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    Gorakhnath Temple: सीएम योगी आदित्यनाथ हैं इसके मठाधीश, आपसी सौहार्द का प्रतीक है यहां का ख‍िचड़ी मेला

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 17 Jun 2022 10:51 PM (IST)

    Gorakhnath Temple गोरखपुर के गोरखनाथ मंद‍िर का सवर्णिम इत‍िहास रहा है। गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन से मात्र तीन क‍िलोमीटर की दूरी पर स्‍थत‍ि इस मंद‍िर में प्रत‍िवर्ष लगने वाले ख‍िचड़ी मेले में देश भर से श्रद्धालु भाग लेने आते हैं।

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    गोरखपुर का प्रस‍िद्ध गोरखनाथ मंद‍िर। - फाइल फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ के कारण गोरखपुर का गोरखनाथ मंद‍िर इस समय पूरे देश में चर्चित है लेक‍िन इस मंद‍िर का अस्‍त‍ित्‍व त्रेता युग से है। अलाउद्दीन ख‍िलजी और औरंगजेब द्वारा इस मंद‍िर को नष्‍ट करने की कोश‍िश की गई लेक‍िन इस मंद‍िर का महत्‍व हमेशा कायम रहा। मंकर संक्रांत‍ि पर इस मंद‍िर पर‍िसर में लगने वाला ख‍िचड़ी मेला में देश भर से श्रद्धालु यहां आकर बाबा गोरखनाथ को ख‍िचड़ी चढ़ाते हैं। गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन से इस मंद‍िर की दूरी मात्र तीन क‍िलोमीटर है।

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    अलाउद्दीन ख‍िलजी और औरंगजेब ने क‍िया था इसपर आक्रमण

    इतिहास में जिक्र है कि 14वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी और उसके बाद 18वीं शताब्दी में औरंगजेब ने इस मंद‍िर पर आक्रमण कर इसे नष्‍ट करने का प्रयास क‍िया था। मंद‍िर का कुछ ह‍िस्‍सा क्षत‍िग्रस्‍त हुआ लेक‍िन हिंदू संस्कार और परंपराओं को यहां जीवंत रखा गया। 19वीं सदी में दिवंगत महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवेद्यनाथ के सहयोग से इस मंदिर का जीर्णोद्धार श्रद्धालुओं की ओर से कराया गया था। इस मंद‍िर के महत्‍व को इस बात से समझा जा सकता है क‍ि यहां के बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही इस ज‍िले का नाम गोरखपुर पड़ा।

    यह है गोरखनाथ मंदिर का इतिहास

    उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ वर्तमान में इस पीठ के महंत और गोरक्षपीठाधीश्वर हैं। गोरखनाथ मंदिर की वेबसाइट के अनुसार गोरक्षनाथ ने पवित्र राप्ती नदी के किनारे तपस्या की थी और उन्‍हें कई प्रकार की स‍िद्ध‍ियां म‍िली थीं। गोरखनाथ मंदिर का करीब 52 एकड़ क्षेत्र में विस्तार है। मंद‍िर पर‍िसर में स्‍थ‍ित अखंड ज्योति और अखंड धूना इस मंदिर की खास विशेषता है। मान्‍यता है क‍ि अखंड धूना में यहां सद‍ियों से आग नहीं बुझी है और द‍िन रात यहां से धुआं न‍िकलता रहता है।

    गोरखनाथ मंदिर का इतिहास

    गोरखनाथ को गोरखनाथ मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मठ नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है। इसका नाम गोरखनाथ मध्ययुगीन संत गोरखनाथ (सी. 11 वीं सदी ) से निकला है जो एक प्रसिद्ध योगी थे। नाथ परंपरा गुरु मच्छेंद्र नाथ द्वारा स्थापित की गई थी। गोरखनाथ मंदिर उसी स्थान पर स्थित है जहां वह तपस्या करते थे और उनको श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए यह मन्दिर की स्थापना की गई।

    मंदिर की मान्यता

    उत्तर प्रदेश, तराई क्षेत्र और नेपाल में यह मंदिर काफी लोकप्रिय है। गुरु गोरखनाथ के साथ जुड़े कथा का एक यह चमत्कार है कि जो भी भक्त गोरखनाथ चालीसा 12 बार जप करता है वह दिव्य ज्योति या चमत्कारी लौ के साथ ही धन्य हो जाता है।

    गौरवशाली है मंद‍िर का इत‍िहास

    इस मंदिर के प्रथम महंत श्री वरद्नाथ जी महाराज कहे जाते हैं, जो गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे। तत्पश्चात परमेश्वर नाथ एवं गोरखनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करने वालों में प्रमुख बुद्ध नाथ जी (1708-1723 ई), बाबा रामचंद्र नाथ जी, महंत पियार नाथ जी, बाबा बालक नाथ जी, योगी मनसा नाथ जी, संतोष नाथ जी महाराज, मेहर नाथ जी महाराज, दिलावर नाथ जी, बाबा सुन्दर नाथ जी, सिद्ध पुरुष योगिराज गंभीर नाथ जी, बाबा ब्रह्म नाथ जी महाराज, ब्रह्मलीन महंत श्री दिग्विजय नाथ जी महाराज, महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज गोरक्ष पीठाधीश्वर के पद पर अधिष्ठित थे। वर्तमान में योगी आद‍ित्‍यनाथ पीठाधीश्‍वर हैं।

    नानक पु़त्र बाबा श्रीचंद भी आ चुके हैं गोरखपुर

    माना जाता है कि नानक के बाद उनके पुत्र बाबा श्रीचंद भी गोरखपुर आए। वह सिखों के उदासी संप्रदाय से थे, इसलिए उनकी याद में यहां पांच उदासी गुरुद्वारे बनाए गए। नखास चैक, जटाशंकर, बसंतपुर, राजघाट और घांसीकटरा में आज भी मौजूद हैं यह गुरुद्वारे, जहां संतों के भजन-कीर्तन का सिलसिला चलता रहता है।

    पर‍िसर में कई देवी देवताओं के हैं म‍ंद‍िर

    गोरखनाथ मंद‍िर पर‍िसर बाबा गोरखनाथ के अलावा कई अन्‍य देवी देवताओं के मंद‍िर बने हैं। यहां भीम सरोवर, भीम की लेटी हुई मूर्ति और हनुमान मंद‍िर का दर्शन करने वालों की भीड़ हमेशा रहती है। इसके अलावा मंद‍िर पर‍िसर में करीब आधा दर्जन देवी देवताओं के मंद‍िर हैं।