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    Gorakhpur News: छह माह में अपहरण के 64 मामले, अधिकांश में लड़कियां गायब

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 11:05 AM (IST)

    गोरखपुर में अपहरण की वारदातें बढ़ रही हैं। बीते छह महीनों में गोरखपुर जिले में 64 अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं जबकि पूरे गोरखपुर रेंज में यह आंकड़ा 117 तक पहुंच गया है। पुलिस का दावा है कि 60% से अधिक मामलों में पीड़ितों को बरामद किया गया है पर कई मामलों में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। कुछ मामलों में फिरौती भी मांगी गई।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिले में अपहरण की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। बीते छह माह के भीतर केवल गोरखपुर में ही 64 अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, पूरे गोरखपुर रेंज (गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर व महराजगंज) में यह आंकड़ा 117 तक पहुंच चुका है। हालांकि पुलिस का दावा है कि 60 प्रतिशत से अधिक मामलों में पीड़ित को बरामद कर लिया गया है, लेकिन कई केस ऐसे भी हैं जहां पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है।

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    जनवरी 2025 से अब तक गोरखपुर में 64, कुशीनगर में 40, महराजगंज में सात और देवरिया में छह अपहरण के मामले दर्ज किए गए। इनमें से अधिकांश मामलों में नाबालिग लड़कियों के गायब होने की शिकायत है। जांच में कई केस प्रेम-प्रसंग से जुड़े निकले, जबकि कुछ मामलों में परिजन की सूचना पर जबरन अपहरण की एफआइआर दर्ज कराई गई।

    पुलिस रिकार्ड के मुताबिक अब तक कुल मामलों में से करीब 60 प्रतिशत ही वर्कआउट हो सके हैं। गोरखपुर में सबसे अधिक 64 केस दर्ज हुए, जिनमें 39 मामलों में बरामदगी की पुष्टि हुई है। शेष 25 केस अब भी अधूरे हैं या विवेचना लंबित है।

    कुछ मामलों में पीड़ित पक्ष ने थानों में लापरवाही का आरोप भी लगाया।रामगढ़ताल क्षेत्र से लापता किशोरी की लोकेशन मुंबई में मिलने पर दारोगा ने पिता व रिश्तेदारों को भेज दिया।खुद हवाई जहाज से आने की बात कह नहीं गए।

    चार दिन मुंबई में भटकने के बाद वह लौट आए।किरकिरी होने पर अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस टीम भेजी गई।

    तीन दशक पहले फिरौती के लिए उठाए जाते थे लोग

    फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं आज भले कम हो गई हों, लेकिन एक दौर था जब डॉक्टर, उद्योगपति और नामी लोग सुरक्षित नहीं थे। 1999 से लेकर 2010 तक हर साल कोई न कोई सनसनीखेज वारदात सामने आयी जिसमें अपहरण कर फिरौती मांगी गई,कई लोगों को पुलिस ने बड़ी मशक्कत से छुड़ाया,ऐसे लोग भी हैं जो फिरौती देकर छूटे।

    एक समय ऐसा था जब 'अपहरण' शब्द लोगों के ज़ेहन में डर की तरह बैठ गया था। वर्ष 1999 में गोरखनाथ इलाके से शहर के प्रसिद्ध डाक्टर का अपहरण हुआ।तीन साल बाद फिरौती के लिए बदमाश एक उद्योगपति को उठा ले गए। वर्ष 2007 में शहर के दो डॉक्टरों का अपहरण हुआ।

    अपहर्ता उन्हें बिहार उठा ले गए जहां दियारा व सीमावर्ती गांवों में उन्हें छिपाकर रखा गया।इसके अलावा एक छात्र के अपहरण पर भी हंगामा मचा था। गीडा के पिपरौली गांव के अलीम का सात वर्षीय अर्श स्कूल से घर नहीं लौटा। अपहर्ताओं ने 50 हजार की फिरौती मांगी, लेकिन बाद में 20 हजार पर आ गए। जब तक पुलिस कुछ कर पाती, पड़ोसी शेर अली और उसके दो बेटों ने अर्श की हत्या कर दी थी।

    शव बोरे में भर कर पोखरे के पास फेंक दिया गया।वर्ष 2020 में जंगल धूषण इलाके से बलराम नामक छात्र का अपहरण हुआ। पिता महाजन के पास एक करोड़ की फिरौती की मांग आई। लेकिन जब तक पुलिस सक्रिय हुई, बलराम की हत्या हो चुकी थी। मामले में नौ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।