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    MMUT का 10वां दीक्षा समारोह: गले में पड़ा पदक तो चमक उठी मेधा, 19 टॉपरों को मिला 45 स्वर्ण पदक

    गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 10वां दीक्षा समारोह धूमधाम से मनाया गया। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने 19 टॉपरों को मेडल पहनाए और 1473 विद्यार्थियों को उपाधि दी। इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन मुख्य अतिथि थे। समारोह में छात्रों को सफलता के टिप्स दिए गए। कुलाधिपति ने डिजिलाकर में उपाधियाँ अपलोड करने के लिए बटन दबाया। छात्रों ने अपनी सफलता की कहानियाँ साझा कीं।

    By Rakesh Rai Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 27 Aug 2025 01:18 PM (IST)
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    एमएमयूटी के दसवें दीक्षा समारोह बैचलर डिग्री के साथ विद्यार्थी। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्याेगिकी विश्वविद्यालय मंगलवार को दीक्षा समारोह के 10वें पड़ाव को पार कर गया। विश्वविद्यालय के बहुद्देशीय सभागार मेंं पूरे उत्साह के साथ धूमधाम से 10वें दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने 19 टापरों के गले में 45 मेडल पहनाकर उनके जीवन में नई रोशनी भर दी। 1473 विद्यार्थियों के लिए उपाधि जारी कर उनके करियर को नई दिशा दे दी।

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    समारोह में बतौर मुख्य अतिथि इसरो के चेयरमैन डा. वी. नारायणन की मौजूदगी से पूरा परिसर गौरवान्वित हुआ। शिक्षक से लेकर विद्यार्थी तक उत्साहित दिखा। विशिष्ट अतिथि प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री संजय निषाद और पावर ग्रिड कार्पोरेशन लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक व विश्वविद्यालय के एलुमिनाई ई. युगेश कुमार दीक्षित की मौजूदगी ने भी तकनीक के मेधावियों का उत्साह बढ़ाया। समारोह को यादगार बनाया। समारोह में मेडल हासिल करने वाले मेधावियों को मंजिल हासिल करने के लिए मुख्य अतिथि, विशिष्ट और कुलाधिपति के टिप्स भी मिले, जिसे आत्मसात कर उन्होंने आगे बढ़ने का संकल्प लिया।

    परिसर का बदला-बदला माहौल सुबह से ही विशेष आयोजन का अहसास करा रहा था। हर कदम तेजी से आयोजन स्थल की ओर बढ़ता जा रहा था। बहुद्देश्यीय सभागार तक पहुंच कर कदम थम रहे थे। सभागार में स्थान लेने के बाद ही विराम ले रहे थे। 11 बजते-बजते सभागार भर गया, आयोजन के शुरू होने को लेकर लोगों का रोमांच बढ़ गया।

    सुबह 11:20 बजे संचालक ने जब अतिथियों के सभागार में पहुंचने की घोषणा की तो सभी की निगाहें द्वार की ओर टिक गईं। घोषणा के तत्काल बाद शैक्षणिक शोभायात्रा ने सभागार में प्रवेश किया। सबसे आगे कुलसचिव प्रकाश प्रियदर्शी चल रहे थे।

    उनके पीछे-पीछे विद्या परिषद, अधिष्ठाता, प्रबंध बोर्ड के सदस्य, कुलपति, विशिष्ट अतिथि और कुलाधिपति आगे बढ़ रहे थे। मंच पर पहुंचकर शैक्षणिक शोभायात्रा सम्पन्न हुई। सभी अतिथि मंचासीन हुए और समारोह के आयोजन की औपचारिक शुरुआत हुई।

    राष्ट्रगीत और कुलगीत के गायन के बाद कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने कुलाधिपति से कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति मांगी। अनुमति मिली तो उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से बात की। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कुलाधिपति की ओर से कुलपति ने दीक्षोपदेश दिया।

    उसके बाद शुरू हुआ उपाधि प्रदान करने का सिलसिला। पहले पीएचडी धारकों को कुलाधिपति ने उपाधि दी। उसके बाद टापरों के गले में उन्होंने मेडल पहनाया। सभी अधिष्ठाताओं ने अपने-अपने टापरों को बुलाया, उन्हें कुलाधिपति के हाथों सम्मानित कराया।

    कुलाधिपति ने डिजिलाकर में सभी की उपाधियों और अंकपत्रोें को अपलोड करने के लिए बटन भी दबाया। उसके बाद संबोधन का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले विशिष्ट अतिथि ई. युगेश दीक्षित का संबोधन हुआ। उसके बाद डीएससी की मानद उपाधि देने के साथ मुख्य अतिथि डा. वी. नारायणन को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया।

    अंत में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का संबोधन हुआ। राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ। कुलाधिपति की अनुमति से जब कुलपति ने समारोह के समापन की घोषणा की तो उसके बाद शुरू हुआ बधाई और फोटो सेशन का दौर। पहले टापरों व उपाधिधारकों ने अतिथियों के साथ फोटो सेशन कराया। उसके बाद परिवार व साथियों के साथ तस्वीर खिंचवाकर यादगार पलों को सहेज लिया।

    दीक्षा समारोह में दिए गए पदक व उपाधियां

    • कुल स्वर्ण पदक : 45
    • कुलाधिपति पदक : 3
    • कुलपति पदक : 19
    • स्मूति पदक : 23
    • उपाधि : 1473
    • पीएचडी उपाधि : 44

    कुलाधिपति से पदक प्राप्त करके उत्साहित हूं। वर्तमान में एक निजी कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर हूं। दिल्ली में पोस्टिंग हैं। आगे मास्टर डिग्री लेने का विचार है। एमटेक या एमबीए कर सकती हूं।

    -आस्था सिंह सचान, बीटेक छात्रा टापर (कंप्यूटर साइंस), लखनऊ

    राज्यपाल के हाथों स्वर्ण मिलने से लक्ष्य प्राप्ति को लेकर मेरा हौसला बढ़ा है। बीटेक करने के बाद गेट की तैयारी में लगा हुआ हूं। किसी अच्छी कंपनी में रोजगार का अवसर मिलते ही ज्वाइन करुंगा।- शुभम तिवारी टापर (केमिकल इंजीनियरिंग), देवरिया

    बीटेक टाप करने बाद इसी क्षेत्र मेें नाम करने का लक्ष्य मैंने निर्धारित किया है। एमटेक करने के प्रयास में हूं। इसी दिशा में अध्ययन प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा हूं। फिलहाल एक निजी कंपनी में सेवा दे रहा हूं।- लक्ष्मीकांत सिंह, बीटेक टापर (मैकेनिकल इंजीनियरिंग), मीरजापुर

    विश्वविद्यालय के मंच से राज्यपाल के हाथों स्वर्ण पदक प्राप्त करने को मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। कार्पोरेट जगत में बतौर इंजीनियर कदम रख दिया है। सिविल सेवा परीक्षा देने की मेरी इच्छा है।-प्रथम कुमार गौड़, बीटेक टापर (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), बस्ती

    मेरी इच्छा आइईएस बनने की है। इसके लिए तैयारी में जुट गया हूं। ब्रांच टाप करके गोल्ड मेडल प्राप्त करने से लक्ष्य को लेकर मेरा उत्साह बढ़ा है। पिता किसान है। उनकी इच्छा मुझे अफसर बनता देखने की है।

    -आयुष मौर्य, बीटेक टापर (सिविल इंजीनियरिंग), चंदौली

    मैंने पढ़ाई तो बहुत अच्छे से की थी, कुलाधिपति के हाथों सर्वाधिक पांच स्वर्ण पदक प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, ऐसा नहीं सोचा था। काफी उत्साहित हूं। साफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर सेवा शुरू कर दी है।

    दिव्यांश तिवारी, बीटेक टापर (कंप्यूटर साइंस), सासाराम बिहार

    बीफार्म में प्रवेश तो लिया लेकिन भविष्य को लेकर अनिश्चित थी। पढ़ती गई, हौसला बढ़ता गया। ओवरआल स्नातक टाप करने के बाद तो शानदार भविष्य भी दिखने लगा। बीट्स पिलानी से एमफार्म कर रही हूं।

    मृदानी त्रिपाठी, चार वर्षीय स्नातक टापर (बीफार्म), सिद्धार्थनगर

    इसरो के चेयरमैन के सामने कुलाधिपति के हाथों स्वर्ण पदक मिलना अद्भुत पल था। इससे उत्साह बढ़ा है। अब आइआइएम से एमबीए करने की इच्छा है। इसके लिए कैट की तैयारी कर रही हूं।-ऋद्धि वैश्य, टापर (बीबीए), गोरखपुर

    शोध करना मुझे अच्छा लगता है। इसके चलते ही मैंने एमटेक किया है। इसमें टाप करने से हौसला बढ़ा है। पीएचडी के लिए आइआइटी, मुंबई में पंजीकरण कराया है। उपयोगी शोध के जरिये देश सेवा का लक्ष्य है।

    अर्चना आनंद, एमटेक (ओवरआल टापर), गोरखपुर

    साफ्टवेयर इंजीनियर बनने की इच्छा अध्ययन की शुरुआत से ही थी। एमसीए टाप करने से यह इच्छा पूरी होती दिखने लगी है। नौकरी के लिए प्रयास कर रहा हूं। जल्द अच्छा प्लेसमेंट होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

    सचिन चौहान, एमसीए टापर, रानीपुर, मऊ

    एमबीए पूरा होने के बाद टीसीएस में नौकरी मिल गई है। काम भी कर रही हूं लेकिन मुझे पीएचडी भी करना है। कोशिश होगी कि जल्द इसे लेकर पंजीकरण हो जाए। हालांकि मुझे उसके बाद भी नौकरी ही करनी है।

    आयुषी श्रीवास्तव, एमबीए टापर, गोरखपुर

    मैंने सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। डा. विनय भूषण चौहान के निर्देशन में पर्वतों की ढलान पर भूकंपरोधी भवन बनाने की तकनीक विकसित की है। वर्तमान में देवरिया पालिटेक्निक में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हूं।

    -निमिषा द्विवेदी, पीएचडी उपाधि, महराजगंज