्राक्ष बने उपहार की पहली पसंद, नर्सरियों में तैयार होने लगे पौधे

    जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। धार्मिक आस्था, पर्यावरणीय सजगता और औषधीय उपयोगिता ने गोरखपुरवासियों को रुद्राक्ष और सिंदूर के पौधों की ओर आकर्षित कर दिया है। अब ये पौधे सिर्फ मंदिरों या वनों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि घरों की शोभा और उपहार की गरिमा बढ़ा रहे हैं।

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    हाल ही में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान शहर के कई विद्यालयों ने अतिथियों को स्वागत स्वरूप रुद्राक्ष और सिंदूर के पौधे भेंट किए। यह चलन न केवल नवाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशीलता की दिशा में एक सकारात्मक पहल भी है। 

    इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए वन विभाग, उद्यान विभाग नर्सरियों इनके पौधों को तैयार किया जा रहा है। वहीं पारिजात नर्सरी में इन पौधों की संख्या बढ़ा दी गई है। हर महीने 50 से अधिक पौधे बिक रहे है। 

    डीएफओ विकास यादव का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन दोनों पौधों का सबसे अधिक रोपण किया है। पौधारोपण अभियान के दौरान सरकारी कार्यक्रमों, स्कूल-कालेज, मंदिर परिसरों 150 से अधिक पौधे रोपे गए। 

    निजी घरों के गार्डन में भी ये पौधे लगाए जा रहे हैं। इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए वन विभाग की नर्सरियों में दोनों पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। इस समय 170 पौधे लगाए गए हैं। इसमें सिंदूर के 140 पौधे हैं। वहीं उद्यान विभाग की नर्सरी में सिंदूर के पौधे की नर्सरी तैयार की गई है। 

    जिला उद्यान अधिकारी पारस नाथ ने बताया कि तीन वर्ष पहले लोगों की मांग को देखते हुए 100 पौधे की नर्सरी तैयार की गई। जानकारी होते ही लोग इसे खरीद ले गए। परिसर में भी चार पौधे लगाए गए है, जो पेड़ बन चुके हैं।

    राष्ट्रपति ने भी लगाया था रुद्राक्ष का पौधा

    मोहद्दीपुर स्थित पारिजात नर्सरी के संजय कुमार का कहना है कि उनकी नर्सरी से हर महीने सिंदूर के 25 से 30 और रुद्राक्ष के 15 से 20 पौधों की बिक्री होती है। वीआईपी कार्यक्रम में लोगों को पौधा भेंट करने के लिए इन दोनों पौधों की मांग की जाती है। 

    इसमें सिंदूर का एक पौधा 50 से 100 रुपये के बीच में बिकता है। वहीं रुद्राक्ष का एक पौधा 150 से 250 रुपये के बीच में बिकता है। राष्ट्रपति ने भी रुद्राक्ष का पौधा लगाया था। 800 रुपये में उस पौधे को बाहर से मंगवाया गया था।

    इसलिए आम लोगों को भा रहे ये खास पौधे

    वनस्पति विशेषज्ञों का कहना है कि रुद्राक्ष का पेड़ विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों जैसे उत्तराखंड, नेपाल, सिक्किम आदि में पाया जाता है। इसके फल का धार्मिक महत्व है और इसे भगवान शिव से जोड़ा जाता है। इसके पौधे दो तरह के होते हैं। इसमें एक पहाड़ी क्षेत्र वाला तो दूसरा मैदानी क्षेत्र वाला पौधा। 

    भारत में सबसे अधिक मैदानी क्षेत्र वाले पौधे लगाए गए हैं। वहीं सिंदूर का पौधा मूल रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका का पौधा है, लेकिन अब भारत में भी इसे सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है। 

    सिंदूर के पौधे के फल में एक लाल-नारंगी रंग होता है, जिससे पारंपरिक सिंदूर तैयार किया जाता है। इसके अलावा इसका प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और प्राकृतिक खाद्य रंगों में भी किया जाता है। यह पौधा न केवल दिखने में आकर्षक होता है, बल्कि इसका वातावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 

    संजय कुमार का कहना है कि इस पौधे के तैयार होने पर उसकी पूरी लंबाई महज 12 से 15 फिट के बीच होती है। तीन वर्ष में इसमें गुलाबी रंग का फूल आने लगता है। इसके बाद ये फल के रूप में परिवर्तित हो जाता है। सूखने के बाद भी इसका फल दो महीने तक गिरता नहीं है।