कोबाल्ट-60 मशीन की जगह लेगी लिनैक, कैंसर रोगियों का होगा सटीक उपचार
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कैंसर रोगियों के इलाज के लिए कोबाल्ट 60 मशीन की जगह अब लीनियर एक्सीलरेटर (लिनैक) लगाई जाएगी। यह आधुनिक तकनीक ट्यूमर को सटीक रूप से लक्षित करेगी, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों को कम नुकसान होगा। इस नई मशीन से मरीजों को बेहतर और सटीक उपचार मिल सकेगा, जिससे इलाज के परिणाम बेहतर होंगे और दुष्प्रभाव कम होंगे।

कोबाल्ट 60 मशीन की जगह लेगी लिनैक।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच अब उपचार की तकनीकों में तेजी से बदलाव आ रहा है। कैंसर रोग विभाग में वर्षों से उपयोग की जा रही कोबाल्ट-60 मशीन जहां सीमित क्षमता के कारण धीरे–धीरे अप्रासंगिक होती जा रही है। वहीं, आधुनिक लीनियर एक्सलेरेटर (लिनैक) मशीन कैंसर उपचार में नई उम्मीद बनकर सामने आई है।
दोनों मशीनों की क्षमता, सटीकता और सुरक्षा में बहुत ज्यादा अंतर है। लिनैक कई गुणा ज्यादा सटीक सेंकाई कर सकती है। भविष्य का उपचार लीनियर एक्सलेरेटर आधारित तकनीक पर निर्भर करेगा।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. मामून खान ने बताया कि कोबाल्ट-60 मशीन पारंपरिक तकनीक पर आधारित है। इसमें एक स्थायी रेडियोधर्मी स्रोत (कोबाल्ट–60) होता है, जो लगातार गामा किरणें उत्सर्जित करता रहता है। समय के साथ इन किरणों की शक्ति कम होती रहती है, जिससे मशीन की प्रभावशीलता भी घटती जाती है।
इस तकनीक की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह ट्यूमर को लक्ष्य बनाते हुए भी आसपास के स्वस्थ ऊतकों को प्रभावित कर देती है। मरीजों में त्वचा जलना, थकान, उल्टियां, कमजोरी और लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव आम हैं।
इसके विपरीत लीनियर एक्सलेरेटर मशीन सटीक, नियंत्रित और टार्गेटेड रेडिएशन देने की आधुनिक तकनीक से लैस है। यह इलेक्ट्रान की गति बढ़ाकर एक्स-रे या इलेक्ट्रान बीम तैयार करती है और उन्हें बिल्कुल उसी हिस्से तक पहुंचाती है, जहां ट्यूमर मौजूद होता है। इसकी खासियत यह है कि यह शरीर के भीतर गहराई में स्थित ट्यूमर तक भी सुरक्षित तरीके से विकिरण पहुंचा सकती है।
लीनियर एक्सलेरेटर की सटीकता कोबाल्ट-60 की तुलना में 10 से 15 गुणा अधिक है। लिनैक उपचार के दौरान हर सत्र में ट्यूमर की स्थिति को दोबारा जांचता है, जिससे विकिरण का एक-एक मिलीमीटर भी गलत दिशा में नहीं जाता। वहीं कोबाल्ट- 60 में ऐसी सुविधा नहीं होती, जिससे ट्यूमर के आसपास के स्वस्थ हिस्सों पर विकिरण का खतरा बना रहता है।
सुरक्षा के मामले में भी लिनैक ज्यादा अच्छी है। इसमें स्थायी रेडियोधर्मिता नहीं होती, इसलिए मशीन बंद रहते समय विकिरण का कोई रिसाव नहीं होता। इसके विपरीत कोबाल्ट- 60 मशीन लगातार रेडिएशन स्रोत होने के कारण अधिक सुरक्षा उपायों की मांग करती है। यही कारण है कि दुनिया भर में अस्पताल कोबाल्ट- 60 मशीनों को चरणबद्ध तरीके से हटा रहे हैं।

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