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    गोरखनाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ शुरू, CM योगी बोले- सनातन और भारत के कल्याण में निहित है सबका कल्याण

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 08:08 AM (IST)

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ पर कहा कि सनातन धर्म और भारत का कल्याण ही सबका लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा को जीवन के रहस्यों को उजागर करने वाली और अहंकार से मुक्ति दिलाने वाली बताया। गोरक्षपीठ के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इसने हमेशा समाज को सही दिशा दिखाई है।

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    जगद्गगुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज व कथा पीठ पर माला चढ़ाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अनादिकाल से चली आ रही भारतीय परंपरा में ज्ञान प्राप्ति के अनेक मार्ग हैं। किसी को श्रेष्ठ नहीं कहा सकता। सभी का समान महत्व है। केवल मंजिल एक है। वह है- सनातन व भारत का कल्याण।

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    सनातन और भारत के कल्याण में ही सबका कल्याण नीहित है। जिन कारणों से सनातन को नुकसान पहुंच सकता है उसे लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। सनातन को नुकसान पहुंचने पर मानव के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा।

    मुख्यमंत्री गुरुवार को गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य मेंं आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

    उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा से सनातन धर्मावलंबियों ने जीवन की वास्तविकता को खुद तो समझा ही है, दुनिया को भी समझाया है। यह ऐसी ज्ञान परंपरा है जो बिना रुके, बिना झुके हर काल-परिस्थिति में निरंतर जारी है।

    युगपुरुष ब्रम्हलीन महन्त दिग्विजय नाथ जी महाराज की 56वी एवं राष्ट्रसंत ब्रम्हालीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं सप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का वाचन करते जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज।-जागरण


    जीवन के वास्तविक ज्ञान के लिए, अहंकार से मुक्ति के लिए और जीवन की नश्वरता का अनुभव कराने के लिए भागवत पुराण जैसी कथाओं की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। योगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा निजी स्वार्थवश होने वाली गति को दुर्गति से बचाने, उत्थान की ओर ले जाने तथा जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के समन्वय की पीठ है। सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण ही गोरक्षपीठ का अभीष्ट है। महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

    गोरक्षपीठ ने समाज को दिखाई सही दिशा : राघवाचार्य

    कथा के शुभारंभ अवसर पर स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि जब-जब सनातन धर्म पर संकट आया तब-तब गोरक्षपीठ ने सभी संत समाज को एकत्रित कर समाज को सही दिशा दिखाई है। श्रीअयोध्याधाम से आए स्वामी अवधेश दास ने कहा कि मनुष्य को मनुष्य बनाने का संदेश सनातन धर्म देता है। गोरक्षपीठ सनातन धर्म के संवर्धन का कार्य करती चली आ रही है। स्वामी रामानन्दाचार्य ने कहा अपने आचार्य व गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखना हमारी भारतीय परंपरा रही है। इस परंपरा का गोरक्षपीठ ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

    वैदिक मंत्रोच्चार के बीच निकली श्रीमद्भागवत महापुराण की पोथी शोभायात्रा

    श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ से पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मुख्य मंदिर से कथा स्थल तक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। बैंडबाजे और शंखध्वनि की गूंज के बीच निकली शोभायात्रा वेदपाठी विद्यार्थियों के वैदिक मंत्रोच्चार से भव्यता के चरम पर पहुंच गई।

    शोभायात्रा के कथा स्थल पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ ने अखंड ज्योति स्थापित की। पोथी प्रतिष्ठा और कथा व्यास के विराजमान होने के बाद उन्होंने व अन्य यजमान ने व्यासपीठ की पूजा की। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, ब्रह्मचारी दासलाल जी महाराज, काशी से आए जगद्गुरु संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ, महंत धर्मदास, रामनाथ, राम मिलन दास, रामलखन दास, गंगादास, भरतदास, रुद्रनाथ, भोलानाथ, मनीष दास, कालीबाड़ी के महंत रवींद्र दास आदि मौजूद रहे। पूजन कार्य संस्कृत विद्यापीठ के वेदाचार्य डा. रंगनाथ त्रिपाठी ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डा. श्रीभगवान सिंह ने किया।

    जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ती है श्रीमद्भागवत कथा : राम दिनेशाचार्य

    श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पहले दिन कथाव्यास स्वामी राम दिनेशाचार्य ने कहा कि मानव जीवन में सिर्फ दो आयाम प्राप्त हो जाय, एक सतगुरु दूसरा किसी ग्रंथ का आश्रय मिल जाय तो जीवन धन्य हो जाता है। भगवान के द्वारा कही गई कथा ही भागवत कथा है, जिसको परम भागवत शुकदेव जी परीक्षित को सुनाते हैं।

    युगपुरुष ब्रम्हलीन महन्त दिग्विजय नाथ जी महाराज की 56वी एवं राष्ट्रसंत ब्रम्हालीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं सप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का वाचन करते जगद्गगुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज तथा कथा में उपस्थित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।-जागरण


    उन्होंने कहा कि भागवत कथा मृत्यु को महोत्सव बनाने वाली कथा है। जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ने के लिए पद्म पुराण में भागवत कथा के महत्व को कथाव्यास ने बताया। परमात्मा का स्वरूप बताते हुए उससे जुड़ने के लिए भागवत कथा को परम साधन बताया।

    प्रणाम का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रणाम करने से हमारे हृदय के अंदर का अभिमान सहज भाव में चला जाता है। एक प्रणाम श्रद्धा से होता है और दूसरा भय से होता है। शास्त्रों में झुककर प्रणाम करने की विधि बताई गई है।

    श्रीमद् भागवत के प्रथम श्लोक में कहा गया कि हम सब भगवान को प्रणाम करते हैं। कथा व्यास ने कहा कि कलयुग में काल के गाल से बचाने का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है श्रीमद्भागवत कथा। इस कथा के श्रवण करने मात्र से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। जो भगवान की भक्ति से विमुख होता है उसे भगवान की प्राप्ति कराती है भागवत कथा।

    भागवत कथा भक्ति सहित ज्ञान व वैराग्य की स्थापना करने में सक्षम होती है। कथाव्यास ने कहा कि संस्कृत मात्र भाषा नहीं है बल्कि भारत की अभिलाषा है। दुनिया जब-जब सुखी जीवन जीने की अभिलाषा करेगी, तब-तब उसे भारत की ओर और संस्कृत साहित्य की ओर देखना ही पड़ेगा। कथा का समापन आरती और प्रसाद वितरण से हुआ।

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