UP News: गोरखपुर नगर निगम जारी करेगा 100 करोड़ का म्यूनिसिपल बांड, विकास कार्यों को मिलेगी गति
गोरखपुर नगर निगम जल्द ही म्युनिसिपल बांड जारी करने की योजना बना रहा है जिसकी राशि 100 से 150 करोड़ रुपये तक होने की संभावना है। इसके लिए नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी है और संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है। बांड से प्राप्त राशि का उपयोग शहर के विकास कार्यों और आय के स्रोत बढ़ाने में किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर नगर निगम भी म्यूनिसिपल बांड लाने जा रहा है। नगर निगम गोरखपुर का म्यूनिसिपल बांड 100 से 150 करोड़ रुपये तक रहने की संभावना है। इसके लिए नगर निगम ने तकनीकी विशेषज्ञ अनुराग अरुण के नेतृत्व में फिर से कवायद शुरू कर दी है।
निगम की संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है। नगर निगम की बैलेंस शीट तैयार हो जाने के बाद दिसंबर तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और जनवरी 2026 में इसे नेशनल स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने की तैयारी है।
निगम ने पिछले वित्तीय वर्ष में रिकार्ड 110 करोड़ की कमाई संपत्ति का समेत अन्य मदों से की थी। ऐसे में उम्मीद है कि निगम 150 से 200 करोड़ रुपये का बांड जारी कर सकता है। मिलने वाली रकम से निगम आय के साधन बढ़ाने संबंधी विभिन्न प्रकार के इंतजाम करेगा। इसके तहत निगम
अपनी जमीन पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और व्यावसायिक कांप्लेक्स समेत विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक भवनों का निर्माण करेगा। नगर निगम के लेखाधिकारी नागेंद्र सिंह ने कहा कि पिछली बार नगर निगम की संपत्तियों के आकलन के आधार पर 100 से 150 करोड़ रुपये का म्यूनिसिपल बांड लाने की योजना तैयार की थी। इस बार निगम की संपत्तियां में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में इसमें बढ़ोतरी की संभावना है।
नगर आयुक्त की अध्यक्षता में सात सदस्यीय कमेटी गठित
म्यूनिसिपल बांड से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इनमें अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा, प्रमोद कुमार, लेखाधिकारी नागेंद्र सिंह, मुख्य अभियंता अमित शर्मा, महाप्रबंधक जलकल रघुवेंद्र कुमार और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी राकेश कुमार सोनकर को शामिल किया गया है।
नगर निगम गोरखपुर म्यूनिसिपल बांड लाने जा रहा है। इसकी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। निगम की संपत्तियों का आकलन किया जा रहा है। इसके आधार पर 100 से 150 करोड़ रुपये का बांड आने की संभावना है। -दुर्गेश मिश्रा, अपर नगर आयुक्त
क्या होता है म्यूनिसिपल बांड
म्यूनिसिपल बांड एक तरह का लेटर आफ क्रेडिट होता है। इससे लोगों या संस्थाओं से रकम जुटाई जाती है। बांड जारी करने वाली संस्था एक निश्चित समय के लिए धनराशि जुटाती है। और निश्चित रिटर्न के साथ वापस करने की गारंटी देती है। बांड में पैसा लगाने वालों को परिपक्वता अवधि पूरी होने पर सालाना ब्याज मिलता है। इससे मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से आयकर मुक्त होता है।
बांड जारी करने के लिए निगम के पास होनी चाहिए 25% की धनराशि
2015 में सेबी ने शहरी निकायों को बांड जारी के लिए दिशा निर्देश दिया है। बांड जारी करने संबंधित प्रविधानों में यह जरूरी है कि निगम के पास 25 प्रतिशत की धनराशि हो। तभी निगम 75 प्रतिशत की धनराशि बाजार से बांड के जरिए उठा सकेगा। बांड के जरिए मिलने वाले फंड का इस्तेमाल शहर के विकास पर होगा। कारपोरेट बांड के बजाय सरकारी बांड सुरक्षित माने जाते हैं। निगम का नेटवर्थ लगातार तीन वित्त वर्ष तक निगेटिव नहीं रहा हो और बीते एक साल में किसी प्रकार का डिफाल्ट नहीं करने वाला निगम ही बांड जारी कर पाएगा।
सेबी में दर्ज कराना होगा
बांड को बाजार में ले आने के पहले नगर निगम को तीन साल की बैलेंस शीट, संपत्तियों का ब्योरा रेटिंग एजेंसियों के सामने रखना होगा। इसी के आधार पर नगर निगम की रेटिंग जारी की जाएगी। रेटिंग के आधार पर नगर निगम सेबी में बांड के रूप में खुद को दर्ज करा सकेगा।
रेटिंग के बाद तय होगा प्रारूप
बांड को बाजार में लाने के पहले नगर निगम को कई प्रक्रिया से गुजरना होगा। प्रावधान के तहत नगर निगम गोरखपुर को तीन साल की बैलेंस शीट, नगर निगम की संपत्तियों का ब्योरा रेटिंग एजेंसियों के सामने पेश करना होगा। इन्हीं के आधार पर रेटिंग एजेंसी नगर निगम गोरखपुर का रेटिंग जारी करेंगी। इसी रेटिंग के आधार पर नगर निगम सेबी में बांड के रूप में अपने को दर्ज करा सकेगा। बांड से होने वाली आय से ही नगर निगम शॉपिंग काम्प्लेक्स समेत रियल एस्टेट सेक्टर में कदम बढ़ाएगा।
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