गोरखपुर AIIMS में डेढ़ घंटे बाद आए डॉक्टर, बच्चे को मृत बताते ही मच गया हंगामा
गोरखपुर एम्स में इलाज में लापरवाही का मामला सामने आया है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज से लाए गए एक नवजात को डॉक्टरों ने डेढ़ घंटे तक नहीं देखा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। अन्य मरीजों के परिजनों ने भी ऐसी ही शिकायतें की हैं। एम्स प्रशासन ने मामले की जांच की बात कही है।

तीन दिन के नवजात को बीआरडी मेडिकल कालेज से एम्स की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे थे स्वजन
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स की इमरजेंसी में उपचार में लापरवाही बढ़ने लगी है। बीआरडी मेडिकल कालेज से शुक्रवार शाम आए तीन दिन के नवजात को डाक्टरों ने डेढ़ घंटे तक नहीं देखा। स्वजन ने शोर मचाना शुरू किया तो एक डाक्टर आए और नवजात को मृत बताकर चले गए। बच्चे की मृत्यु की जानकारी के बाद स्वजन के सब्र का बांध टूट गया। उन्हें देर रात तक हंगामा किया।
डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि यदि डाक्टरों ने तत्काल देख लिया होता तो जान बच सकती थी। यदि एम्स में बेड नहीं उपलब्ध था तो भी बताना चाहिए था, हम बच्चे को लेकर निजी अस्पताल में जाते। डेढ़ घंटे बर्बाद होने से नन्हें से बच्चे की जीवन की डोर टूट गई। कई और रोगियों के स्वजन ने भी इमरजेंसी में लापरवाही का आरोप लगाया है।
महराजगंज जिले के घुघली थाना क्षेत्र अंतर्गत बरवा खुर्द निवासी लवकुश चौधरी किराना की दुकान चलाते हैं। उनकी पत्नी रंजना देवी ने बुधवार की रात 1:58 बजे बच्चे को जन्म दिया। गुरुवार तक बच्चा स्वस्थ था लेकिन शुक्रवार को उसकी हालत बिगड़ने लगी। उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। स्वजन उसे जिला अस्पताल महराजगंज ले गए। वहां से उसे बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया।
बीआरडी मेडिकल कालेज से डाक्टरों ने बच्चे को हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी तो स्वजन शुक्रवार शाम सात बजे एम्स की इमरजेंसी पहुंचे। यहां शोर मचाने पर रात 8:35 बजे पर्चा बना। थोड़ी देर बाद एक डाक्टर आए और बच्चे को मृत बता दिया। आरोप है कि हंगामा कर रहे स्वजन को मारने के लिए एक महिला गार्ड ने चप्पल उठा लिया।
एम्स में मीडिया सेल की चेयरपर्सन डा. आराधना सिंह ने कहा कि नवजात की हालत गंभीर थी। उसे डेढ़ घंटे तक क्यों उपचार नहीं मिला, इसकी जानकारी की जाएगी। सभी रोगियों का उपचार किया जा रहा है।
न्यूरो सर्जरी अभी नहीं, लौटाए जा रहे रोगी
कुशीनगर के 60 वर्षीय नारायण शनिवार दोपहर एक बजे एम्स की इमरजेंसी में ले आए गए। बेटी सरिता देवी ने बताया कि कुशीनगर में हुए सीटी स्कैन में पता चला कि दिमाग में खून का थक्का जमा है। अच्छे उपचार के लिए एम्स ले आयी लेकिन यहां बहुत लापरवाही है। इमरजेंसी वार्ड में ग्लूकोज की बोतल लगाकर छोड़ दिया। कोई न तो देखने वाला है और न ही कुछ बताने वाला है। लापरवाही के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। गार्डों का व्यवहार इतना खराब है कि एम्स में आकर पछता रही हूं। पता चल रहा है कि न्यूरो सर्जरी नहीं होती है। अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें।
डॉक्टर बोले, समझ में नहीं आ रहा क्या हुआ, ओपीडी में जाएं
बांसगांव की रहने वाली 32 वर्षीय चंदा देवी की तबियत शनिवार दोपहर 12 बजे बिगड़ गई। वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गईं। पति रंजीत पांडेय उन्हें लेकर बांसगांव समुदाय स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे। वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। अच्छे उपचार के लिए पत्नी को सीधे लेकर एम्स पहुंचे।
बोले कि इमरजेंसी वार्ड के डाक्टर ने पत्नी को देखने के बाद बोला कि हमें समझ में नही आ रहा है कि इन्हें क्या हुआ है। मेडिसिन ओपीडी में दिखाइए। पत्नी को लेकर अब बीआरडी मेडिकल कालेज जा रहा हूं। कहा कि जूनियर डाक्टरों के भरोसे उपचार हो रहा है। वह उपचार कम, प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि कौन सा रोग है।

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