गोरखपुर में सख्ती बढ़ी तो बाजार से गायब हो गया था रंगा आलू, अधिकारियों ने मिठाई पर जांच फोकस की तो फिर शुरू हुआ खेल
गोरखपुर में मिलावटी सामान के खिलाफ प्रशासन की सख्ती के बाद बाजार से रंगा आलू गायब हो गया था। लेकिन, जैसे ही अधिकारियों ने मिठाई पर ध्यान केंद्रित किया, यह खेल फिर से शुरू हो गया। त्योहारों के मौसम में मिलावटखोर फिर सक्रिय हो गए हैं और रंगा आलू का इस्तेमाल फिर से शुरू हो गया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिले में लाल रंग से रंगकर आलू बेचने का मामला छह महीने पहले भी सामने आया था। तब इसे सहजनवां की मंडी में पकड़ा गया था। उस समय आशंका जताई गई थी कि आलू को रंगा गया है। इस पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने व्यापारियों को चेतावनी भी दी थी। इसके बाद महेवा मंडी में भी व्यापारियों से कहा गया था कि किसी भी हाल में लाल रंग से रंगा आलू नहीं मंगाएंगे लेकिन जैसे ही सख्ती कम हुई, खेल शुरू हो गया।
सहायक आयुक्त डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कुछ महीने पहले मंडी सचिव के साथ मिलकर थोक व्यापारियों से बात की गई थी। उन्हें यह आलू न मंगवाने के लिए जागरूक किया गया था। कुछ दिन तक आवक कम रही लेकिन फिर बढ़ गई। फेरिक आक्साइड या आयरन आक्साइड का प्रयोग प्रायः पेंट, सिरेमिक और कास्मेटिक्स में होता है। लेकिन आलू या किसी भी ताजी सब्जी पर कोटिंग के रूप में इसका प्रयोग अनुमन्य नहीं है।
आयरन आक्साइड से लेपित आलू खाने पर शरीर में धातु जा सकती है। जिससे पेट की गड़बड़ी, उल्टी, मितली हो सकती है। कुछ संवेदनशील व्यक्तियों में आयरन की अधिकता भी हो सकती है। लंबे समय तक सेवन करने से लिवर, गुर्दे और पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है। सब्जियों पर आयरन आक्साइड या अन्य कृत्रिम रंगों का प्रयोग खाद्य मिलावट माना जाता है।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (एफएसएसए) भारत तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार यह प्रतिबंधित है। कई बार ऐसे रंगों का प्रयोग पुराने आलू को ताजा और चमकीला (लाल या पीला) दिखाने के लिए किया जाता है। यह रंग आलू के छिलके से भीतर तक पहुंच सकता है और नियमित सेवन पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

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