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Gold Smuggling Gorakhpur: हर माह तस्करी के सोने से करोड़ों का हो रहा कारोबार, व्यापारी ऐसे हो रहे मालामाल

Gold Smuggling In Gorakhpur बैंकाक कोलकाता जलपाईगुड़ी होते हुए गोरखपुर शहर के उर्दू व हिन्दी बाजार सहित 50 दुकानों पर सोना पहुंच रहा है। सोने का स्वरुप बदलकर दुकानदार इसे लखनऊ दिल्ली और मुम्बई भेजकर मालामाल हो रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Mon, 01 May 2023 10:23 AM (IST)Updated: Mon, 01 May 2023 10:23 AM (IST)
हर माह तस्करी के सोने से करोड़ो का हो रहा कारोबार। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। तस्करी के सोने से उर्दू व हिन्दी बाजार के स्वर्ण व्यवसायी मालामाल हो रहे हैं। इसका स्वरूप बदलकर लखनऊ, दिल्ली और मुम्बई भेजकर शुद्ध सोने के रूप में खपा दिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इससे हर माह प्रति व्यवसायी अवैध रूप से दो से ढाई करोड़ की आमदनी कर रहे हैं। उनका कहना है कि तस्करी का सोना बैंकाक, कोलकता और जलपाईगुड़ी से लाकर तस्कर बाजार के 50 छोटे व बड़े दुकानों को बेचते हैं।

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यहां सोना सहित पकड़े गए तस्कर

दो दिन पहले कस्टम डीआरआइ (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटीलीजेंस) टीम ने बिहार, कोलकाता और गोरखपुर में एक साथ छापेमारी कर चार तस्कर और करीब पांच किलों सोना पकड़ा था। हालांकि कोलकाता में बैठा मुख्य सरगना टीम के हाथ नहीं लगा, वह फरार हो गया। इसमें गोरखपुर से पकड़े गये तस्कर के पास से टीम ने 40 लाख रुपये बरामद किया था। बताया जा रहा है कि उसने शहर के किसी बड़े व्यवसायी को तस्करी का सोना बेचकर पैसा लिया था। वहीं डीआरई ने भी माना था कि बैंकाक वाया कोलकाता होते हुए तस्करी का सोना गोरखपुर लाया जा रहा है और यहां से अन्य शहरों व राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है। गिरफ्तार तस्करों से डीआरआई टीम की पूछताछ अभी जारी है।

छोटे व्यवसायीयों के जरीए पहुंच रहा बड़ों तक

बताया जा रहा है कि तस्करी का सोना खपाने के लिए तस्करों ने छोटे व्यवसायीयों को जरीया बनाया है। इनके माध्यम से वह बड़े व्यवसायी तक पहुंच रहे हैं। इसके बदले छोटे व्यवसायी को अच्छा-खासा कमिशन मिलता है तो वहीं बड़े व्यवसयी को कम दाम में सोना मिल जा रहा है, जिसका स्वरूप बदल वह तत्काल दूसरों जिलों में सप्लाई कर दे हैं और रातो रात मालामाल हो जा रहे हैं।

बैंकाक गए वापस आकर बन गए स्वर्ण व्यसायी

शहर में आधा दर्जन ऐसे स्वर्ण व्यवसायी हैं जिनका आमदनी का श्रोत बैंकाक ही रहा है। शुरुआती दिनों में रोजी रोजगार के लिए वह बैंकाक गए। कुछ वर्षो बाद वापस आकर दुकान खोलकर सोने का कारोबार शुरू कर दिया। सूत्रों की माने तो इस तरह के दुकानदार भी डीआरआई के निशाने पर हैं।


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