Gorakhpur Fire: धुएं और धमाकों के बीच फंसा परिवार, दमकल कर्मियों ने बचाई जान
गोरखपुर के गोविंद नगरी कॉलोनी में कपड़ा व्यापारी अनूप बंका के घर में आग लगने से दहशत फैल गई। आग लगने का कारण एसी में शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। दमकल कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए परिवार के पांच सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाला। मोहल्ले वालों ने भी राहत की सांस ली। परिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उनकी हालत स्थिर है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोविंद नगरी कालोनी शनिवार सुबह उस दर्दनाक दृश्य की गवाह बनी, जिसे याद कर परिवार के साथ ही आसपास के लोग सिहर जा रहे हैं।कपड़ा व्यापारी अनूप बंका के मकान में लगी आग ने पूरे परिवार को मौत और जिंदगी के बीच झोंक दिया। धुआं, धमाके और चीखों के बीच फंसे पांच लोग आखिरकार दमकलकर्मियों की हिम्मत से बच सके।
करीब 9:30 बजे घर का कर्मचारी चंदन भूतल की सफाई कर रहा था। अचानक उसने देखा कि एसी से धुआं निकल रहा है। जब तक वह कुछ समझ पाता, आग ने गोदाम में रखे कपड़ों को अपनी लपटों में ले लिया। शोर मचाते ही धुआं ऊपर तक फैल गया।
परिवार ने नीचे उतरने की कोशिश की लेकिन हर रास्ता आग और धुएं से बंद हो चुका था। शीशे धमाके के साथ टूटते रहे और पूरा माहौल खौफनाक बन गया।मोहल्ले में हाहाकार मच गया। लोग दरवाजे तक पहुंचे, लेकिन अंदर जाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया। हर कोई आंखें फाड़कर उस मकान की ओर देख रहा था, जहां से बचाओ-बचाओ की चीखें आ रही थीं।
सांसें थमी थीं और सबकी निगाहें फायर ब्रिगेड के आने का इंतजार कर रही थीं।करीब दस मिनट बाद दमकल का सायरन गूंजा और गोलघर फायर स्टेशन से सीएफओ की अगुवाई में टीम मौके पर पहुंची। फायरकर्मियों ने बिना वक्त गंवाए सीढ़ियां लगाईं और रेस्क्यू अभियान शुरू किया।
आग और धुएं के बीच हिम्मत दिखाते हुए दमकलकर्मियों ने ऊपर फंसे परिवार तक पहुंच बनाई। एक-एक कर मुरारी लाल, कृष्णा, अनूप और दोनों महिलाओं को बाहर निकाला गया। उस समय उनकी हालत बेहद खराब थी, सभी की सांसें तेज चल रही थीं और चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था।
परिवार को जैसे ही बाहर निकाला गया, मोहल्ले की हवा राहत से भर गई। बाहर आते ही परिजन एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे। पड़ोसियों की आंखें भी नम हो गईं। उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत स्थिर बताई जा रही है।
सिसकियां सुन नम हो गई कालोनी वालों की आंखें:
घटना के चश्मदीद कालोनी वालों ने बताया कि परिवार के सदस्य जब बाहर आए तो उनके चेहरे पर मौत का खौफ साफ झलक रहा था। वे एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे। महिलाओं की चीखें और बच्चों की सिसकियां सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। पूरा मोहल्ला राहत की सांस ले रहा था कि जान बच गई, वरना हादसा पल भर में मातम में बदल सकता था।
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कमरे में घिरने के बाद मुश्किल हो गया था सांस लेना:
उपचार के बाद परिवार को जब होश आया तो उन्होंने बताया कि धुंए से घिरे कमरे में सांस लेना मुश्किल था।अंदर शीशे टूटने की आवाजें धमाके की तरह गूंज रहीं थीं। सब लोग दीवार पकड़कर खड़े थे।मगर लपटों का सामना करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। जब दमकल का सायरन गूंजा तो उम्मीद की किरण फूट पड़ी।इसी बीच वह लोग अचेत हो गए।अनूप बंका ने पुलिस व दमकलकर्मियों का आभार जताया।
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