Gita Press ने की पाठकों के लिए नई पहल, अब इंटरनेट पर फ्री में पढ़ सकेंगे धार्मिक पत्रिका 'कल्याण' के दुर्लभ अंक
Gita Press वर्ष 2001 से पूर्व के प्रकाशित अंकों का डिजिटाइजेशन कराया जा रहा है। पुस्तक का स्वरूप देने के लिए 75 विशेषांकों व साधारण अंकों की स्कैनिंग होगी। इसी क्रम में अब पाठकों को इंटरनेट पर फ्री में कल्याण के विशेषांकों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। गीताप्रेस सुधी पाठकों की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक नई पहल कर रहा है। पाठकों को गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक धार्मिक पत्रिका 'कल्याण' के सभी विशेषांक व साधारण अंक अब मूल रूप में इंटरनेट पर निश्शुल्क पढ़ने को मिलेंगे। प्रबंधन चाहता तो उन अंकों को पुन: कंपोज कराकर वेबसाइट पर अपलोड कर सकता था। लेकिन पाठकों को अंक अपने मूल रूप में मिलें और उनकी उनसे आत्मीयता खंडित न होने पाए, इसलिए 2001 के पहले के सभी विशेषांकों व साधारण अंकों को स्कैन कराया जा रहा है।
95 साल पहले शुरू हुआ कल्याण का प्रकाशन
कल्याण का प्रकाशन 1926 से शुरू हुआ। पहले साल सभी 12 साधारण अंक निकले थे। दूसरे साल से पहला अंक विशेषांक के रूप में प्रकाशित होने लगा। 2001 के बाद के विशेषांकों व साधारण अंकों का डिजिटल बैकअप गीताप्रेस के पास है। उसके पहले के अंकों की स्कैनिंग कराकर डिजिटल बैकअप तैयार किया जा रहा है। ये अंक जिस रूप में प्रकाशित हुए हैं उसी रूप में इंटरनेट पर पाठकों को पढ़ने के लिए मिलेंगे। पाठक पन्ना पलटते जाएंगे और किताब खुलती जाएगी। अब तक 96 विशेषांक निकल चुके हैं। इनमें से 75 विशेषांक व 826 साधारण अंक 2001 के पहले हैं।
हर पन्ने को कराया जा रहा स्कैन
प्रबंधन का कहना है कि हम पुन: उसे कंप्यूटर पर कंपोज कराकर उसकी साफ्ट कापी अपलोड करते तो पाठकों को मैटर तो पढ़ने को मिल जाता लेकिन उससे आत्मीयता नहीं होती। 25-50 साल पहले छपी पुस्तक, उसी रूप में इंटरनेट पर देखकर पाठक प्रसन्न होंगे। इसलिए हर पन्ने को स्कैन कराया जा रहा है। वेबसाइट पर पाठक एक-एक पन्ना पलटते जाएंगे और किताब खुलती जाएगी। इस कार्य के लिए चार कर्मचारी लगाए गए हैं। इसके बाद उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
97वें विशेषांक के प्रकाशन की तैयारी शुरू
कल्याण के 97वें विशेषांक के रूप में जनवरी 2023 में 'दैवी संपदा' अंक पढ़ने को मिलेगा। इसमें ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक सत्य, अहिंसा, परोपकार, न्याय, वैराग्य, जप-तप, जैसी 26 तरह की दैवी संपदाओं पर लेख प्रकाशित होंगे। श्रीमद्भगवद्गीता के 16वें अध्याय में दैवी और आसुरी संपदा को मुक्ति-बंधन का कारण बताने वाले भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों के तत्व सार को, संत-महात्माओं और विद्वानों के आलेख द्वारा समझाया जाएगा। इस विशेषांक (प्रथम अंक) की 1.80 लाख प्रतियां इसी माह से प्रकाशित होना शुरू हो जाएंगी।
क्या कहते हैं प्रबंधक
गीताप्रेस प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी वर्ष 2001 से कल्याण के अंकों की कंपोजिंग कंप्यूटर पर होने लगी थी लेकिन उसके पहले के जितने विशेषांक व साधारण अंक हैं उनका डिजिटल बैकअप गीताप्रेस के पास नहीं था। उन सभी 75 वर्ष के विशेषांकों व अंकों को स्कैन करा कर उनका डिजिटल बैकअप तैयार किया जा रहा है। इन्हें गीताप्रेस की वेबसाइट पर निश्शुल्क पढ़ने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।