गोरखपुर में इस जगह से हटेगा कूड़े का अंबार, GDA कराएगा सुंदरीकरण; बनेगा पिकनिक स्पॉट
गोरखपुर के बीचोंबीच स्थित सुमेरसागर ताल को अब जीडीए अपने खर्च से संवारेगा। कभी जुहू चौपाटी बनाने की योजना थी पर बजट की कमी से यह डंपिंग ग्राउंड बन गया। जीडीए जमीन का सीमांकन कराएगा कानूनी मामलों की समीक्षा करेगा और सौंदर्यीकरण परियोजना विकसित करेगा। पहले 18 एकड़ जमीन मुक्त कराई गई थी पर अतिक्रमण फिर शुरू हो गया।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शासन और पर्यटन विभाग से मदद नहीं मिल पाने के बाद अब गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) शहर के बीचोबीच स्थित ताल सुमेरसागर का अपने खर्च से कायाकल्प करेगा। वजूद खो चुके ताल की जगह जमा कूड़े का अंबार हटाने के साथ ही प्राधिकरण न केवल इसका दशकों पुराना लौटाएगा बल्कि सुंदरीकरण भी कराएगा।
प्राधिकरण की ओर से पोखरे की जमीन का फिर से सीमांकन कराया जाएगा। साथ ही कोर्ट में चलने वाले केसों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही बाकी बचे जगह को पहले चरण में सुरक्षित करते हुए उसके विकास की परियोजना विकसित की जाएगी। इसे लेकर तैयारी शुरू हो गई है।
कब्जेदारों से खाली कराकर ताल सुमेर सागर को जुहू चौपाटी बनाने की योजना सफल नहीं होने से ताल सुमेर सागर डंपिंग ग्राउंड बनकर रह गया है, जहां अस्पतालों से निकलने वाले कचरे के साथ ही आस-पास के क्षेत्र का कूड़ा गिर रहा है। गंदगी और बदबू से आस-पास बसे लोग परेशान हैं तो वहीं मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। संक्रामक बीमारी के फैलने का खतरा बना हुआ है।
पांच साल पहले मुक्त कराई गई थी 18 एकड़ भूमि
करीब पांच साल पूर्व तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और वर्तमान में नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल के नेतृत्व में महीनों चली कार्रवाई के बाद ताल सुमेर सागर की करीब 18 एकड़ भूमि कब्जा मुक्त कराई गई थी। लेकिन, अभी तक इसे सुरक्षित भी नहीं किया जा सका। मौके पर बाड़बंदी तक नहीं कराई जा सकी, जिसकी वजह से फिर से ताल की भूमि पर अतिक्रमण होने लगा है।
जुहू चौपाटी की तरह विकसित करने की थी योजना
जीडीए ने त्वरित आर्थिक विकास योजना के तहत इस पूरे क्षेत्र को जुहू चौपाटी की तरह विकसित करने की योजना बनाई थी। मौके पर कुछ काम भी शुरू हो गया था लेकिन, शासन से योजना को मंजूरी ही नहीं मिली। बाद में जीडीए ने पर्यटन विभाग को भी प्रस्ताव भेजा था लेकिन, वहां से भी रुचि नहीं दिखाई गई जिसके बाद प्रस्ताव निरस्त हो गया। अब जीडीए ने अपने खर्च पर ताल सुमेरसागर की सूरत बदलने का निर्णय किया है। जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन के निर्देश पर प्रस्ताव तैयार करने की कवायद शुरू होने जा रही है।
27.74 करोड़ में बनी थी सुंदरीकरण की परियोजना
18.50 एकड़ में विजय चौराहा से धर्मशाला बाजार के बीच फैले सुमेर सागर ताल के सुंदरीकरण की परियोजना बनाई गई थी। 27.74 करोड़ रुपये की इस परियोजना को जीडीए बोर्ड बैठक में स्वीकृति भी मिल गई थी। इसके बाद एजेंसी मेसर्स प्रभा कंस्ट्रक्शन का चयन करते हुए उसे वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया।
एजेंसी को दो सितंबर 2023 से लेकर एक जून 2024 तक सुंदरीकरण का काम पूरा करना था। परियोजना त्वरित आर्थिक विकास मद से बनाई गई थी, लेकिन कई बार के अनुरोध के बाद भी शासन ने इस मद से ताल के सुंदरीकरण का काम कराने की अनुमति ही नहीं दी।
मंथन के बाद पयर्टन विभाग को भी परियोजना स्वीकृति के लिए भेजी गई, लेकिन वहां से भी ना हो गई। धनाभाव में वर्क आर्डर पाने वाली कंपनी ने कुछ दिन काम करने के बाद काम भी रोक दिया।
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