गोरखपुर सबरंग: अध्यात्म और पर्यटन का संगम गोरखनाथ मंदिर, यहां दुनियाभर से आते हैं लोग
गोरखनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है जो अपनी शांति और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और मंदिर के सांस्कृतिक माहौल का आनंद लेते हैं। मंदिर में गुरु गोरखनाथ और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। खिचड़ी मेला यहाँ का प्रमुख आयोजन है जो सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह मंदिर पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है।

गुरु गोरक्षनाथ की तपोस्थली गोरखनाथ मंदिर एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल, जहां शांति के साथ भक्ति की धारा बहती है। इसकी भव्यता श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों का ध्यान भी खींचती है। यही कारण की आज की तारीख में इसे आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप से विश्वव्यापी पहचान मिलती है। देश ही नहीं दुनिया भर के श्रद्धालुओं की मौजूदगी मंदिर परिसर में समय-समय पर देखने को मिलती है।
श्रद्धा व शक्ति के प्रतीक इस आध्यात्मिक स्थल पर आने वाले पर्यटक न केवल दर्शन-पूजन करते हैं बल्कि मंदिर की भव्यता, आसपास के बाज़ार, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद उठाते हैं। अगर आप आस्था की दृष्टि मंदिर परिसर में आएंगे तो यह स्थल आपके हृदय को छुएगा।
आस्था की दृष्टि से हृदय को पूरी तरह संतुष्ट करेगा। पर्यटन की दृष्टि से परिसर में आने वालों को मंदिर का समृद्ध आध्यात्मिक व सांस्कृतिक इतिहास लुभाएगा। वहां का सांस्कृतिक माहौल मंत्रमुग्ध कर देगा। शांति प्राप्त करने की इच्छा से आने वाले लोगोंं को इस स्थल की पवित्रता आत्मिक सुकून देगी। मंदिर की घंटियों की गूंज आत्मा को शुद्ध कर देगी। परिसर की हरियाली मन को हर लेगी।
मंदिर परिसर में गुरु गोरक्षनाथ के साथ सभी प्रमुख देवी-देवताओं के विग्रह श्रद्धालुओं की आस्था को संतुष्ट करते हैं। भीम सरोवर के पास कुछ देर ठहर कर श्रद्धालु आनंदित महसूस करते हैं। सुबह सूरज की किरण फूटते और शाम को उसके ढलते ही मंदिर परिसर मेंं पूजा-अर्चना का क्रम शुरू हो जाता है। पूरा परिसर भजनों से गूंज उठता है।
रंग-बिंगरी फसाड लाइटों से सजा-संवरा मंदिर उपस्थित लोगों का मन मोह लेता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मंदिर की लोकप्रियता पहले से ज्यादा बढ़ गई है। समय-समय पर होने वाले आध्यात्मिक आयोजनों की भव्यता से इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति मिली है।
खिचड़ी मेला मंदिर का विशिष्ट आयोजन है। मकर संक्रांति के अवसर पर एक महीने तक चलने वाला यह मेला सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ग का व्यक्ति इससे जुड़ता है। मेले के आयोजन का वर्ष भर इंतजार करता है।
मंदिर का विजयादशमी उत्सव काफी भव्य होता है। इस अवसर पर मंदिर प्रबंधन पीठ की सामाजिक समरसता की मूल भावना को प्रदर्शित करता है। समय-समय पर सहभोज व भंडारे का आयोजन मंदिर को गरीब व वंचित लोगों के दिल में स्थान दिलाता है।
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